सम्पादकीय

मास्क की अनिवार्यता खत्म करना भारत जैसे देश के लिए कहीं जल्दबाजी तो नहीं है?

Gulabi Jagat
1 April 2022 2:46 PM GMT
मास्क की अनिवार्यता खत्म करना भारत जैसे देश के लिए कहीं जल्दबाजी तो नहीं है?
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दुनियाभर के विशेषज्ञों ने जिस तरह से कोरोना की चौथी लहर को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है
प्रवीण कुमार।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (DDMA) की हालिया घोषणा के बाद 2 अप्रैल 2022 से महाराष्ट्र सरकार ने भी कोरोना (Corona) को लेकर लगाए गए सभी तरह के प्रतिबंधों को हटाने का ऐलान कर दिया है. मास्क (Mask) और सोशल डिस्टेंसिंग तक की अनिवार्यता को खत्म करने की घोषणा सरकार ने कर दी है. कोरोना के सबसे बड़े हॉट स्पॉट रहे दिल्ली और मुंबई में मास्क लगाने की अनिवार्यता को खत्म करने का सरकार का यह फैसला कितना सही और कितन गलत है, वो तो आने वाले वक्त में पता चलेगा.
लेकिन दिल्ली और महाराष्ट्र की सरकार का यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब भारत के पड़ोसी देश चीन और पश्चिमी देश फ्रांस में कोरोना की वजह से हालात बेकाबू हो गए हैं. ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, अमेरिका, स्कॉटलैंड आदि में भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. चीन का शंघाई शहर कोरोना का नया हॉटस्पॉट बन गया है. ऐसे में यह सवाल तो उठता ही है कि मास्क को लेकर किया गया फैसला भारत जैसे देश के लिए कहीं जल्दबाजी तो नहीं है?
घातक हो सकता है 'नो मास्क' का सरकारी फैसला
दुनियाभर के विशेषज्ञों ने जिस तरह से कोरोना की चौथी लहर को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है. सोचने की जरूरत है, जिस तरह से दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने मास्क पहनने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है, चीन और फ्रांस से कोरोना का झोंका भारत की तरफ मुड़ गया जिसकी आशंका प्रबल है (क्योंकि तमाम अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की आवाजाही पर लगी रोक की मियाद भी खत्म हो चुकी है) तो लोगों में अफरातफरी मच जाएगी. मुंबई और दिल्ली में लोकल व मेट्रो और परिवहन के अन्य सार्वजनिक साधनों में बिना मास्क के जब भीड़ यात्रा करेगी, यह फैसला घातक हो सकता है. खासकर तब जबकि भारत में पूरी आबादी को वैक्सीन भी नहीं लगी है.
इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत में इस वक्त कोरोना की डेली पॉजिटिविटी रेट 0.20 फीसदी है और विशेषज्ञों का यह मानना कि देश में ओमिक्रोन संक्रमण के बाद लोगों की इम्यूनिटी मजबूत हुई है जिसके कारण कोरोना के नए वेरिएंट का प्रभाव कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा, लेकिन चीन में कोरोना वायरस की चौथी लहर का असर जिस रूप में दिख रहा है, हमें कोरोना की पाबंदियां पूरी तरह से खत्म करने का रिस्क नहीं लेना चाहिए. कम से कम मास्क लगाने की अनिवार्यता तो रहनी ही चाहिए. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की मानें तो चीन के शंघाई शहर में कोरोना के हर दिन 5000 तक नए मामले दर्ज किये जा रहे हैं.
ओमीक्रॉन का नया BA.2 वेरिएंट चीन के कई हिस्सों में तेजी से फैल रहा है. चीन का सबसे बड़ा शहर शंघाई कोरोना का हॉटस्पॉट बन चुका है. हालात इस कदर बेकाबू हो गए हैं कि शंघाई में लॉकडाउन लगाना पड़ा है. चीन के अलावा यूरोप के कई देशों में भी कोरोना संक्रमण की स्थिति गंभीर हो रही है. अमेरिका में भी 33% मामले इसी BA.2 ओमीक्रॉन के आ रहे हैं. कहने का मतलब यह कि इन देशों में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले कम से कम भारत को यह बताने और जताने के लिए काफी है कि मामला अभी इतना हल्का नहीं हुआ है जितना हम और हमारी सरकारें समझ रही हैं. मास्क की अनिवार्यता को खत्म करना कहीं लोगों पर भारी न पड़ जाए.
WHO की चेतावनी की अनदेखी ठीक नहीं
कोविड-19 पर डब्ल्यूएचओ की तकनीकी प्रमुख मारिया वान केरखोव का कहना है कि कोरोना वायरस में अभी भी बहुत सारी ऊर्जा बची है जो महामारी को तीसरे वर्ष में लेकर जाने को तैयार है. केरखोव का यह बयान डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस गेब्रेयसस की उस चेतावनी के मद्देनजर आया है जिसमें टेड्रोस ने कहा है कि आने वाले वक्त में ओमीक्रॉन की तुलना में अधिक खतरनाक वेरिएंट सामने आ सकता है. टेड्रोस ने कहा कि वायरस का विकास अभी भी जारी है. ये अलग बात है कि समय के साथ रोग की गंभीरता कम हो जाती है, लेकिन कमजोर लोगों यानी कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत हो सकती है.
कोरोना के नए खतरनाक वेरिएंट की संभावित एंट्री को लेकर टेड्रोस ने यह भी कहा कि इससे निपटने के लिए मौजूदा दौर में उपलब्ध वैक्सीन में काफी बदलाव की जरूरत पड़ेगी और तभी यह सुनिश्चित करना संभव हो सकेगा कि वह गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले लोगों तक पहुंच सके. हम इस बात को मान भी लें कि कोरोना का नया वेरिएंट भारत में उस रूप में खतनाक नहीं होने वाला जैसा कि डेल्टा वेरिएंट ने कहर बरपाया था, लेकिन ओमीक्रॉन का नया BA.2 वेरिएंट का संक्रमण भारत में न फैले, इसके उपाय के तौर पर भारत क्या कर रहा है? उल्टे कोरोना काल के सारे प्रतिबंधों को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया. वायरस की संक्रामकता के मद्देनजर कम से कम मास्क और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन अपने तरीके से लोगों को करना ही चाहिए. सरकार को चाहिए कि वह कोरोना के इस प्रोटोकॉल को बनाए रखने पर पुनर्विचार करे.
कोरोना खत्म होने के बाद भी मास्क जरूर पहनें
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कौन सा मास्क सबसे ज्यादा प्रभावी होगा और कौन सा नहीं यह शोध और बहस का विषय हो सकता है, लेकिन इस बात पर बहस या शोध की कोई गुंजाइश नहीं है कि कोरोना संक्रमण को रोकने का सबसे शुरूआती व अचूक हथियार मास्क ही हो सकता है. छींकने या खांसने से अगर वायरस बाहर निकलता है तो सबसे पहले उसका मुकाबला मास्क ही कर सकता है. जिस समय कोई भी व्यक्ति सांस लेता है, बातचीत करता है, छींकता है या फिर खांसता है तो ऐसे में तरल कण हवा में उड़ते हैं, जिन्हें एरोसोल के रूप में वर्गीकृत किया गया है. इन तरल कणों पर सार्स-कोव-2 उनके व्यवहार और आकार को निर्धारित करता है. संक्रमण की वजह से बूंदें हवा और जमीन के माध्यम से किसी व्यक्ति की आंख, नाक और मुंह में जा सकता है. इसके अलावा एरोसोल हवा में सिगरेट के धुएं की तरह बिना रुके कमरे में फैलकर घंटों तैर सकता है. तो ऐसी परिस्थिति में मास्क ही एकमात्र ऐसा हथियार है जो संक्रमण को रोकने में अहम भूमिका निभाता है.
दूसरा, बिहेवियरल साइंस के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि खुद के चेहरे को छूना अपने भावों को नियंत्रित करने और ध्यान खींचने से जुड़ा होता है. ये मानव जाति का मूल व्यवहार है. अब खुद को छूने से समस्या ये होती है कि इससे हर तरह की खराब चीज हमारी आंखों, नाक और मुंह से होते हुए हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों में पहुंचती हैं. मानव जाति के मूल व्यवहार को एक बार छोड़ भी दें तो भी अगर नाक में खुजली हो रही हो तो अनायास आपकी उंगली उन जगहों पर पहुंच जाती है. मास्क पहनने से लोगों के अपने चेहरों को छूने की संभावनाएं कम हो जाती हैं. इससे इतर अगर हम खासतौर से महानगरों की बात करें तो वहां की हवा ऐसे भी इतनी प्रदूषित हैं कि घर से बाहर निकलने वाले हर शख्स को मास्क लगाना ही चाहिए. सामान्य तौर पर अगर आप इस बात का आंकलन करें तो पाएंगें कि कोरोना काल में सामान्य तौर पर होने वाले जुकाम का प्रकोप काफी कम हो गया था. उसके पीछे मास्क बड़ी वजह रही जो खांसी, जुकाम वाले वायरस को नाक में घुसने नहीं दिया.
बहरहाल, दिल्ली और महाराष्ट्र की सरकारों ने कोरोना अनलॉक की चरणबद्ध प्रक्रिया को जिस अंजाम तक पहुंचाया है उसमें मास्क की अनिवार्यता को भी खत्म कर देना भविष्य के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता. हम सभी जानते हैं कि कोरोना का कोई भी नया वेरिएंट भारत में बाहर के देशों से ही आता है. जिस तरह से चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली में ओमीक्रॉन बीए-2 वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है और आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिक जिस तरह से कोरोना की चौथी लहर से इनकार नहीं कर रहे हैं उसमें अभी भी एहतियात बरतने की सख्त जरूरत पर सरकारों का जोर रहना चाहिए. कम से कम मास्क की अनिवार्यता को खत्म करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की जरूरत है. निश्चित रूप से भारत जैसे देश के लिए यह वक्त से पहले ले लिया गया फैसला है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, आर्टिकल में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं.)
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