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बिहार में तेज प्रताप और तेजस्वी यादव की लड़ाई कहीं एलजेपी की कहानी तो नहीं दोहराने वाली है?

लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) और राबड़ी देवी (Rabri Devi) के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) इन दिनों फिर सुर्ख़ियों में हैं. यह कोई नई बात नहीं है. तेज प्रताप कुछ ना कुछ ऐसा करते ही रहते हैं कि वह चर्चा में रहें, भले ही कई बार गैर-राजनीतिक कारणों से. पर इस बार जो भी हो रहा है उसका कारण पूर्ण रूप से राजनीतिक है, जिसके बिहार (Bihar) की राजनीति में दूरगामी प्रभाव पड़ सकते हैं. जब माता और पिता दोनों मुख्यमंत्री रहे हों तो उम्मीद यही की जाती है कि वह बालक जन्म से ही राजनीति की घुट्टी पी कर बड़ा हुआ होगा. वैसे भी एक परंपरा है कि बाप की गद्दी बड़े बेटे को ही मिलती है. पर जब चारा घोटाले में लालू प्रसाद को जेल की सजा हुई तो पार्टी की बागडोर लालू ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को सौंपी. कारण था तेज प्रताप का 'मूडी' होना. लेकिन लालू प्रसाद ने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि तेज प्रताप भी बेरोजगार ना रहें.
2015 के विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप और तेजस्वी जो उनसे डेढ़ वर्ष छोटे हैं, दोनों पहली बार विधायक चुने गए, बिहार में महागठबंधन की नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनी जिसमें तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बने और तेज प्रताप कैबिनेट मंत्री. 33 वर्षीय तेज प्रताप राजनीति से ज्यादा धर्म से जुड़े रहते हैं, अपने को कृष्ण का अवतार मानते हैं और पटना से ज्यादा वृंदावन में देखे जाते हैं. उनकी पत्नी ऐश्वर्या राय जिनसे तेज प्रताप का फ़िलहाल तलाक का केस चल रहा है ने पूर्व में उन पर आरोप लगाया था कि तेज प्रताप नशा के आदी हैं जिसके कारण उनकी शादी नहीं चली. तेज प्रताप और विवाद का शुरू से ही चोली-दामन का रिश्ता रहा है. पर इस बार विवाद राजनीतिक कारणों की वजह से परिवार की जड़ हिलाने लगा है, क्योंकि इस बार दोनों भाई अब एक दूसरे के आमने-सामने हैं, जिससे लालू प्रसाद की परेशानी बढ़ सकती है.
क्या है विवाद की जड़?
विवाद सिर्फ इतना था कि आरजेडी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने पार्टी के युवा इकाई के बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद से आकाश यादव को बर्खास्त कर दिया. जगदानंद सिंह लालू यादव के करीबियों में गिने जाते हैं और तेजस्वी से उनके अच्छे संबंध हैं. आकाश यादव तेज प्रताप के करीबी माने जाते हैं. तेज प्रताप की एक खासीयत है, वह अपने साथ के लोगों के पक्ष में हमेशा खड़े रहते हैं. लिहाजा उन्हें आकाश यादव को बिना उनसे मशविरा किये हटाया जाना अच्छा नहीं लगा.
तेज प्रताप ने जगदानंद सिंह के खिलाफ एक बयान दिया जिसके जवाब में जगदानंद सिंह ने सवाल कर डाला कि तेज प्रताप होते कौन हैं कि वह उनसे सलाह करें, क्योंकि वह पार्टी के मात्र एक विधायक हैं. गुस्से में तेज प्रताप ने कह दिया की जगदानंद सिंह उनके पिता से पूछें की वह कौन हैं. चूंकि लालू प्रसाद यादव जेल से बेल पर छूटने के बाद दिल्ली में रह रहे हैं और वहीं उनका इलाज चल रहा है, इसलिए जगदानंद सिंह की शिकायत करने तेज प्रताप शुक्रवार को तेजस्वी से मिलने गए. तेजस्वी फिलहाल बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं पर रहते अपनी मां के साथ हैं.
तेज प्रताप का आरोप उन्हें तेजस्वी से नहीं मिलने दिया गया
तेज प्रताप बंगले में गए और जल्द ही गुस्से में तमतमाए हुए बाहर निकले और मीडिया से कहा कि उन्हें अपने छोटे भाई से मिलने नहीं दिया गया. तेज प्रताप खुद को कृष्ण और तेजस्वी को अर्जुन कहते हैं. "जब हम तेजस्वी यादव से मिल रहे थे, उसी दौरान संजय यादव (तेजस्वी के सलाहकार) ने हमें मिलने से रोका और बीच में आकर रुकावट पैदा की. वे आए और तेजस्वी यादव को लेकर कमरे में चले गए… वो हम दोनों भाइयों को मिलने से रोकने वाला कौन होता है?"
थोड़ी देर बाद तेजस्वी बाहर निकले और उन्होंने खुलासा किया कि शुक्रवार शाम 4:30 बजे सोनिया गांधी द्वारा बुलाये गए विपक्षी नेताओं की वर्चुअल मीटिंग में उन्हें शामिल होना था, जिसके कारण उनकी तेज प्रताप से ठीक से बात नहीं हो पायी. "तेज प्रताप यादव आए थे, मुलाकात हुई थी. सभी को पता है कि 4:30 बजे शाम में मुझे सोनिया गांधी द्वारा आहूत मीटिंग में शामिल होना था. अब मीटिंग बुलाई जाएगी तो शामिल तो होना ही पड़ेगा ना. जो बातें तेज प्रताप ने कह दी वो ठीक है. बड़े भाई हैं हमारे. लेकिन पार्टी में शामिल लोगों को माता-पिता ने एक बात जरूर सिखाई है, हमारे संस्कार में ये दिया गया है कि बड़ों की इज्जत करो, सम्मान करो. थोड़ा अनुशासन में भी रहो. नाराजगी होते रहती है." तेजस्वी ने कहा और बातों-बातों में यह मान गए कि बिहार में कृष्ण और अर्जुन के बीच जंग छिड गयी है.
क्या लालू यादव करा पाएंगे अपने दोनों बेटों में सुलह
आरजेडी नेताओं को संजय यादव से शिकायत रहती है कि तेजस्वी उनके वश में होते हैं और तेजस्वी वही करते हैं जो संजय चाहते हैं. बात वहीं ख़त्म नहीं हुई. तेज प्रताप का बाद में एक और बयान आया कि उन्हें सड़क मार्ग से नयी दिल्ली के लिए निकलना था पर संजय यादव के कहने पर उनके बॉडीगार्ड मोबाइल फ़ोन बंद करके गायब हो गए, जिसके कारण उनकी हत्या तक हो सकती है. तेजस्वी यादव नयी दिल्ली आ चुके हैं. सोमवार को वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने वाले हैं. दोनों की 6 बहने दिल्ली में ही रहती हैं और वह रक्षाबंधन के दिन दिल्ली में रहना चाहते थे. तेज प्रताप भी रक्षाबंधन में दिल्ली आना चाहते थे, पर अभी इसकी जानकारी नहीं है कि वह बिना बॉडीगार्ड के नयी दिल्ली आये या नहीं. अगर आये हों तो संभव है कि लालू प्रसाद अपने दोनों बेटों में सुलह करने की कोशिश कर सकते हैं.
कृष्ण और अर्जुन की लड़ाई का क्या होगा परिणाम?
जगदानंद सिंह का यह कहना कि तेज प्रताप होते कौन हैं सिवाय एक विधायक होने के तकनीकी रूप से सही है. तेज प्रताप ने पार्टी में कभी कोई पद नहीं संभाला है. शुक्र है कि कांग्रेस पार्टी में किसी ने आज तक राहुल गांधी से यह सवाल नहीं किया कि वह होते कौन हैं, सिवाय एक सांसद होने के. पर कांग्रेस पार्टी के सारे फैसले राहुल गांधी ही लेते हैं और अगर तेज प्रताप की बस इतनी ही आशा थी कि उनके एक चहेते नेता को पद से हटाने से पहले उन्हें पूछ भी लिया जाता तो गलत भी क्या था. इतना तो तय लगता है कि आकाश यादव को पद से हटाने का निर्णय तेजस्वी से पूछ कर ही लिया गया होगा. इस बार तेज प्रताप के तेवर अलग हैं और तेजस्वी का यह कहना कि उन्हें अनुशासन में रहना चाहिए, लगता है कि कृष्ण और अर्जुन के लड़ाई इतनी जल्दी समाप्त नहीं होने वाली है.
अभी इस बात की पुष्ट जानकारी नहीं है कि तेज प्रताप के पीछे कौन हैं, पर कहीं ना कहीं ऐसा प्रतीत होने लगा है कि जो कुछ पिछले दिनों बिहार की एक और पार्टी एलजेपी में हुआ, कहीं उसे आरजेडी में भी तो नहीं दोहराया जाने वाला है? एलजेपी में चाचा पशुपति पारस ने बगावत कर दी और भतीजे चिराग पासवान को पार्टी अध्यक्ष पद से हटा दिया, फिर एलजेपी का विभाजन हो गया. उस समय आरोप लगाया गया था कि पशुपति पारस ने ऐसा नीतीश कुमार के इशारे पर किया था.
क्या इस विवाद में नीतीश कुमार का हाथ है?
नीतीश कुमार सरकार को अगर कहीं से खतरा है तो वह आरजेडी ही है. पिछले वर्ष सरकार बनने के ठीक बाद लालू प्रसाद पर आरोप लगा था कि वह जेडीयू के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं ताकि बिहार में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी की सरकार बन जाए. अगर आरजेडी में फूट पड़ी और उसका विभाजन हो गया तो इसका सबसे ज्यादा फायदा नीतीश कुमार को ही होगा. नीतीश कुमार के बारे में यह बात मशहूर है कि जो उनसे टकराने की कोशिश करता है उसे पछताना पड़ता है, चाहे वह जॉर्ज फ़र्नांडिस हों, शरद यादव हों या फिर चिराग पासवान. संभव है कि तेज प्रताप के बगावत के पीछे नीतीश कुमार की कुटिल नीति हो.
इतिहास गवाह है कि सत्ता के लालच में बेटा बाप की, भाई-भाई की हत्या तक कर देता था. लालू प्रसाद 73 वर्ष के हो चुके हैं और काफी समय से उनका स्वास्थ्य भी ठीक नहीं चल रहा है. कहीं ऐसा तो नहीं कि यह दो भाइयों की अनबन नहीं बल्कि एक जंग की शुरुआत हो गयी है. और अगर ऐसा हुआ तो बिहार की राजनीति में एक नया और दिलचस्प मोड़ आ सकता है.