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- भारत के लिए जरूरी होता...
भूपेंद्र सिंह| ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने अपने पद की शपथ ग्रहण कर ली। उनके शपथ ग्र्रहण समारोह में शामिल होने के लिए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी तेहरान में उपस्थित रहे। अपने दो दिवसीय ईरान दौरे पर जयशंकर इस आधिकारिक कार्यक्रम में शिरकत करने के अलावा कई द्विपक्षीय बैठकों में भी हिस्सा लेंगे। एक महीने के भीतर जयशंकर का दूसरा ईरान दौरा यही दर्शाता है कि तेहरान किस प्रकार नई दिल्ली की प्राथमिकताओं में है। दरअसल मौजूदा वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों में ईरान की स्थिति जटिल होते हुए भी बड़ी महत्वपूर्ण बनी हुई है। विशेषकर भारत के लिए ईरान की खासी अहमियत है, लेकिन इसमें कुछ पेच भी फंसे हुए हैं। जैसे अमेरिका-ईरान के बीच उलझे हुए रिश्तों के कारण भारत के समक्ष अक्सर दुविधा की स्थिति बन जाती है। वाशिंगटन ने तेहरान पर कुछ प्रतिबंध लगाए थे। हालांकि दोनों देशों में सरकारें बदल गई हैं, फिर भी गतिरोध टूटने के आसार नहीं दिख रहे। यह भी एक दिलचस्प संयोग है कि अमेरिका में अपेक्षाकृत कट्टर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के दौरान ईरान में उदारवादी नेता शासन की बागडोर संभाल रहे थे। वहीं अब अमेरिका की कमान उदारवादी बाइडन संभाल रहे हैं तो ईरान में कट्टरपंथी रईसी का राज आ गया है। वैसे तो बाइडन ने राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पूर्ववर्ती ट्रंप की कई नीतियों को पलट दिया, लेकिन ईरान को लेकर उनकी नीति कमोबेश वैसी ही रही। अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि अमेरिका रईसी जैसे कट्टर माने जाने वाले नेता के साथ किस प्रकार आगे बढ़ेगा? इस अनिश्चितता को लेकर भारत के समक्ष समस्याएं और बढ़ जाती हैं।