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- क्या चुनाव सुधार बिल...

रवीश कुमार, आधार ऐसे ही आता है. स्वेच्छा के नाम पर आता है तब भी धीरे-धीरे अनिवार्य बन जाता है. व्यवहार में आधार को लेकर अनिवार्य और स्वेच्छा का फर्क मिट गया है. गिनती के लोग होंगे जो आधार नंबर मांगे जाने पर चेक करते होंगे कि अनिवार्य है या स्वेच्छा. ऐसी आदत हो गई है कि अब सारे विकल्पों को छोड़ कर आधार ही सबसे पहले जमा कर दिया जाता है. कोरोना के टीके के लिए भी आधार अनिवार्य नहीं बनाया गया लेकिन इसका अध्ययन होगा तो पता चल जाएगा कि वैकल्पिक होने के बाद भी कितने लोगों ने टीका लगाने के लिए आधार का प्रयोग किया है. यही नहीं स्वेच्छा से बोल कर भी आधार नंबर को अनिवार्य बनाने के लिए सरकार के पास सौ तरीके होते हैं. Election Law Amendment Bill 2021 लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया है. इसके बाद मतदाता सूची को आधार नंबर से जोड़ना आसान हो जाएगा. इस बिल की शब्दावली को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि मतदाता सूची को आधार से लिंक करना अनिवार्य है. जानकारों का कहना है कि सरकार का यह दावा कि स्वेच्छा पर निर्भर करेगा इसे साफ-साफ बिल में नहीं लिखा गया है.
