सम्पादकीय

इजरायल में घरों को ढहाए जाने की सटीक नीति है, उस मॉडल से लेनी चाहिए प्रेरणा

Gulabi Jagat
27 April 2022 8:41 AM GMT
Israel has a precise policy of demolition of houses, inspiration should be drawn from that model
x
हाथी की सूंड इतनी मजबूत होती है कि वह एक झटके में एक पेड़ को जड़ से उखाड़ सकती है
अभिजीत अय्यर मित्रा का कॉलम:
हाथी की सूंड इतनी मजबूत होती है कि वह एक झटके में एक पेड़ को जड़ से उखाड़ सकती है, वहीं वह इतनी कुशल भी है कि वह किसी पेड़ से उसके पत्तों को छुए बिना एक फूल को तोड़ सकती है। शक्ति का यही महत्व है- ऐहतियात से इस्तेमाल किया जाए तो वह वरदान है, लेकिन दुरुपयोग किया जाए तो वह विनाशकारी भी हो सकती है। बुलडोजर को हम आधुनिक विघ्नविनाशक कह सकते हैं।
ठीक तरह से इस्तेमाल करें तो यह समस्याएं सुलझा सकता है, दुरुपयोग किया जाए तो नई समस्याएं पैदा कर देगा। दिल्ली के जहांगीरपुरी में चलाए गए बुलडोजर की यही कहानी है- बेपरवाह दुरुपयोग। तब कुशलतापूर्वक उपयोग कैसा हो सकता है? ऐसा बुलडोजर तो आज तक बना नहीं, जो किसी पेड़ के पत्तों को छुए बिना फूल तोड़ सके। इसे समझने के लिए इजरायल की ओर देखते हैं।
इजरायल में घरों को ढहाए जाने की बड़ी सटीक नीति है। किसी घर को ढहाने की पहली शर्त है इसकी अनुरूपता। इसलिए इसे आत्मघाती या आतंकी हमले की स्थिति में ही किया जाता है। दूसरे, इसके लिए हमलावर की पहचान को निश्चित रूप से स्थापित करना होता है। आप यों ही किसी के भी घर में घुसकर तोड़फोड़ नहीं मचा सकते। तीसरे, जो घर गिराया जाना है, उसके परिवार को लिखित में नोटिस देना होता है, ताकि वो पहले घर खाली कर सकें।
चौथी बात यह कि हमलावर के वीडियो बड़े पैमाने पर प्रसारित किए जाते हैं, ताकि कोई विक्टिमहुड की कहानी नहीं गढ़ सके। घर खाली कराए जाने का नोटिस भी बड़े पैमाने पर सर्कुलेट किया जाता है। तब जाकर सबकी आंखों के सामने घर ढहाया जाता है। अगर अरब सरकारें आत्मघाती हमलावरों के परिवारों को राहत-राशि देकर पुनर्निर्माण के लिए प्रेरित करती है, तो इन पुनर्निर्माण को भी तोड़ दिया जाता है।
यह हाईली-टारगेटेड पॉलिसी इतनी सफल रही है कि सुसाइड बॉम्बरों के लगभग 98 प्रतिशत परिवार खुद ही अपने परिवार के सदस्य के बारे में सूचना दे देते हैं, ताकि उनका घर ना गिराया जाए। यह भी याद रखा जाना चाहिए कि इस तरह की सुविचारित नीति सुरक्षा-तंत्र के सभी आयामों पर निर्भर होती है, जिनमें न्यायपालिका, पुलिस, प्रचार माध्यम आदि अपना काम ईमानदारी से करते हैं।
वहां ऐसे जज नहीं हैं, जो एक दिन घर गिराने का आदेश देकर दूसरे दिन उसी पर स्टे लगा देते हैं। वहां ऐसी पुलिस का कोई काम नहीं, जो निर्णायक-सबूत नहीं प्रदान कर सके। वहां ऐसे सरकारी प्रवक्ता भी नहीं पाए जाते, जिन्हें यही नहीं पता होता कि कार्रवाई क्या हुई है। अब जहांगीरपुरी को देखें। पहले तो समस्या को बढ़ने दिया गया। अतीत में हुए दंगों पर इतनी कमजोर प्रतिक्रिया रही कि दंगाइयों के हौसले बुलंद हुए।
ठोस वीडियो एविडेंस नहीं जुटाए जा सके। 2019 में अवैध अतिक्रमणों और निर्माणों को रेगुलराइज कर दिया गया यानी इस आपराधिक गतिविधि को पुरस्कृत ही किया गया। कल्पना करें कि आप जहांगीरपुरी में एक अवैध मकान में रहते हैं। आपने यह घर बिना अनुमति के या बिना कर चुकाए बनाया है और आप बिजली-पानी की भी चोरी करते हैं।
पुलिस को आप हर महीने घूस खिलाते हैं। जरूरत पड़ने पर गुंडों को भी पोसते हैं। ऐसे में अपराधों के प्रति आपकी प्रवृत्ति मजबूत हो जाती है। एक दिन सरकार भी इसे वैध घोषित कर देती है। आप जानते हैं कि जब बुलडोजर आएंगे तो वे सबसे कमजोर लोगों पर ही चलेंगे, जिन्हें कोई संरक्षण नहीं है।
त्वरित कार्रवाई, निरंतरता, पूर्वानुमान : निवारण के ये तीन तत्व हैं। यही कारण है कि गणेश की पत्नियों के नाम रिद्धि-सिद्धि हैं, क्योंकि बुद्धि तभी उपयोगी है जब उससे कुछ व्यावहारिक सिद्धि मिलती हो। जहांगीरपुरी का बुलडोजर ऐसे गजराज की तरह था, जिसे रिद्धि-सिद्धि ने त्याग दिया था।
निर्माणों को ढहाए जाने का संबंध दंगों से जोड़ना एक भूल थी। केवल गैरकानूनी होने की बात कहकर बुलडोजर चलाए जा सकते थे। लेकिन ताकत दिखाने के फेर में इसे दंगों की सजा के रूप में निरूपित किया गया। यह आत्मघाती-गोल से कम नहीं था।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
Next Story