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संभव है विकसित भारत के लक्ष्य को पाना
सोर्स- जागरण
डा. जयंतीलाल भंडारी : प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से भारत को अगले 25 वर्षों में विकसित देश बनाने का सपना दिखाया है। विगत 75 वर्षों में असाधारण चुनौतियों से सफलतापूर्वक निपटने के बाद दुनिया में सामर्थ्यवान भारत की जो तस्वीर उभरकर आई है, उसके आधार पर देश में वर्ष 2047 तक विकसित देश बनने के बड़े लक्ष्य को हासिल करने की पूरी क्षमता है। इस समय भारत विश्व की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वैश्विक मंदी की चुनौतियों के बीच पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में भारत ने 83.57 अरब डालर का रिकार्ड एफडीआइ प्राप्त किया। भारत का उत्पाद एवं सेवा निर्यात करीब 668 अरब डालर के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचना इस बात का संकेत है कि अब भारत निर्यात आधारित अर्थव्यवस्था की डगर पर बढ़ रहा है।
आज दुनिया के कुल 60 प्रतिशत टीकों का उत्पादन भारत में हो रहा है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी करीब 573 अरब डालर के मजबूत स्तर पर दिखाई दे रहा है, जो दुनिया में चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। फसल वर्ष 2021-22 के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकार्ड 31.57 करोड़ टन होगा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 49.8 लाख टन अधिक है। डिजिटल इंडिया मुहिम देश को डिजिटलीकृत एवं ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। दुनिया के 40 प्रतिशत आनलाइन पेमेंट भारत में हो रहे हैं। भारत स्टार्टअप और साफ्टवेयर से लेकर स्पेस जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सामर्थ्यवान देश के रूप में उभर रहा है। विभिन्न रेटिंग एजेंसियों के अनुसार वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था करीब सात प्रतिशत दर से बढ़ेगी, जो दुनिया में सबसे अधिक होगी।
जब हम इस प्रश्न पर विचार करते हैं कि हमें विकसित देश बनने के लिए कितने और कैसे प्रयास करने होंगे तो हमारे सामने दुनिया के 38 विकसित देशों का संगठन ओईसीडी (आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन) दिखाई देता है। भारत को इस समूह के सदस्य देशों के बराबर पहुंचने के लिए 25 वर्षों तक लगातार करीब सात से आठ प्रतिशत की दर से बढ़ना होगा। हमें विकसित देश बनने के लिए चार सबसे अहम बातों पर ध्यान देना होगा। पहली, नई पीढ़ी को नए कौशल से सुसज्जित करें। दूसरी, शोध-अनुसंधान एवं नवाचार पर अधिक ध्यान दें। तीसरी, दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बनें। चौथी, कृषि क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनें। भारत को विकसित देश बनाने में देश की नई पीढ़ी की अहम भूमिका होगी। अगले वर्ष तक भारत दुनिया का सर्वाधिक आबादी वाला देश बन जाएगा। देश में श्रम योग्य आयु वाली आबादी का बढ़ना 2045 तक जारी रहेगा। इसमें भारत चीन को पीछे छोड़ देगा।
शोध-अनुसंधान एवं नवाचार किसी भी विकसित देश की महत्वपूर्ण विशेषता होती है। तकनीकी विकास की दृष्टि से देखें तो पाते हैं कि आज भारत उसी मुकाम पर खड़ा है, जहां 1950-60 में अमेरिका था। फिर अमेरिका ने शोध-अनुसंधान एवं नवाचार ध्यान देना शुरू किया। देखते ही देखते वह सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, दवा, अंतरिक्ष अन्वेषण, ऊर्जा और अन्य तमाम क्षेत्रों में अग्रणी स्तर पर पहुंच गया। इस समय हम अपनी जीडीपी का मात्र 0.67 प्रतिशत ही शोध-अनुसंधान पर खर्च करते हैं। चीन और यूरोपीय संघ में इस पर उनकी जीडीपी का करीब दो प्रतिशत, अमेरिका और जापान में करीब तीन प्रतिशत और दक्षिण कोरिया में करीब 4.5 प्रतिशत व्यय किया जाता है। वैसे तो कोविड-19 भारत में नए चिकित्सकीय शोध-अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने का एक अवसर बन गया है। फिर भी इस क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने के लिए हमें अपनी कुल जीडीपी का दो प्रतिशत तक इस पर खर्च करना होगा। इसमें निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी भी बढ़ानी होगी।
आत्मनिर्भर भारत अभियान में मैन्युफैक्चरिंग के तहत 24 सेक्टर को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। चीन से आयातीत कच्चे माल का विकल्प तैयार करने के लिए पिछले दो वर्ष में सरकार ने पीएलआइ स्कीम के तहत 13 उद्योगों को करीब दो लाख करोड़ रुपये आवंटन सुनिश्चित किए हैं। भारत को दुनिया का नया मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की संभावनाओं को साकार करने के लिए सरकार को आत्मनिर्भर भारत अभियान एवं मेक इन इंडिया को सफल बनाने, उत्पाद लागत को घटाने, स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए शोध-अनुसंधान एवं नवाचार पर फोकस करने, श्रम कानूनों को और सरल बनाने, अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण की रफ्तार तेज करने, लाजिस्टिक की लागत कम करने के साथ-साथ विशेष आर्थिक क्षेत्र की नई अवधारणा और नए निर्यात प्रोत्साहनों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
इसके साथ हमें कृषि क्षेत्र में भी आगे बढ़ना होगा। इस क्रम में दलहन और तिलहन की उन्नत खेती को भी तेजी से आगे बढ़ाना होगा। इन सबके साथ आगामी 25 वर्षों में विकसित देश बनने के लिए कई और बातों पर भी ध्यान देना होगा। जैसे देश के बुनियादी ढांचे को और मजबूत बनाना होगा और कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ानी होगी। इसी तरह शिशु मृत्यु दर में कमी लानी होगी। शिक्षा के उन्नयन और कौशल युक्त उच्च शिक्षा में छात्रों का प्रवाह बढ़ाना होगा। स्वरोजगार के अधिक प्रयास जरूरी होंगे। इन उपायों को अमल में लाकर हम 2047 में आजादी के सौ वर्ष पूरा करने के अवसर पर आर्थिक शक्ति और विकसित भारत बनने के सपने को साकार कर सकेंगे।
Rani Sahu
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