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नशे की लत से मुक्ति
हाल में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में उल्लिखित शराब और तंबाकू के आंकड़े चिंताजनक स्थिति की ओर संकेत करते हैं. सर्वे के तथ्यों के अनुसार, 15 साल से अधिक आयु के लगभग 19 फीसदी पुरुष शराब का सेवन करते हैं. महिलाओं में केवल 1.3 प्रतिशत ने शराब पीने की बात स्वीकार की है. देशभर में 38 फीसदी पुरुष तंबाकू का सेवन करते हैं, जबकि महिलाओं में यह आंकड़ा लगभग नौ प्रतिशत है.
हालांकि इस सर्वेक्षण में पहली बार नशे की लत का आकलन किया गया है, लेकिन हमारे पास अनेक अध्ययन उपलब्ध हैं. ये सभी आंकड़े और तथ्य इंगित करते हैं कि नशे की समस्या के समाधान के लिए गंभीरता से प्रयास होने चाहिए. सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि नशे का सेवन करने की प्रक्रिया में एक स्थिति ऐसी आती है, जिसे हम लत या एडिक्शन कहते हैं.
यह स्थिति एक स्वास्थ्य समस्या है और इसे एक बीमारी के रूप में चिह्नित किया जा चुका है. नशीले पदार्थों का सेवन करते-करते शरीर उस रसायन पर निर्भर होने लगता है, तब जो भी पीड़ित व्यक्ति है, वह चाह कर भी उस चीज को छोड़ नहीं पाता है और यह लत गंभीर होती जाती है. यह उसके लिए बेबसी की स्थिति हो जाती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन नशे लेने की आदत को बहुत पहले एक बीमारी घोषित कर चुका है.
इस संबंध में हुए अध्ययनों और आंकड़ों को देखें, तो तमाम कोशिशों के बावजूद नशे के शिकार लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसका सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि किशोर और युवा इसकी चपेट में अधिक आ रहे हैं. कम आयु के लोग किसी समूह में अपने को शामिल करने के लिए या आकर्षण के कारण नशीले पदार्थों का सेवन शुरू करते हैं. उन्हें इस बात का अहसास भी नहीं होता है कि कब वे इसके आदी बन गये और फिर पीछा छुड़ाना मुश्किल होता जाता है. शरीर की जैव-रासायनिक प्रणाली में बदलाव के साथ नशे की आदत से मुक्त हो पाना दुष्कर हो जाता है.
हम जानते हैं कि नशे की आदत की बीमारी के अलावा यह अन्य कई रोगों का कारण भी बनता है. इससे न केवल आर्थिक क्षति होती है, बल्कि स्वास्थ्य भी खराब होता जाता है. कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी और लीवर खराब होना आदि अनेक बीमारियां नशे की वजह से होती हैं. ये सभी बीमारियां आजकल तेजी से बढ़ रही हैं और नशा उसमें एक बड़ा कारण है. स्वाभाविक है कि इसका असर सामाजिक व्यवहार और कामकाज पर भी पड़ता है.
लेकिन अगर कोशिश की जाए, तो नशे की आदत से छुटकारा पाया जा सकता है. हमारे देश में एक बाधा यह है कि लोग मदद मांगने में हिचकते हैं. ऐसा ही मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों में भी होता है. आदी लोगों और उनके परिजनों को यह समझना चाहिए कि अगर किसी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है, तो उसके लिए अस्पतालों, परामर्शदाताओं या सहायता केंद्रों की मदद लेने में कोई शर्म की बात नहीं है.
जीवन में गलत निर्णय होते हैं, पर उनका निवारण भी किया जा सकता है. वर्तमान सामाजिक स्थिति में यह समस्या भी है कि किशोर व युवा परिवार में खुल कर बात नहीं कर पाते और वे दोस्तों के बीच अपनी बात कह पाते हैं, लेकिन दोस्त उस तरह से सहायता नहीं कर सकते हैं, जितना माता-पिता या अन्य परिजन कर सकते हैं. अभिभावकों को भी सहानुभूति के साथ अपनी संतानों की बात सुननी चाहिए और उनके भविष्य के लिए सही कदम उठाना चाहिए. समाज को भी अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है, क्योंकि आज भले ही समस्या एक या कुछ घरों में है, पर कल यह किसी के या बहुत सारे परिवारों में हो सकती है. नशे का मामला केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है.
सरकारी स्तर पर और विभिन्न अस्पतालों एवं स्वैच्छिक संगठनों द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन के नुकसान के बारे में व्यापक स्तर पर जागरूकता का प्रसार किया जा रहा है. साथ ही, स्वास्थ्य केंद्रों पर परामर्श और उपचार की व्यवस्था उपलब्ध करायी जा रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऐसे प्रयास हो रहे हैं. इन कोशिशों का विस्तार होना चाहिए. वहां लोगों को भी शासन से ऐसी सुविधाओं की मांग करनी चाहिए. अस्पतालों में भी अब इस पहलू पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है.
हमें भले ही परामर्श केंद्रों पर जाने में हिचक होती हो, लेकिन किसी बीमारी की स्थिति में हम अस्पताल जाते हैं. वहां जांच के दौरान यह देखा जाता है कि कहीं रोगी को किसी प्रकार की लत तो नहीं है और वह लत कहीं बीमारी की जड़ तो नहीं है. ऐसे में उपचार बेहतर ढंग से हो सकता है. यदि हम नशे की लत को बीमारी की तरह देखने लगें, तो फिर समाधान आसान हो सकता है.
चिकित्सकों को भी इससे उत्पन्न बीमारियों का उपचार करने के साथ इसकी जड़ में जाने पर अधिक ध्यान देना चाहिए. नशीले पदार्थों के कारोबार पर निगरानी को बढ़ाना चाहिए और समाज को भी अधिक सतर्क होने की जरूरत है. जिस भी व्यक्ति को ऐसा लग रहा हो कि उसकी लत अनियंत्रित हो गयी है या जिस परिवार को इस बारे में पता है, उसे तुरंत उपचार हासिल करना चाहिए. (बातचीत पर आधारित).
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