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- शशि थरूर का कांग्रेस...
नवभारत टाइम्स : कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर पार्टी के अंदर और बाहर चर्चा-परिचर्चा तो बहुत चल रही है, लेकिन अभी तक मामला कयासबाजी से आगे नहीं बढ़ा है। हालांकि चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की तारीख 24 से 30 सितंबर है, इसलिए प्रत्याशियों के नामों की औपचारिक घोषणा अभी न होना कोई खास बात नहीं है। खास बात यह है कि प्रत्याशियों को तो छोड़िए चुनावों को लेकर भी असमंजस की स्थिति मिट नहीं पा रही। अब तक जिस एक प्रत्याशी को लेकर तस्वीर कुछ हद तक साफ हुई है वह हैं पार्टी के कथित असंतुष्ट गुट जी 23 के सदस्य माने जाने वाले शशि थरूर। किंतु परंतु के साथ ही सही, लेकिन उन्होंने यह बात सार्वजनिक तौर पर कह दी है कि वह पार्टी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की सोच रहे हैं। दो दिन पहले वह पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मिले। सूत्रों के हवाले से आई खबरों के मुताबिक सोनिया ने उनसे कहा कि वह इन चुनावों में निरपेक्ष रहेंगी और शशि चाहते हैं तो चुनाव जरूर लड़ें।
अगर इस खबर को सच माना जाए तो इससे पार्टी हलकों का असमंजस कम हो सकता है। इस असमंजस के पीछे एक बड़ी वजह तो यह अपुष्ट खबर या अफवाह है कि पार्टी का मौजूदा नेतृत्व राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत को अगला अध्यक्ष बनाना चाहता है और वह इसके लिए राजी भी हो गए हैं। अगर इस बात में थोड़ी बहुत सचाई हो भी तो सोनिया के ताजा रुख से इतना साफ है कि गांधी परिवार किसी खास उम्मीदवार के लिए प्रत्यक्ष या परोक्ष समर्थन घोषित नहीं करेगा। पार्टी में असमंजस की दूसरी और ज्यादा बड़ी वजह है एक के बाद एक प्रदेश इकाइयों का राहुल गांधी से अगला अध्यक्ष बनने की अपील करते हुए प्रस्ताव पास करना। गहलोत के ही राज्य राजस्थान से यह प्रक्रिया शुरू हुई और अब तक छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र समेत छह प्रदेश इकाइयां सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं।
जब एक तरफ चुनावों की घोषणा हो चुकी है, नामांकन दाखिल करने की तिथि करीब आ रही है, तो दूसरी तरफ प्रदेश इकाइयों का यह प्रस्ताव सहज ही सवाल पैदा करता है कि आखिर पार्टी में चल क्या रहा है और पार्टी नेतृत्व की असली मंशा क्या है। कांग्रेस की अब तक की रीति नीति को देखते हुए यह राय बनना अस्वाभाविक नहीं है कि राहुल गांधी को अपना मन बदलने का बहाना मुहैया कराने के लिए यह पूरी कवायद कराई जा रही है। दूसरी संभावना यह है कि खुद को अति वफादार साबित करने के लिए क्षेत्रीय नेता अपने मन से यह करवा रहे हों। सचाई जो भी हो और प्रत्याशी चाहे जैसे भी हों जितने भी हों, अध्यक्ष का चुनाव घोषित कार्यक्रम के मुताबिक और निष्पक्ष, पारदर्शी तथा विश्वसनीय तरीके से हो, यही पार्टी के हित में है।