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सांसद प्रज्ञा सिंह के फोन पर फरवरी के पहले सप्ताह में एक युवती का वाट्सएप वीडियो कॉल आया था
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह को यदि वह फोन कॉल नहीं आया होता तो शायद आने वाले और कई महीनों में राज्य के जाने कितने लोग उन साइबर अपराधियों का शिकार हो गए होते. वह शायद अश्लील संदेशों के जरिये ब्लैकमेल हो सकने वाले ऐसे सारे लोगों की खुशकिस्मती थी और ऐसा अपराध करने वालों की बदकिस्मती कि उन्होंने अनजाने में एक ऐसे व्यक्ति पर हाथ डाल दिया था जिसके साथ की जाने वाली उस हरकत का अंजाम उन्हें पता नहीं था.
सांसद प्रज्ञा सिंह के फोन पर फरवरी के पहले सप्ताह में एक युवती का वाट्सएप वीडियो कॉल आया था और थोड़ी ही देर में कॉल करने वाली युवती ने अश्लील हरकतें शुरू कर दीं. कुछ देर बाद एक दूसरे नंबर से प्रज्ञा सिंह के पास फिर एक कॉल आया और उनसे उस अश्लील क्लिपिंग का हवाला देते हुए बड़ी रकम की मांग की गई. प्रज्ञा सिंह ने पूरी घटना की जानकारी पुलिस को दी. सत्तारूढ़ दल की सांसद का मामला होने के कारण हरकत में आई पुलिस ने सात दिन के भीतर राजस्थान के भरतपुर इलाके से उन दो युवकों को धर दबोचा जो इससे पहले जाने कितने ही लोगों को ब्लैकमेल कर न जाने कितनी राशि वसूल चुके थे.
लेकिन मध्य प्रदेश के हजारों लोग प्रज्ञा सिंह जैसे खुशकिस्मत नहीं हैं. वे ऐसे साइबर अपराधियों का बड़ी संख्या में शिकार हो रहे हैं और वह भी बहुत आसानी से. कोरोना काल के बाद तो राज्य के अखबार साइबर ठगी और साइबर अपराध की घटनाओं से रंगे पड़े हैं. मामला सिर्फ इस तरह के सेक्सटॉर्शन का ही नहीं है. लोगों से डिजिटल धोखाधड़ी और ठगी भी बड़े पैमाने पर हो रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मध्य प्रदेश में पिछले तीन सालों में 97 करोड़ की ऑनलाइन ठगी हुई है. राज्य साइबर पुलिस को मिली शिकायतों के आधार पर जुटाई गई जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश पुलिस 6 राज्यों के ऐसे डेढ़ हजार से ज्यादा वर्चुअल अपराधियों को तलाश रही है जिन्होंने राज्य के लोगों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया. इस ठगी में सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल के आईपी एड्रेस और फोन नंबरों का इस्तेमाल किया गया. बंगाल के अलावा झारखंड, दिल्ली, बिहार, राजस्थान और हरियाणा उन राज्यों में शामिल है जहां बैठे साइबर शातिरों का शिकार मध्य प्रदेश के लोग हुए.
मध्य प्रदेश पुलिस ने हाल ही में ऐसे साइबर ठग गिरोह को दबोचा है जो करीब आठ हजार फर्जी सिम कार्ड के जरिये लोगों को अपना शिकार बना रहे थे. एक वर्ष की अवधि में इन लोगों ने 20 हजार फर्जी मोबाइल नंबरों का उपयोग कर लोगों को फंसाया. पुलिस ने इन सभी फर्जी सिमों को एक साथ बंद कराया है. ये शातिर बदमाश पढ़े लिखे हैं और तकनीक के अच्छे खासे जानकार भी. इन्होंने करीब दो हजार से ज्यादा सिम कार्ड एक्टिवेट कर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और झारखंड समेत अन्य राज्यों के साइबर ठगों को बेचे भी हैं. ये लोग किसी व्यक्ति के आधार कार्ड की जानकारी हासिल कर उस पर खुद का फोटो लगाते और उसके जरिये सिम कार्ड की डिस्ट्रीब्यूटरशिप लेते थे. इसके बाद कूटरचित दस्तावेजों का इस्तेमाल कर सिम कार्ड एक्टिवेट करते थे.
ऐसे ही पुलिस ने गुड़गांव के एक गिरोह को पकड़ा है जो ऑनलाइन लोन देने वाली कंपनियों की तरफ से लोन वसूली का काम करता था और इसी बहाने लोन कंपनियों से मिली जानकारी के आधार पर लोगों को ब्लैकमेल किया करता था. ये लोग लोन लेने वाले की फोटो को अश्लील फोटो के साथ जोड़कर नया फोटो बनाते और उसे सार्वजनिक करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करते थे. यह सारा काम बाकायदा एक फर्जी कॉल सेंटर के जरिये किया जाता था जो गुड़गांव से संचालित होता था.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए जनता से रिश्ता किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
गिरीश उपाध्याय पत्रकार, लेखक
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं. नई दुनिया के संपादक रह चुके हैं.
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