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‘जल जीवन मिशन’ की उपलब्धियों का जिक्र डब्ल्यूएचओ-यूनिसेफ ने भी किया
पवन कुमार सैन का कॉलम:
हाल के दिनों में खबर पढ़ने को मिली कि अरुणाचल प्रदेश के सुदूरवर्ती इलाकों तक घर के नल में पीने योग्य स्वच्छ पानी पहुंचा। मेरे लिए यह सुखद अनुभूति रही क्योंकि वर्ष 2006 से 2011 तक के पांच वर्ष के मेरे कार्यकाल में मैंने प्रदूषित जल जनित रोगों से लोगों को कष्टप्रद स्थिति में देखा है। यिंगकियोंग, बसार व हयुलियांग जैसे सुदूरवर्ती इलाकों में मेरा कार्यकाल सबसे अधिक जलप्रभावित बीमारियों से लोगों को बचाने में बीता।
जल जीवन मिशन आज अनेक लोगों विशेषकर जनजातीय ग्रामीण प्रदेश में वरदान साबित हुआ है, जहां शुद्ध पेयजल से अनेक लोगों का स्वास्थ्य सुधरा है। जल जीवन मिशन की कामयाबी जहां एक ओर लद्दाख के बर्फीले दुर्गम पर्वतीय इलाकों तक पाइपों की ढुलाई से प्रदर्शित होती है वहीं दूसरी ओर सामुदायिक एकजुटता द्वारा हिमाचल प्रदेश को सोशल मैंपिग द्वारा जोड़ना, पंजाब में जल सेवा मोबाइल एप, छत्तीसगढ़ में समुदाय द्वारा जल गुणवत्ता चौकसी, तमिलनाडु में पैरामेडिकल स्टाफ को सुरक्षित पानी संबंधी प्रशिक्षण, महाराष्ट्र व कर्नाटक में जमीनी स्तर पर की गई तैयारियां जलजीवन मिशन की उपयोगिता व क्रियान्वयन की कई कहानियां खुद व्यक्त करती हैं।
15 अगस्त 2019 को लाल किले की प्राचीर से जल जीवन मिशन की घोषणा हुई थी। इसका उद्देश्य 19.22 करोड़ ग्रामीण घरों को वर्ष 2024 तक नल से जल उपलब्ध कराना है, जिसमें कोई छूट ना जाए, की नीति के साथ नवीनतम प्रौद्योगिकियों का उपयोग भी शामिल है। यह परिकल्पना न केवल देश बल्कि समूचे विश्व समुदाय के लिए प्रेरणास्प्रद है। हाल में ब्रिक्स वॉटर फोरम के आयोजन द्वारा इसके बुनियादी सिद्धांत 'जल ही जीवन है, मूल है विकास का और आर्थिक गतिविधियों के विस्तार का' को विश्वस्तर पर साझा करने का प्रशंसनीय कदम उठाया गया।
शुद्ध पेयजल प्रदान करने की यह मुहिम भारत सरकार द्वारा सीओपी-26 सम्मेलन में भी देखने को मिली जहां सर्वप्रथम जलवायु के लिए जल पैविलियन की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ। जल जीवन मिशन अब जन-आंदोलन के रूप में चलाया जा रहा है, जहां जनसंचार जनसंपर्क के तहत नल से जल पहुंचाने के साथ-साथ जल स्रोतों की निरंतरता बनाए रखना, वर्षा जल का संचयन और जल संरक्षण के जरिए जल स्रोतों के पुनर्भरण को सुनिश्चित किया जाता है।
इसके अलावा ग्रेवाटर प्रबंधन के द्वारा गंदे पानी का भी पुनरुपयोग हो, इसका भी महत्व जनमानस में बढ़ाया जा रहा है। चुनौतीपूर्ण सुदूर, दुर्गम व संवेदनशील इलाकों में जल जीवन मिशन से जुड़े लोग खच्चरों, हेलीकॉप्टर से निर्माण सामग्री पहुंचाते हुए देखे जा सकते हैं, जो सही मायने में राष्ट्रीयता की झलक दिखाता है। भौगोलिक दुविधाएं, मूसलाधार वर्षा, भूस्खलन, हुनरमंद स्थानीय लोगों की कमी होते हुए भी स्थानीय जनमानस का जोश मिशन को अत्यधिक स्फूर्तिवान बनाता है।
महात्मा गांधी का उद्धरण, 'पृथ्वी, वायु, भूमि और जल हमारे पूर्वजों से प्राप्त विरासत नहीं हैं अपितु ये हमारे बच्चों की धरोहरें हैं। इसलिए हमें उनको कम से कम उतना तो सौंपना ही होगा, जितना हमें सौंपा गया था।' यह सपना, जल जीवन मिशन के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों को साफ जल प्रदान करके पूरा किया जा रहा है। यह अभियान शिक्षा, स्वास्थ्य व आर्थिक उन्नति का पथ प्रदर्शक होगा, जिसके द्वारा एक ऐसी पीढ़ी को तैयार करना है जो राष्ट्र निर्माण में अपनी महती भूमिका निभा सके।
डब्ल्यूएचओ व यूनिसेफ जैसी संस्थाओं द्वारा आगे आकर यह जानकारी उपलब्ध करवाना कि 45.5 मिलियन ग्रामीण घरों तक जल जीवन मिशन द्वारा पाइप लाइन एवं 22 महीनों में 61 जिलों के 10 मिलियन ग्रामीण घरों तक पेयजल पहुंचाया गया, यह हम सभी भारतीय के लिए गर्व की अनुभूति है। यह मिशन ना केवल सभी ग्रामीण घर, अपितु देश के सभी स्कूलों, आंगनबाड़ी केद्रों व स्वास्थ्य केंद्रों, कल्याण केंद्रों, सामुदायिक भवनों जैसे महत्वपूर्ण व आवश्यक स्थलों पर पीने योग्य पानी की व्यवस्था को भी सुनिश्चित करता है।
प्रधानमंत्री का लाल किले से उद्बोधन में यह कहना कि हमारा कर्तव्य है पानी बचाने को अपनी आदत में जोड़ना, देश में जल जीवन मिशन की महत्ता को स्पष्ट करता है। जल जीवन मिशन का मार्गदर्शक सिद्धांत 'मिल कर करे काम, बनाए जीवन आसान' के तहत सर्विस डिलीवरी एवं थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग पर अत्यधिक ध्यान दिया जा रहा है।
जिसके अंतर्गत नई-नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर, जल आपूर्ति के नमूनों की निरंतर क्रियाशीलता विश्लेषण, जल कनेक्शन को आधार नंबर से जोड़ना, बनियादी ढांचे को जियो टैग द्वारा मूल्यांकन, सभी लेन देन पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम द्वारा करके धनराशि का प्रभावकारी उपयोग किया जा रहा है। साथ ही व्यवस्था में जवाबदेही, पारदर्शिता हेतु निरंतर समीक्षा कर रियल टाइम आधार पर ऑनलाइन निगरानी की जा रही है।
इसी सिद्धांत के क्रियान्वयन हेतु 184 सेक्टर पार्टनर्स, 104 प्रमुख संसाधन केंद्रों तथा लगभग 13 हजार कार्यान्वयन सहयोग एंजेसियों की मदद से जल जीवन मिशन की सफलता को सुनिश्चित किया जा रहा है। स्वच्छ व स्वस्थ भारत की संकल्पना में यही लक्ष्य है कि अब सभी गांव जल स्वच्छता प्रबुद्ध गांव बन जाएं, जहां एक-एक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को समझता हुआ जल जीवन मिशन को राष्ट्र निर्माण का आधार बनाएं और इस जन आंदोलन की रूपरेखा राष्ट्र प्रगति के रूप में विश्वपटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ दे।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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