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हर साल जब भी आईपीएल (IPL) की बात होती है तो जेहन में सबसे पहले इस टूर्नामेंट के सबसे बड़े खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) का नाम स्वाभाविक तौर पर आ जाता है
विमल कुमार
हर साल जब भी आईपीएल (IPL) की बात होती है तो जेहन में सबसे पहले इस टूर्नामेंट के सबसे बड़े खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) का नाम स्वाभाविक तौर पर आ जाता है. रोहित शर्मा (Rohit Sharma) और मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) ने भले ही सबसे ज्यादा 5 बार ये ट्रॉफी जीती है, लेकिन वो भी इस बात को मानेंगे लोकप्रियता और फैंस के दिलों पर राज करने के मामले में धोनी और चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) की बात ही कुछ और है. तो क्या खास है धोनी और चेन्नई में..आखिर ये रिश्ता क्या कहलाता है. दरअसल, धोनी का चेन्नई से निराले प्रेम वाला रिश्ता उनके असली और घरेलू शहर रांची से भी ज्यादा हो गया है
धोनी को जो प्यार और दुलार उस मिट्टी का ना होने के बावजूद मिलता है उसकी मिसाल बहुत ही कम देखने को मिलती है. खुद धोनी के शहर रांची में उन्हें वो प्रतिष्ठा और मान नहीं मिलता है, जिसके वो वाकई हकदार हैं. अगर आपको इस बात पर हैरानी हो रही तो कभी रांची में जाकर क्रिकेट मैच देखिएगा. उस स्टेडियम का नाम धोनी स्टेडियम ना होकर JSCA यानी कि झारखंड स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम है.
चेन्नई से रिश्ता धोनी के असली और घरेलू शहर से भी ज्यादा
आप ये दलील दे सकते हैं कि अरे भाई ये कोई बात थोड़े हुई. धोनी के नाम पर एक पवेलियन तो है ही ना उस मैदान में. तब आलोचक कह सकते हैं कि उतना ही भव्य पवेलियन तो संघ के पूर्व सचिव अमिताभ चौधरी के नाम पर भी है. अब शायद ये झारखंड जैसे राज्य में ही मुमकिन हो, धोनी जैसे दिग्गज को वही सम्मान मिलता है जो क्रिकेट के किसी बड़े अधिकारी को. कम से कम झारखंड में इकलौते इंटरनेशनल स्टेडियम में तो धोनी के कद को एक प्रशासक के कद के बराबर का दिखाया जाने की कोशिश तो की ही गयी है. धोनी को इन सब बातों की कहां परवाह है. धोनी अब कहां लाड, प्यार और सम्मान के लिए सिर्फ अपने शहर या राज्य के भरोसे हैं. उन्हें पूरे भारत और पूरे विश्व में इतना सम्मान मिलता है कि अगर उनके राज्य में उन्हें कोई ना भी पूछे तो उनकी सेहत पर शायद कोई फर्क ना पड़े. लेकिन, धोनी को रिटायरमेंट के बाद एक बात से जरूर फर्क पड़े कि वो चेन्नई में क्रिकेट नहीं खेल पाएंगे.
अगर क्रिकेट को अलविदा कहना है तो धोनी चेन्नई से करेंगे
पिछले साल धोनी बल्ले से लगातार जूझ रहे थे और ऐसा लग रहा था कि ये उनका आखिरी सीजन है. कमेंटेटर हर्षा भोगले ने इशारों ही इशारों में धोनी को ये कह डाला कि उनकी आखिरी पारी शायद खत्म हो गई. लेकिन, धोनी ने तपाक से जवाब दिया कि अभी क्रिकेट उनमें बाकी है. धोनी जानते हैं कि अगर क्रिकेट को अलविदा कहना है तो वो चेन्नई से करेंगे. इंटरनेशनल क्रिकेट को धोनी करीब 2 साल पहले गुडबाय कर चुके हैं और मुमकिन है कि ये साल खिलाड़ी और कप्तान के तौर पर आखिरी हो. ऐसे में धोनी निश्चित तौर पर चाहेंगे कि एक बार फिर से वो अपनी टीम को चैंपियन बनाकर ही दम लें. धोनी के साथ चेन्नई का रिश्ता कुछ वैसा ही है जैसा कि सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर का मुंबई के साथ है. इन दोनों खिलाड़ियों को अपने करियर के दौरान और उसके बाद भी आज तक अगाध प्यार मिलता रहा है. धोनी के साथ भी इस शहर का कुछ वैसा ही नाता है जहां से उन्होंने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत की थी और अपने जीवन का इकलौता दोहरा शतक भी जमाया है.
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श्रीनिवासन फैक्टर
जब 2008 में इंडिया सीमेंट के मालिक और बीसीसीआई के तत्कालीन सचिव एन श्रीनिवासन ने धोनी को मुंहमांगी कीमत पर टीम में आइकन खिलाड़ी के तौर पर शामिल किया तो हर कोई हैरान था. लेकिन, श्रीनिवासन एक बड़े उधोगपति हैं और उन्हें इस बात की समझ है कि सही मौके पर सही दांव कब खेलना है. उस दौर में ये दलील दी गई कि धोनी के जरिये इंडिया सीमेंट अपना ब्रांड पूरे भारत में फैलाना चाहता था, लेकिन हकीकत तो ये है कि श्रीनिवासन को धोनी में क्रिकेट का एक उत्तराधिकारी मिल गया था, जिसकी उन्हें लंबे समय से तलाश थी. धोनी में वो सब कुछ था- क्रिकेट की सूझबूझ, निस्वार्थ भावना और फ्रेंचाइजी के प्रति निष्ठा और समर्पण का भाव. पिछले कई दशक से इंडिया सीमेंट दक्षिण भारत में क्लब स्तर पर सैकड़ों खिलाड़ियो के साथ जुड़ा हुआ है और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ी को भी भारत से खेलने से पहले इस कंपनी ने स्कॉलरशिप दी हुई थी. आईपीएल ने श्रीनिवासन के क्रिकेट प्रेम और उधोगपति वाले नजरिये को धोनी में एक शानदार सपने को साकार होने का मौका दिया. शायद यही वजह थी कि क्रिकेट के मामले में इतने ताकतवर अधिकारी ने धोनी के साथ एक भी मौके पर अपनी राय नहीं थोपी. थोपना तो दूर की बात, धोनी के साथ क्रिकेट के मसले पर श्रीनिवासन ने चर्चा तक नहीं की.
तमाम मुश्किलों के बावजूद चेन्नई का दामन नहीं छोड़ा
धोनी जो सोचेंगे, शानदार सोचेंगे, माही जो करेंगे वो चेन्नई के लिए सबसे बेहतरीन बात होगी- श्रीनिवासन ने ये सोच क्लब के एक-एक सदस्यों के जेहन में कूट-कूट कर भर दी और इसलिए श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को भी अगर धोनी से बात करनी होती तो उन्हें इतंजार करना पड़ता, पहले से समय लेना पड़ता. ऐसा नहीं था कि श्रीनिवासन के दामाद हैं तो जब मर्जी हो तब धोनी के पास चले जाएं. यही वजह है कि धोनी ने तमाम मुश्किलों के बावजूद चेन्नई का दामन नहीं छोड़ा. यहां तक जब स्पॉट-फिक्सिंग कांड के दौरान कीचड़ मयप्पन पर आये तो कई आलोचकों ने धोनी के दामन को भी अपना निशाना बनाया. लेकिन, धोनी ने कभी भी सार्वजनिक तौर पर अपने दर्द का इजहार नहीं किया. कहने का मतलब साफ है कि आईपीएल में धोनी और चेन्नई का रिश्ता अद्भुत और बेजोड़ है और शायद यही वजह है कि 'थाला'(लीडर) रिटायरमेंट के बाद भी इस टीम की सबसे बड़ी पहचान बनें रहेंगे.
Rani Sahu
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