सम्पादकीय

क्या विवाह गुरिल्ला युद्ध की तरह है; मौका मिलते ही पति या पत्नी अपने साथी की कमजोर नब्ज दबाने की कोशाश में रहते हैं

Rani Sahu
6 Dec 2021 5:00 PM GMT
क्या विवाह गुरिल्ला युद्ध की तरह है; मौका मिलते ही पति या पत्नी अपने साथी की कमजोर नब्ज दबाने की कोशाश में रहते हैं
x
मौका मिलते ही पति या पत्नी अपने साथी की कमजोर नब्ज दबाने की कोशाश में रहते हैं

जयप्रकाश चौकसे ताजा खबर है कि एक पति ने अपनी पत्नी को इसलिए तलाक दे दिया क्योंकि वह बड़ी प्राशासनिक अफसर नहीं बन पाई। वैसे उस महिला ने पढ़ाई तो बहुत की थी परंतु उसे परिणाम आने पर कम अंक मिले इसलिए वह असफल रही। अत: ऐसे प्रकरणों के आधार पर कहा जा सकता है कि संबंध तोड़ना कुछ लोगों के लिए एक मखौल बन गया है।

विवाह को एक गुरिल्ला युद्ध में बदल दिया जाता है कि मौका पाते ही पति या पत्नी अपने साथी की कमजोर नब्ज दबाकर अपनी सुरक्षित पहाड़ी के पीछे छुप जाते हैं। सच तो यह है कि विवाह का एकमात्र कारण प्रेम होता है और संबंध अकारण ही तोड़े जा सकते हैं। दरअसल तोड़ने की नकारात्मकता मानव मस्तिष्क का स्वभाविक पक्ष है।
राजकुमार राव अभिनीत फिल्म 'शादी में जरूर आना' में विवाह के समय ही दुल्हन भाग जाती है। वजह दुल्हन का किसी अन्य से प्रेम नहीं है परंतु उसकी महत्वाकांक्षा एक प्रशासनिक अफसर बनने की है और उसे लगता है कि ‌विवाह के बाद उसे आगे पढ़ाई करने से रोका जाएगा इसलिए वह यह कदम उठाती है। कुछ समय बाद राजकुमार राव अभिनीत पात्र सरकारी अफसर बन जाता है।
उसका विवाह जिस महिला के साथ होना था, वह भी अन्य महकमे में आला अफसर बनती है। दोनों की सरकारी मुलाकातें औपचारिक मात्र रह जाती हैं। संबंध में पड़ी गठान मजबूत हो जाती है। फिल्म में आगे महिला अफसर, राजकुमार राव अभिनीत पात्र से विवाह का अनुरोध करती है। वह इसे अनसुना कर देता है। महिला उसे जताती है कि वह उससे प्रेम करता है परंतु उसने अपनी भावना पर अंकुश लगाया हुआ है। महिला उससे यह भी कहती है कि उससे प्रेम के कारण उसने अभी तक विवाह नहीं किया है। लेकिन पुरुष अफसर टस से मस नहीं होता।
फिल्म में आगे महिला अफसर पर आरोप लगता है कि उसने रिश्वत लेकर सरकारी जमीन, एक ठेकेदार को दी है ताकि ठेकेदार वहां अनाधिकृत बहुमंजिला बना सके। प्रकरण 50 लाख रु. की रिश्वत का है। कुछ सबूत पेश किए जाते हैं। राजकुमार राव अभिनीत अफसर पात्र को तहकीकात के लिए एकल अफसर नियुक्त किया जाता है। महिला अफसर का पिता अपनी पगड़ी, राव अभिनीत पात्र के पैरों में रख देता है। अफसर उन्हें सम्मान सहित पगड़ी लौटाता है।
गहन तहकीकात शुरू होती है। दरअसल, उस ठेकेदार के साथ दफ्तर के कर्मचारी भी भ्रष्टाचार में शामिल होते हैं और महिला अफसर को जाल बुनकर धोखे से फंसाया जाता है। उस महिला अफसर के बंगले की तलाशी भी होती है लेकिन उसके बंगले में कुछ नहीं मिलता।
फाइनल रिपोर्ट दर्ज करने के लिए उच्च अधिकारियों की बैठक बुलाई जाती है। राजकुमार राव अभिनीत पात्र कमेटी को कुछ वीडियो दिखाता है, जो उसके आदेश पर गुप्तचर विभाग ने बनाए हैं। राव सप्रमाण सिद्ध करता है कि महिला अफसर के साथ उसके साथियों द्वारा धोखा किया गया है वह निर्दोष है। इस तरह वह महिला को न्याय दिलाता है। फिल्म सुखांत है और अंत में सब कुछ ठीक हो जाता है।
कुछ फिल्मों में शादियां अजीबोगरीब हालात में होती है। अनिल कपूर और तब्बू अभिनीत एक फिल्म में दहेज के कारण बारात लौट जाती है। लड़की का पिता आत्महत्या के लिए मजबूर होता है कि अब उसकी बेटी से कोई विवाह नहीं करेगा। फिल्म में अनिल कपूर पढ़ा-लिखा गांव का धनवान जमींदार है।
महिला के पिता का विलाप देखकर अमीर वह स्वयं तब्बू अभिनीत पात्र से विवाह कर लेता है। फिल्म में पति-पत्नी के बीच धीरे-धीरे प्रेम अंकुरित होता है। तब्बू की सादगी से वह प्रभावित होता है। बहरहाल, जीवन के हर क्षेत्र में सादगी और मितव्ययिता सदैव कायम रहने वाले मूल्य हैं। यह भी सच है कि कुछ लोगों को विवाह के पूर्व प्रेम होता है, कुछ जोड़ों में विवाह के बाद प्रेम अंकुरित होता है।
Rani Sahu

Rani Sahu

    Next Story