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स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि हिंदू धर्म सहिष्णु, स्नेहशील, उदार और समावेशी है
दिव्याहिमाचल.
स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि हिंदू धर्म सहिष्णु, स्नेहशील, उदार और समावेशी है। यह आध्यात्मिक विचार कई साधु-संतों ने भी दिया है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भी मान्यता थी कि हिंदुत्व सचमुच बहुत विशाल है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कालखंडों का भी अध्ययन कर लिया जाए कि उनकी सोच क्या थी? हिंदू धर्म एक जीवन-शैली है और हिंदुत्व उसकी विचारधारा है। दोनों परस्पर पूरक और पर्याय हैं। हिंदुत्व भाजपा और संघ परिवार की ही बपौती नहीं है और न ही हिंदुत्व सनातन धर्म की परंपराओं और विचार को हाशिए पर ठेल सकता है। धर्म के संदर्भ में शैतान और असुरों का उल्लेख भी होता रहा है, लेकिन किसी अधर्मी और दैत्य ने धर्म की तुलना आसुरी वृत्तियों से नहीं की है। अलबत्ता आज हिंदुत्व को आईएसआईएस और नाइजीरिया के बोको हराम सरीखे दुर्दान्त आतंकी संगठनों के समकक्ष स्थापित करने की कोशिश जरूर की गई है।
भारत के 100 करोड़ से अधिक और दुनिया के असंख्य हिंदू विचारकों और मतावलंबियों के गाल पर तमाचा मारा गया है। एक आध्यात्मिक प्राणी और एक क्रूर, बर्बर, हत्यारे पक्ष की तुलना कैसे की जा सकती है? सलमान खुर्शीद और कांग्रेस के कुछ बौने, विचारहीन प्रवक्ता कुतर्क कर सकते हैं, लेकिन वे भी जानते हैं कि हिंदू धर्म और हिंदुत्व संघ परिवार तक ही सीमित नहीं हैं। गुरु गोलवलकर और नाथूराम गोडसे कमोबेश हिंदुत्व के पर्याय नहीं हैं। वे ही हिंदुत्व के अधिकृत विचारक और प्रवक्ता नहीं हैं, लिहाजा उनके आधार पर ही हिंदुत्व की व्याख्या करना अनुचित है। सलमान भारत सरकार में कानून और विदेश मंत्री के संवैधानिक पदों पर रहे हैं। जाहिर है कि सांसद भी रहे हैं। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम वकीलों में से एक हैं, लिहाजा उन्हें अपनी राष्ट्रीय पहचान का एहसास होना चाहिए। सलमान खुर्शीद ने अयोध्या मुद्दे पर एक किताब लिखी है। बेहतर होता कि वह संविधान पीठ के ऐतिहासिक फैसले की समीक्षा करते, अयोध्या की विराट और दैवीय पृष्ठभूमि के प्राचीन इतिहास को खंगालते, अयोध्या विवाद पर छिड़े तमाम आंदोलनों का विश्लेषण करते। हिंदुत्व बनाम बोको हराम तक पहुंचने की शैतानी मानसिकता ने उनसे सब कुछ छीन लिया। किताब की बिक्री बढ़ गई होगी, लेकिन इस विवाद से न तो उन्हें और न ही कांग्रेस पार्टी को कोई राजनीतिक फायदा होने वाला है।
यह कैसा विरोधाभास है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बवाल पर खामोश हैं, पार्टी के वरिष्ठ नेता हिंदू और हिंदुत्व को कलंकित करने में संलग्न हैं और दो आलाकमानी नेता मंदिर-मंदिर घूमकर पूजा-पाठ कर रहे हैं, ताकि भगवान उन्हें आशीर्वाद दें! कौन हिंदू अब इन्हें वोट देगा? क्या सलमान, चिदंबरम, दिग्विजय या पार्टी के बेचारे प्रवक्ता एक भी उदाहरण दे सकते हैं कि हिंदुत्व ने बच्चों को मानव-बम बनाया है? फिदायीन पैदा किए हैं और आतंकी हमले कर मानवता को ही खत्म करने की कोशिश की है? हिंदुत्व ने कितने जि़ंदा इनसानों के सरकलम किए हैं? और बच्चों के कितने स्कूलों में कत्लेआम किया है? बोको हराम के आतंकियों ने 3.5 लाख से ज्यादा मासूम लोगों की हत्या की है। करीब 30 लाख लोग विस्थापित हुए हैं और 3 लाख से अधिक लोगों को दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी है। किसके हिंदुत्व ने इतने व्यापक स्तर पर अपहरण किए हैं और हत्याएं की हैं? नरसंहारों का इतिहास कांग्रेस के हिस्से भी दर्ज है। हम उन ऐतिहासिक सचाइयों को खोदना नहीं चाहते। किताब लिखने के लिए हिंदू और हिंदुत्व को गाली देना अथवा आतंकी जेहाद के संगठनों से तुलना करना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। लिहाजा सलमान को दंड देते हुए किताब पर पाबंदी थोप देनी चाहिए।
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