सम्पादकीय

रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आईटी विभाग की शिकायत राजनीतिक साजिश या टैक्स फ्रॉड का मामला

Gulabi
12 March 2022 5:12 AM GMT
रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आईटी विभाग की शिकायत राजनीतिक साजिश या टैक्स फ्रॉड का मामला
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रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ आईटी विभाग की शिकायत राजनीतिक साजिश
अजय झा.
कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा (Robert Vadra) पर आयकर विभाग (Income Tax) ने बड़ा आरोप लगाया है. आईटी विभाग के अनुसार रॉबर्ट वाड्रा ने राजस्थान में पिछले 11 सालों में भूमि सौदों से हुई 106 करोड़ रुपये की आमदनी को कम करके दिखाया है. वाड्रा की सात कंपनियों पर 9 करोड़ रुपये की आय को कम दिखाने का भी आरोप है. आयकर विभाग के अधिकारियों का आरोप है कि वाड्रा ने साल 2010-2011 और 2020-2021 के बीच बेनामी संपत्तियों के लेनदेन (Land deal in Rajasthan) से हुई आमदनी को छिपाया है. आयकर नियमों के तहत, आय की कम रिपोर्टिंग के लिए 50 प्रतिशत जुर्माना लगाया जा सकता है. यदि कर से बचने के लिए कम रिपोर्टिंग होती है तो जुर्माना देय कर के 200 प्रतिशत तक जा सकता है. दोषी पाए जाने पर वाड्रा को मोटी रकम का भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है. हालांकि उनके पास आयकर विभाग के आकलन को चुनौती देने का कानूनी अवसर है.
बीजेपी अक्सर 'दामादजी' कहकर रॉबर्ट वाड्रा का मजाक उड़ाती है. कांग्रेस के एक दशक के शासन के दौरान सुपर-रिच होने का आरोप उन पर लंबे समय से लगाया जाता रहा है, हालांकि उनके खिलाफ अब तक कुछ भी साबित नहीं हुआ है. देश के पहले सियासी परिवार के दामाद के खिलाफ आयकर विभाग ने कर चोरी का आरोप लगाया है. हालांकि रॉबर्ट वाड्रा के इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है लेकिन संभावना है कि यह मुद्दा एक राजनीतिक रंग ले सकता है. पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से शादी करने वाले वाड्रा ने कहा, "यह स्पष्ट तौर पर दुर्भावनापूर्ण राजनीति से प्रेरित कार्रवाई है."
बेनामी भूमि लेनदेन से हुई आय कम दिखाने का भी आरोप
चुनावों के मौजूदा दौर के बाद इस साल के अंत में हिमाचल प्रदेश और गुजरात में चुनाव होने हैं, जबकि राजस्थान सहित नौ राज्यों में 2023 में चुनाव होने हैं. वाड्रा पर बीकानेर और कांग्रेस पार्टी शासित राजस्थान के कुछ अन्य हिस्सों में बेनामी भूमि लेनदेन से हुई आय को कम दिखाने का आरोप है. पंजाब में कांग्रेस पार्टी के चुनाव हारने के साथ, पार्टी के पास सिर्फ राजस्थान और छत्तीसगढ़ रह सकते हैं, जहां वह सत्ता में है. इन दो कांग्रेस पार्टी शासित राज्यों में 2024 के आम चुनावों से कुछ महीने पहले मध्य प्रदेश और तेलंगाना के साथ चुनाव होने की उम्मीद है. भारतीय जनता पार्टी की निगाह लगातार तीसरी बार सत्ता में कायम रहने पर है. ऐसे में वाड्रा के खिलाफ आईटी विभाग का खुलासा महत्व रखता है.
दिलचस्प है कि वाड्रा ने इस सप्ताह की शुरुआत में ही अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं का खुलासा करते हुए कहा था कि वे 2024 का संसदीय चुनाव अपने गृहनगर मुरादाबाद या उत्तर प्रदेश की किसी अन्य सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे. साल 1997 में प्रियंका गांधी से शादी करने से पहले वाड्रा छोटे व्यवसायी थे. 2004 में कांग्रेस पार्टी के सत्ता में आने के बाद उनकी संपत्ति और भाग्य दोनों में कई गुना इजाफा हुआ. अगले 10 वर्षों तक कांग्रेस पार्टी सत्ता में रही. इसा दौरान अक्सर उन पर "अंदर की जानकारी" का उपयोग करने का आरोप लगता रहा. उनकी कंपनियां हरियाणा और राजस्थान में औने-पौने दाम पर किसानों से जमीन खरीदती थी और उसे भारी मुनाफे पर बेचती थी.
विपक्ष को नुकसान पहुंचाने के लिए बीजेपी की चाल
2014 के आम चुनावों और कई अन्य चुनावों में भाजपा ने अपनी विरोधी कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने के लिए वाड्रा को भ्रष्टाचार के प्रतीक के तौर पर पेश किया. कहने के लिए, वाड्रा और उनकी फर्मों पर आयकर छापे डाले गए और उन पर बेनामी जमीन का सौदा करने का आरोप लगा. 2014 में केंद्र और हरियाणा में बीजेपी सत्ता में आई और अब तक किसी भी आरोप को तार्किक निष्कर्ष तक नहीं पहुंचाया जा सका है. उनके खिलाफ जांच चल रही है और इससे संकेत मिलता है कि गांधी परिवार को राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के लिए बीजेपी वाड्रा का इस्तेमाल कर रही है. 106 करोड़ की कर चोरी से संबंधित आईटी विभाग का नया खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब अगले साल राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
कर चोरी के मामलों को फिर से खोलने के समय पर होगा विचार
ध्यान देने की बात है कि वाड्रा संशोधित आयकर नियमों के तहत अपना बचाव नहीं कर सकते हैं. हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2021 के बजट भाषण में ऐसे लोगों को राहत देने की घोषणा की थी जो आयकर अधिकारियों डरे-सहमे रहते हैं. संशोधित नियमों के तहत, करदाता से केवल तीन वर्षों के लिए सभी दस्तावेजों को रखने की उम्मीद की जाती है क्योंकि अधिकारी केवल पिछले तीन वर्षों तक के मामले को फिर से खोल सकते हैं. हालांकि गंभीर कर चोरी के मामलों को फिर से खोलने की अवधि को 10 साल तक बढ़ाया जा सकता है. लेकिन इसके लिए अधिकारियों के पास इस बात का सबूत होना चाहिए कि असेसमेंट ईयर में 50 लाख या उससे अधिक की कर चोरी हुई है. ऐसा लग सकता है कि इनकम टैक्स अधिकारियों के पास वाड्रा और उनके कथित गलत कामों के खिलाफ उचित सबूत हैं क्योंकि उन पर 2010-2011 और 2020-2021 के बीच अपनी आय को कम दिखाने का आरोप लगाया गया है. अब उन पर 2013-2014 में 20 करोड़ रुपये और 2019-2020 में 28 करोड़ रुपये की आय छिपाने का आरोप लगाया गया है. यह किसी भी कर चोरी के मामलों को फिर से खोलने के लिए अब तय की गई 10 साल की समय सीमा के दायरे में आता है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त किए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत हैं.)
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