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- गैर-जिम्मेदाराना...
भूपेंद्र सिंह| आतंकवाद निरोधक दस्ते की ओर से लखनऊ में अलकायदा के दो आतंकवादियों की गिरफ्तारी पर सपा नेता अखिलेश यादव ने यह कह कर आतंकियों की ही तरफदारी की कि उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस पर भरोसा नहीं। क्या वह यह कहना चाहते हैं कि उन्हें भरोसा उन पर है, जिन्हें आतंकी हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया अथवा जो उन्हें बेगुनाह बता रहे हैं? क्या यह अजीब नहीं कि अखिलेश यादव दोबारा उत्तर प्रदेश की सत्ता में आना चाहते हैं, लेकिन उसकी पुलिस पर भरोसा नहीं करना चाहते। क्या मुख्यमंत्री बनने की सूरत में वह पुलिस को भंग कर देंगे? क्या पुलिस उसी समय तक भरोसेमंद थी, जब वह मुख्यमंत्री थे? क्या वह यह चाहते हैं कि पुलिस को आतंकियों को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए या फिर उनसे पूछकर ही उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए थी? पता नहीं वह क्या चाहते हैं, लेकिन उनका बयान गैर जिम्मेदारी की पराकाष्ठा है। इस पर हैरत नहीं कि अखिलेश यादव की तरह से मायावती ने भी अलकायदा आतंकियों की गिरफ्तारी पर यह कहा कि चुनाव करीब आने पर पुलिस की इस तरह की कार्रवाई संदेह पैदा करती है। क्या चुनाव करीब हों तो पुलिस को आतंकियों की पकड़-धकड़ करने के बजाय हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाना चाहिए और चुनाव खत्म होने का इंतजार करना चाहिए?