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सोर्स - जागरण
कुछ दिन पहले पैगंबर मोहम्मद साहब पर भाजपा प्रवक्ता की टिप्पणियों को लेकर देश-विदेश में काफी हंगामा हुआ। हालांकि, भारत सरकार ने स्वयं को इन टिप्पणियों से अलग कर लिया। इतना ही नहीं भाजपा ने भी इस मामले में उक्त टिप्पणी से जुड़े विवादित नेताओं को पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बावजूद कुछ देश भारत को नसीहत देने में लगे थे। इनमें कतर बड़ा आक्रामक था। ऐसे में विरोध करने वाले इस्लामिक देशों और विशेषकर कतर के चरित्र की पड़ताल करना बहुत आवश्यक है। इसमें पहली बात तो यही है कि जब तक समझ और परस्पर सम्मान नहीं होगा तब तक अंतर-धार्मिक संघर्ष से जुड़े मुद्दों का समाधान संभव नहीं। इस्लामिक देश यही मानते हैं कि वे जो मानक दूसरों के मामले में लागू करते हैं, वे उन पर लागू नहीं होंगे, क्योंकि वे इस्लामिक है। ऐसे में वे परस्सर सम्मान और समरसता की उम्मीद नहीं कर सकते। उनका यह एकतरफा रवैया लंबे समय तक कायम रहा, लेकिन अब ईसाई और हिंदू जैसे समुदाय उनका यह खेल समझकर उनसे दोहरा रवैया खत्म करने की मांग कर रहे हैं।
