सम्पादकीय

पूर्ण टीकाकरण अभियान से ही कोरोना के तीसरी लहर को रोकना है संभव

Rani Sahu
23 Dec 2021 9:27 AM GMT
पूर्ण टीकाकरण अभियान से ही कोरोना के तीसरी लहर को रोकना है संभव
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कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर दुनिया ही नहीं, भारत में भी चिंता बढ़ गई है

कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रॉन को लेकर दुनिया ही नहीं, भारत में भी चिंता बढ़ गई है। सरकारी स्तर पर इससे निबटने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। देश में हम राज्य सरकारों के कोरोना टीकाकरण अभियान की बात करें, तो निःसंदेह मध्य प्रदेश सरकार ने बेहतर प्रतिमान स्थापित किया है। लगभग पूरी वयस्क आबादी को यहां कोरोना वैक्सीन लगा दिया गया है। यह संभव हो पाया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कुशल नेतृत्व और सरकार की तत्परता के कारण। सभी विभागों के आपसी तालमेल ने राज्य की जनता को सुरक्षा कवच दिया है।

असल में, साल 2020 में एक वैश्विक वायरस ने पूरे देश को झंझोड़ कर रख दिया था। इंसान से इंसान में फैलने वाले इस वायरस ने धीरे- धीरे पूरी दुनिया में पैर पसार लिए। इसके पश्चात इस वायरस को विश्व स्वस्थ्य संगठन द्वारा महामारी के रूप में घोषित किया गया। इस एक महामारी ने हमें न सिर्फ एक कमरे में कैद होकर रहने के लिए मजबूर किया, बल्कि स्वास्थ्य सम्बंधित भ्रांतियों को भी दूर किया। जब एक वायरस की वजह से पूरे विश्व में हाहाकार मच गया, सरकार की गाइडलाइन्स में तब कोविड प्रोटोकॉल जैसा शब्द शामिल किया गया। इस महामारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए 21 मार्च 2020 को पूरे देश में जनता कर्फ्यू लगाया गया। केंद्र और राज्य सरकारों ने इस संक्रमण की कड़ी को तोड़ने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। वहीं कुछ महीनों बाद ही 2021 में फिर से कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने फिर से कहर बरपा दिया। अब 2021 के अंत में एक बार फिर हमें सतर्कता बरतनी पड़ रही है, जब कोरोना वायरस के एक और नए वेरिएंट 'ओमिक्रोन' ने दुनिया में चिंता की स्थिति पैदा कर दी है।
जिस तीसरी लहर की संभावना पहले सितंबर में जताई गई थी, वह अब दिसंबर माह में हमारे सामने फिर एक बड़ी चुनौती बन कर तैयार कड़ी है। कोरोना के इस बदलते स्वरूप ने एक बार फिर हम सब को सतर्क कर दिया है। इस प्रतिकूल परिस्थिति में केंद्र और राज्य सरकारें भी अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। इस महामारी से जनता को सुरक्षित करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार तत्परता से हर संभव प्रयास कर रही है।
इस वायरस की पहली लहर ने हमारा परिचय कुछ नए शब्दों, जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, जनता कर्फ्यू, पीपीई किट, लॉकडाउन इत्यादि, से भी करवा दिया है। कोई भी उन दिनों को भुला नहीं सकता जब हर मिनट सिर्फ ऑक्सीजन बेड्स, सिलेंडर और अन्य स्वास्थ सुविधाओं की ज़रूरत महसूस की जा रही थी। तब हमें कोविड अनुकूल व्यवहार का रास्ता चुनना पड़ा – एक ऐसा व्यवहार जिससे सबको सुरक्षित किया जा सका। इसी जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा स्वास्थय बजट में भी बढ़ौतरी की गई थी। कोरोना की पहली लहर के वक़्त हमारे पास न तो इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए शस्त्र थे, न कोई जानकारी।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में राज्य सरकारों ने भी अपने कदम पूरी तेज़ी से बढ़ाते हुए लॉकडाउन जैसे बड़े फैसले लिए। इसके बाद सभी राज्यों में कोरोना के मामलों को कम करने के लिए चिकित्सा विभाग की सेवाओं के साथ-साथ, उपकरणों में भी वृद्धि की गई। आत्मनिर्भर भारत के आत्मनिर्भर राज्य को परिभाषित किया गया, जब मध्यप्रदेश सरकार ने ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए अन्य राज्यों पर निर्भरता हटाते हुए न सिर्फ 186 नए ऑक्सीजन प्लांट्स स्थापित किये, बल्कि टीकाकरण को भी बढ़ावा दिया गया। इसके परिणामस्वरूप मध्यप्रदेश में पहले डोज का लगभग पूरा डोज दिया गया।
हाल में मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग से बात हुई, तो उन्होंने बताया कि जैसे ही केंद्र सरकार की ओर से कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराया गया, हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तमाम मंत्रालय से आपस में समन्वय स्थापित करने को कहा। दिन-रात एक करके सभी ने बेहतर काम किया। जनता की सहभागिता रही, नतीजा आज हम सबके सामने है। राज्य ने कोविड टीकाकरण अभियान में जो मुकाम हासिल किया है, निःसंदेह वह हमारे मुख्यमंत्री और जनता के कारण संभव हुआ है। केंद्र सरकार की ओर से हमें पूरा सहयोग मिला है।
जाहिर है कि राज्य सरकार ने स्वास्थय सुविधाओं में स्टाफ़, उपकरणों और ऑक्सीजन प्लांट्स की संख्या में और वृद्धि की। पीपीई किट, आइसोलेशन किट, ऑक्सीजन बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर और यहां तक की कोरोना काल में लॉक डाउन के वक़्त गरीब वर्ग के लोगों को भोजन तक की सुविधा सरकार ने तत्परता से की।
इस दिशा में, आने वाले वेरिएंट के खतरे को ध्यान में रखते हुए, कोरोना टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से एक विशेष "हर घर दस्तक अभियान" चलाया जा रहा है। इस अभियान को चलाने का उद्देश्य कोरोना के खि़लाफ़ चल रहे टीकाकरण को और गति देना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने इस डोर-टू-डोर अभियान को 31 दिसंबर 2021 तक चलाने का निर्णय लिया है।
इस अभियान के दो प्रमुख उद्देश्य हैं – पहला, कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक के लक्ष्य को 100 प्रतिशत पूरा करना और दूसरा, पहली खुराक ले चुके लाभार्थियों को दूसरी खुराक लेने के लिए प्रोत्साहित करना। अभियान के तहत स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा घर-घर जाकर पात्र लाभार्थियों को कोरोना की वैक्सीन लगाईं जा रही है। शिवराज सरकार ने इसको ध्यान में रख अस्पतालों में बिस्तरों की क्षमता में वृद्धि की है। कोरोना की इस तीसरी लहर को परास्त करने के लिए लगभग 11,185 ऑक्सीजन-समर्थित बिस्तर भी बढ़ाए हैं। इसके अतिरिक्त 3,063 नए ऑक्सीजन बिस्तर को बढ़ाने की योजना पर भी प्रदेश सरकार कार्यरत है।
मध्यप्रदेश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर से हुई मौतों के आंकड़ों को ध्यान में रखकर प्रदेश सरकार द्वारा सीएसआर के अंतर्गत निजी कम्पनियों के सहयोग से 700 नए बेड्स का भी निर्माण किया गया है। आज तीसरी लहर से लड़ने के लिए मध्यप्रदेश सरकार बेहतर सुविधाओं के साथ बाल चिकित्सा देखभाल सेवा को भी सुनिश्चित कर रही है।
चिकित्सा और उपकरण के सम्बन्ध में, मध्यप्रदेश सरकार ने 1.5 लाख रेमडेसिविर और 10,000 एमफोंटेरिसिन- बी इंजेक्शन के स्टॉक की उपलब्धता सुनिश्चित की है। इसके अतिरिक्त कोविड-19 से बचाव के लिए प्रदेश में होम आइसोलेशन किट के स्टॉक को भी मध्यप्रदेश सरकार ने पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया तथा आरटीपीसीआर टेस्टिंग की क्षमता भी बढ़ाई है। जहां प्रदेश में पहले आरटीपीसीआर टेस्टिंग की क्षमता बहुत कम थी, वहीं अब यह बढ़ाकर 30,000 प्रतिदिन कर दी गई है। सरकार ने प्रदेश की जनता की सुरक्षा और स्वास्थ्य के प्रति तत्परता दर्शाते हुए अपनी विकासोन्मुखी मंशा का अटूट उदाहरण प्रस्तुत किया है।
शिवराज सरकार ने कोविड अनुकूल व्यवहार को बढ़ावा देते हुए मास्क पहनना, सामाजिक दूरी बनाना, गैर ज़रूरी सार्वजनिक सभा आयोजित नहीं करना इत्यादि जैसे अहम कारकों का जनता में निरंतर प्रसार किया है। कोरोना के इस नए वेरिएंट से बचने के लिए किये गए प्रबंधनों में, प्रदेश सरकार द्वारा 13,557 ऑक्सीजन कॉन्संट्रेटर भी उपलब्ध कराये गए हैं। कोरोना से सम्बंधित जानकारी को डिजिटल माध्यम से 'सार्थक पोर्टल' पर साझा किया गया है, जिससे प्रदेश में कोरोना से ग्रसित सभी रोगियों की पूरी जानकारी और ऑक्सीजन खपत की सीधी निगरानी की जा सकेगी।
मध्यप्रदेश में कोरोना प्रबंधन के मॉडल की तारीफ़ स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने की है, जो प्रदेश सरकार की प्रतिबद्धता का जीता-जागता सबूत है। प्रदेश सरकार द्वारा की गई सभी व्यवस्थाओं के साथ हमें कोरोना के इस नए वेरियंट से बचने के लिए पूर्ण टीकाकृत होने और कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाने की आवश्यकता है।

क्रेडिट बाय जनसत्ता।

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