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समाजवादी पार्टी के विधायक और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के चाचा शिवपाल सिंह यादव की सीतापुर जेल में पार्टी विधायक आजम खान के साथ मुलाकात, आमतौर पर एक सामान्य मुलाकात की ही थी
हरीश तिवारी |
समाजवादी पार्टी के विधायक और पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के चाचा शिवपाल सिंह यादव की सीतापुर जेल में पार्टी विधायक आजम खान के साथ मुलाकात, आमतौर पर एक सामान्य मुलाकात की ही थी. लेकिन इस मुलाकात के अपने सियासी मायने भी और मतलब भी. क्योंकि इस मुलाकात की टाइमिंग ऐसी है, जिसे राजनीति के पंडित समझ तो रहे हैं. लेकिन कोई भविष्यवाणी नहीं कर रहे हैं. इस मुलाकात के बाद राज्य में नए सियासी समीकरण भी शुरू हो सकते हैं और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) को झटका भी लग सकता है. इन सब के बीच आजम खान को लेकर कुछ अच्छी खबर आ जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होगा. आजम खान 26 महीनों से जेल की चारदिवारी के बीच समय काट रहे और शिवपाल सिंह (Shivpal Singh Yadav) ने मुलाकात के बाद कुछ ऐसे संकेत दिए हैं. जिसके बाद माना जा रहा है कि आने वाले समय में आजम खान जेल से बाहर भी आ सकते हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें कीमत तो चुकानी पड़ेगी.
सीतापुर जेल से बाहर निकलने के बाद शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के साथ ही मुलायम सिंह पर निशाना साधा. लेकिन इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव ने एक बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि वह राज्य के सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करेंगे और आजम खान के मुद्दे को उनके सामने उठाएंगे. मतलब साफ है कि अगर आजम की मदद अखिलेश और मुलायम सिंह नहीं करते हैं तो वह सीएम योगी आदित्यनाथ से मदद लेंगे. शिवपाल योगी आदित्यनाथ से मदद लेंगे, जिन पर आजम खान और उनका परिवार पिछले तीन साल से आरोप लगा रहा है और आजम को जेल भेजे जाने के लिए जिन्हें जिम्मेदार बता रहा है. ऐसे में शिवपाल का ये बयान काफी अहम हो जाता है. क्योंकि सियासत में किसी भी रियायत की कीमत होती है और जेल के बाहर आने के लिए आजम खान को भी कुछ ना कुछ तो कीमत चुकानी ही पड़ेगी. हालांकि आजम खान परोक्ष तौर पर जता चुके हैं कि वह अखिलेश यादव से नाराज हैं और शिवपाल का उनसे मिलना और सीएम योगी से आजम खान के लिए मदद मांगने की टाइमिंग, भविष्य के किसी बड़े सियासी तूफान की ओर तो इशारा जरूर कर रहे हैं. भले ये तूफान कुछ दिनों के बाद आए या फिर लोकसभा चुनाव से पहले।
सपा में बन गए हैं दो गुट
समाजवादी पार्टी में वर्तमान में देखें तो दो गुट बन गए हैं. एक गुट अखिलेश यादव और उनके समर्थकों का. जबकि दूसरा नाराज गुट. जिसमें शिवपाल और आजम खान के साथ कुछ नेता है. अखिलेश यादव को खुले तौर पर मुलायम सिंह यादव का समर्थन है. जबकि दूसरे गुट के लोग अभी खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं. आजम खान को लेकर मुस्लिम नेता एकजुट हैं और लगातार प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर अखिलेश यादव के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. लेकिन सबको आजम खान के इशारे का इंतजार है. विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में आजम खान अपने करीबी एक दर्जन मुस्लिम नेताओं को टिकट देने की मांग की थी. जिसे पार्टी अध्यक्ष ने ठुकरा दिया. जिसके बाद आजम खान के करीबी नेता उनकी पहल के इंतजार में खामोश बैठ हैं. लेकिन शिवपाल सिंह यादव की आजम खान से मुलाकात के बाद आजम समर्थक खुश दिखाई दे रहे हैं.
शिवपाल के सीएम योगी से अच्छे संबंध
शिवपाल सिंह यादव समाजवादी के उन नेताओं में से हैं. जिनके सभी सियासी दलों के नेताओं के साथ अच्छे रिश्ते हैं. पिछले पांच साल में सीएम योगी आदित्यनाथ से वैचारिक मतभेदों के बावजूद शिवपाल उनकी तारीफ करते रहे. हालांकि इसके ऐवज में बीजेपी और योगी आदित्यनाथ सरकार ने उन्हें पुरस्कृत भी किया. शिवपाल को लखनऊ में बड़ा बंगला मिला तो उनके आईएएस दामाद को तमाम नियमों को दरकिनार करते हुए डेपुटेशन का एक्सटेंशन भी मिला है. ये तो बानगी भर है और पूरे पांच साल योगी आदित्यनाथ सरकार उन्हें उपकृत करती रही है. अब अगर शिवपाल कह रहे हैं कि वह आजम खान के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ से बात करेंगे तो इसमें कोई बड़ी बात भी नहीं होगी. ऐसा भी हो सकता है कि राज्य सरकार शिवपाल की गुजारिश पर आजम के खिलाफ नरम हो जाए और आजम खान जेल से बाहर आ जाएं.
सपा से निकलने से पहले अखिलेश को गंभीर चोट देना चाहते हैं शिवपाल
फिलहाल बीजेपी शिवपाल और आजम खान की नाराजगी का फायदा उठाना चाहती है. अभी तक शिवपाल ने बीजेपी में जाने के पत्ते नहीं खोले हैं. ना ही बीजेपी की तरफ से इसको लेकर कोई पहल की गई है. लिहाजा ये माना जा सकता है कि आजम खान और शिवपाल की मुलाकात के बाद बीजेपी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को बड़ा सियासी झटका देने की तैयारी में है. शिवपाल को पार्टी में लाकर बीजेपी को कुछ ज्यादा फायदा नहीं होगा. लेकिन अगर आजम खान सपा को छोड़ते हैं तो राज्य में सपा के जनाधार को चोट पहुंचेगी और लोकसभा चुनाव में इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा. इस बार विधानसभा चुनाव में 90 फीसदी मुस्लिमों ने सपा को वोट दिया है. लेकिन आजम खान की नाराजगी के बाद अब मुस्लिम वोटर और नेता गुस्से में है और पिछले एक महीने के दौरान सपा के कई नेता पार्टी अध्यक्ष पर मुस्लिम और पार्टी नेता आजम खान की अनदेखी करने का आरोप लगा चुके हैं. ऐसे में अगर शिवपाल के जरिए बीजेपी आजम खान को सपा से अलग कर सकी तो ये बीजेपी की बड़ी जीत होगी और शिवपाल सिंह यादव को इसका इनाम भी मिलेग
शिवपाल का सियासी वजूद खतरे में
अगर पिछले पांच साल का रिकार्ड देखें तो शिवपाल सिंह समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद खुद को स्थापित नहीं कर सके. वह विधानसभा में विधायक भी सपा के हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में शिवपाल ने सपा को करीब पांच सीटों पर बड़ा नुकसान पहुंचाया, लेकिन वह एक ही भी सीट जीतने में कामयाब नहीं हो सके. जबकि विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी पीएसपी एक भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ी. ऐसे में शिवपाल के पास अपना सियासी वजूद बचाने के लिए दो ही विकल्प हैं. पहला या तो वह बीजेपी में शामिल हो जाए. या फिर आजम खान जैसे दिग्गज मुस्लिम नेता के साथ मिलकर राज्य में अपनी पार्टी को सपा के विकल्प के तौर पर स्थापित करे. इसके लिए बीजेपी उनकी बैक डोर से मदद कर सकती है. क्योंकि मुस्लिम वोटों को सपा से अलग करना वर्तमान में बीजेपी का बड़ा मकसद है. राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ मुस्लिमों में बीजेपी के प्रति सहानुभूति देखने को मिली थी लेकिन ये वोट में कंवर्ट नहीं हो सका था. अब बीजेपी को लग रहा है कि सपा के मुस्लिम वोट बैंक के कमजोर होने के बाद मुसलमानों का झुकाव उसकी तरफ हो सकता है.
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