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- निजीकरण से जुड़े मसले
जनता से रिश्ता वेबडेसक | बैंक और बीमा कर्मचारियों ने इन क्षेत्रों के निजीकरण के सरकार के फैसले के खिलाफ दो दिन की हड़ताल की। लेकिन इसे प्रतीकात्मक विरोध ही समझा जाएगा। वैसे भी वर्तमान सरकार किसी विरोध या आंदोलन को बर्दाश्त नहीं करती। चूंकि अभी इन कर्मचारियों का विरोध प्रतीकात्मक है, इसलिए सरकार ने इन पर ध्यान नहीं दिया। ना ही सरकार समर्थक मीडिया ने उस पर गौर किया। बहरहाल, कर्मचारियों को अंदेशा है कि निजीकरण से ना सिर्फ उनको नुकसान होगा, बल्कि ये कदम देश के हित में भी नहीं है। खासकर सरकारी बैंक की सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में अहम भूमिका होती है। जब बैंकों का निजीकरण शुरू हो जाएगा, तो फिर उसका ऐसी योजनाओं पर असर पड़ना तय है। बहरहाल, मीडिया में आई खबरों के मुताबिक फिलहाल केंद्र सरकार ने मध्यम आकार के चार बैंकों का निजीकरण करने का निर्णय लिया है।