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- सबसे कड़ी सजा की नजीर...
शबनम की दया याचिका राष्ट्रपति ने भी खारिज कर दी। इस तरह आजादी के बाद यह पहला मौका होगा, जब किसी महिला को फांसी पर लटकाया जाएगा। दुनिया भर में, और विशेषकर भारत में सजा देते समय महिलाओं के साथ अमूमन नरमी बरती जाती है। जमानत देते समय उन्हें विशेष सुविधा हासिल है और विशेष परिस्थितियों को छोड़कर आमतौर पर उन्हें जमानत दे दी जाती है। इतना ही नहीं, सजा-माफी की अर्जी पर विचार करते समय भी राष्ट्रपति और राज्यपाल उनके प्रति उदारता बरतते हैं। यही कारण है कि आजाद भारत में सजा-ए-मौत तो कई महिलाओं को सुनाई गई, किंतु किसी को अब तक फांसी नहीं दी गई। किंतु शबनम के मामले में ऐसा नहीं हुआ। अदालत के सामने शबनम की सजा पर सुनवाई के दौरान उनके महिला होने और बच्चे की परवरिश की चिंता करते हुए उनकी सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की गई थी।
सबसे कड़ी सजा की नजीर से आगे देखना जरूरी
मृत्युदंड के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बच्चन सिंह के मामले में दिए गए दिशा-निर्देश का भी हवाला दिया गया, जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि मृत्युदंड विरल से विरलतम मामलों में ही दिया जाना चाहिए। किंतु शबनम के मामले में अदालत ने इन दलीलों को नहीं माना। उनके अपराध को बहुत गंभीर किस्म का अपराध मानते हुए उन्हें फांसी की सजा दी गई, जिसे बाद की अदालतों ने भी बरकरार रखा। शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने पूरे परिवार की हत्या कर दी थी, क्योंकि परिजन उनकी शादी सलीम से करने को तैयार नहीं थे। यह जघन्यतम अपराध था, जिसमें प्रेमी से विवाह करने के लिए इतने निकट संबंधियों का कत्ल कर दिया गया था, जिसमें उसका 10 माह का मासूम भतीजा भी शामिल था।