सम्पादकीय

राजनीति से बेहतर क्या कोई और व्यवसाय हो सकता है?

Gulabi
8 Jun 2021 6:52 AM GMT
राजनीति से बेहतर क्या कोई और व्यवसाय हो सकता है?
x
अठारहवीं सदी में ब्रिटेन में सैमुएल जॉनसन (Samuel Johnson) नाम के एक प्रसिद्द लेखक होते थे

अठारहवीं सदी में ब्रिटेन में सैमुएल जॉनसन (Samuel Johnson) नाम के एक प्रसिद्द लेखक होते थे, जिनकी देन अंग्रेजी साहित्य (English Literature) के लिए अभूतपूर्व मानी जाती है. राजनीति पर वह अक्सर लेख लिखा करते थे, अंग्रेजों और अन्य यूरोपीय देशों की एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवादी नीति (Colonial Policy) के वह सख्त खिलाफ थे, ज़ाहिर है कि उनके लेखों में राजनीतिज्ञ निशाने पर होते थे. उम्र के आखिरी पड़ाव में जॉनसन ने राष्ट्रवाद के नाम पर चल रही लूट पर कटाक्ष करते हुए कहा था, 'Patriotism Is The Last Refuge Of A Scoundrel' (देशभक्ति एक बेईमान के लिए आखिरी शरण है.) जिस पर काफी विवाद भी हुआ. बाद के वर्षों में इसे तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाने लगा और Patriotism की जगह इसमें Politics जोड़ दिया गया और राजनीति को एक बेईमान की आखिरी शरण के रूप में जाना जाने लगा, जो आज सच है.

पूरे विश्व में नेता बदनाम होते हैं, पर भारत के सन्दर्भ में यह बिलकुल फिट बैठता है. अब राजनीति में कोई भी देश या समाज सेवा के भाव से नहीं आता है. उसका एक ही उद्देश्य होता है आत्म सेवा. अक्सर देखा जाता है कि जो पढ़ाई-लिखाई में कमजोर होता है या जो दबंग किस्म के लोग होते हैं, कुछ और काम नहीं कर सकते वह राजनीति में आ जाते हैं. राजनीति उनके लिए एक पेशा होता है और पैसा कमाने का एक जरिया.
भ्रष्टाचारियों से भरी है भारत की राजनीति
पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 12वीं की बोर्ड परीक्षा न करवाने का ऐलान किया तो उसके बाद कहीं एक कार्टून छपा था जिसमें बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को यह कहते हुए दिखाया गया था कि अगर कोरोना कुछ साल पहले आया होता तो उनके दोनों बेटे 12वीं पास कहलाते. मजाक में ही सही, पर इस कार्टून में एक हकीकत झलक रही थी. लालू प्रसाद के दोनों बेटों ने स्कूल में ही पढ़ाई को अलविदा कह दिया था. दोनों करोड़पति हैं. सोचने वाली बात है कि अगर वह राजनीति में नहीं होते तो क्या कर रहे होते? उनके पास पैसा कहां से आता? लालू प्रसाद स्वयं ही गरीब परिवार से थे, राजनीति में आने के बाद करोड़ों की सम्पति के स्वामी बन गए. भ्रष्टाचार का उन्हें ऐसा चस्का लगा कि उनकी राजनीति का अंत चारा घोटाले में जेल जा कर ही ख़त्म हुआ.
जो नेता कभी गरीब हुआ करते थे उन्हें राजनीति ने रातों-रात मालामाल कर दिया
लालू प्रसाद, मुलायम सिंह यादव, मायावती भ्रष्टाचार के पर्यायवाची बन गए. राजनीति में आने से पहले मामूली इंसान रातों-रात धनाढ्य बन गये. मायावती ने तो इसमें सभी को पीछे छोड़ दिया और शरद पवार के साथ मायावती की भी देश के सबसे धनी नेताओं में गिनती होने लगी. कमोबेश ऐसे नेता सभी पार्टी में मिल जायेंगे और इमानदार नेता चिराग ले कर ढूंढने से ही अब मिलते हैं. विधायक या सांसद तो बहुत बड़ा पद होता है, नगर निगम में चुने जाने के बाद पार्षदों की भी लॉटरी निकल आती है, पांच साल के अन्दर ही झोपड़ी की जगह महल बन जाता है और जो साइकिल या स्कूटर में चलता था, बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमने लगता है. राजनीति एक पेशा बन चुका है जिसमे लोग शोहरत और दौलत कमाने ही आते हैं. पर दुर्भाग्य है कि लालू, ओमप्रकाश चौटाला या जयललिता जैसे गिने चुने नेताओं को ही भ्रष्ट्राचार के आरोप में सजा मिलती है. देश सेवा के नाम पर देश को लूटने का नंगा नाच खुलेआम चलता रहता है.
भारत की राजनीति में भ्रष्टाचार की शुरुआत देश की आज़ादी के ठीक बाद ही शुरू हो गया था. नेहरु के ज़माने में जीप घोटाला से इसका श्रीगणेश हुआ और यह सिलसिला आज तक जारी है. यह सोचना भी संभव नहीं है कि अगर तेजश्वी यादव, तेज प्रताप यादव, राहुल गांधी, हरियाणा में चौटाला और भजनलाल परिवार, जगनमोहन रेड्डी, एच.डी. कुमारस्वामी वगैरह जीवन में क्या करते होते अगर वह राजनीति में नहीं होते तो? क्यों अखिलेश यादव विदेश में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद भी राजनीति में आये? ठाकरे परिवार ने ना तो कभी कोई नौकरी की ना ही कोई व्यापार, तो उनके पास इतना पैसा कहां से आया?
देश के युवाओं को परेशान होने की ज़रुरत नहीं है. अगर आप पढ़ाई में कमजोर हैं या बेरोजगार हैं तो राजनीति का पेशा है ना! राजनीति का नाम इतना बदनाम हो चुका है कि पढ़े लिखे और अच्छे घरों के युवा राजनीति से आज दूर ही रहते हैं. देश सेवा तो सीमा पर डटे सैनिक करते हैं, समाजसेवा तो नगरनिगम और मुनिसिपलिटी के सफाई कर्मचारी करते हैं, राजनीति आज भी किसी बेईमान का आखिरी शरण ही है. 'ना हींग लगे ना फिटकिरी और रंग आये चोखा' वाली कहावत एक व्यवसाय के रूप में राजनीति पर बिलकुल फिट बैठती है.
Gulabi

Gulabi

    Next Story