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रवीश कुमार। कानून को लेकर केंद्र और राज्य के बीच टकराव का एक नया मोर्चा नीट परीक्षा को लेकर खुल गया है. केंद्र के नागरिकता कानून, कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ कई राज्यों की विधानसभा में प्रस्ताव पास हुए हैं. इस कड़ी में नीट की परीक्षा का मुद्दा भी जुड़ गया है. 13 सितंबर को तमिलनाडु राज्य विधानसभा में जब इसके ख़िलाफ़ बिल लाया गया तब उसका समर्थन विपक्षी दल AIDMK ने भी कर दिया. AIDMK की सहयोगी बीजेपी ने विधानसभा में मतदान का बहिष्कार किया. पूरा राज्य नीट परीक्षा के सिस्टम से अलग होने पर अड़ा है. तमिलनाडु नीट परीक्षा से तभी अलग हो सकेगा जब राष्ट्रपति विधानसभा में पास बिल को मंज़ूरी देंगे. केंद्र सरकार के बनाए कानून से निकलने के लिए यह एक ज़रूरी प्रक्रिया है. इसी से जुड़ा एक किस्सा भी है. 2015 में जब बीजेपी के पास राज्यसभा में बहुमत नहीं था वह भूमि अधिग्रहण बिल का संशोधन नहीं करा सकती थी, तब अरुण जेटली का एक बयान है कि राज्य सरकारें इस बिल को पास करें और केंद्र से मंज़ूरी ले लें मतलब राष्ट्रपति मंज़ूरी दे देंगे. 2017 में भी तमिलनाडु विधानसभा ने इसी तरह का प्रस्ताव पास किया था तब भी मंज़ूरी नहीं मिली थी. 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर दिया कि मेडिकल की एक राष्ट्रीय परीक्षा होगी. लेकिन किसी को अंदाज़ा नहीं था कि इस एक आदेश से उस साल के आस-पास मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों के जीवन पर क्या असर पड़ने वाला था.