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- इस्राइल-हमास लड़ाई :...
आदित्य चोपड़ा | पिछले 11 दिनों से इस्राइल और फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास के बीच शुक्रवार की रात दो बजे संघर्ष विराम हो गया था, लेकिन संघर्ष विराम 15 घंटे भी नहीं चला कि दोनों में फिर झड़पें शुरू हो गईं। रात के वक्त ही हजारों फिलिस्तीनी अल अम्सा मस्जिद पहुंच कर जश्न मनाने लगे थे। तब इस्राइली सुरक्षा बलों ने उन पर कार्रवाई की। हालांकि बमों और राकेट की आवाजें थम चुकी हैं। दोनों पक्षों के बीच शांति बहुत जरूरी है। इसके लिए अमेरिका, मिस्र और कतर काम कर रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि तनाव में कमी आएगी। इस लड़ाई से पूरे मध्यपूर्व में तनाव व्याप्त है। कोरोना महामारी से लड़ रही पूरी दुनिया में हताशा का माहौल है, इस बीच इस्राइल-फिलिस्तीन लड़ाई ने हताशा को और गहरा बना दिया है। दोनों पक्षों के बीच यह संघर्ष वैश्विक मुद्दा बनता जा रहा था। इसी कड़ी में कई देश अलग-अलग धाराओं में बंट गए। अधिकतर इस्लामिक देश फिलिस्तीनियों के समर्थन में दिखाई दिए। सऊदी अरब, तुर्की, ईरान, पाकिस्तान, कुवैत और कई खाड़ी देशों ने इस्राइल की निंदा की। सऊदी अरब और तुर्की तो ज्यादा मुखर रहे। सऊदी अरब में इस हमले के लिए इस्राइल को जिम्मेदार ठहराया और इसे तत्काल रोकने की मांग की। सऊदी अरब ने फिलिस्तीनियों का साथ देते हए कहा कि हम फिलिस्तीन में हर तरह के कब्जे का समर्थन करते हैं। इस समस्या का समाधान तभी होगा जब फिलिस्तीनियों को 1967 की सीमा के तहत उनका एक स्वतंत्र मुल्क होगा, जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम होगी।