सम्पादकीय

चुनावी हिंसा की जांच

Rani Sahu
19 Aug 2021 6:32 PM GMT
चुनावी हिंसा की जांच
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पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच मामले का लंबा चलना न केवल चिंताजनक, बल्कि दुखद भी है

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच मामले का लंबा चलना न केवल चिंताजनक, बल्कि दुखद भी है। जहां एक ओर, चुनाव के बाद हुई हिंसा सरासर अपराध थी, तो वहीं इस अपराध को छिपाने या इसका लाभ उठाने की सियासी कोशिश उससे भी बड़ा अपराध है। कोई आश्चर्य नहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन इससे ममता सरकार खुश नजर नहीं आ रही है। संकेत यही है कि पश्चिम बंगाल सरकार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। मतलब इस दुखद प्रकरण को अभी और आगे खिंचना है। हिंसा क्यों हुई? किसने हिंसा को बढ़ावा दिया? किसने हिंसा को छिपाने की कोशिश की? ऐसे अनगिनत सवाल हैं, जिनका उत्तर लोग जानना चाहते हैं और कलकत्ता हाईकोर्ट ने यही माना होगा, तभी सीधे सीबीआई जांच का आदेश जारी हुआ है। कायदा यही बोलता है कि राज्य सरकार को सीबीआई जांच के लिए तैयार हो जाना चाहिए था, लेकिन जिस तरह का इतिहास रहा है, पश्चिम बंगाल सरकार का सीबीआई पर भरोसा कम है। यह अपने आप में गंभीर बात है। सीबीआई की निष्पक्षता संदेह से परे होती, तो शायद यह नौबत नहीं आती।

हकीकत और सियासत के बीच फासला होता है, जिसे हम पश्चिम बंगाल में देख रहे हैं। कौन सही है, इसका फैसला एक ईमानदार जांच से ही संभव है, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद जो लोग पश्चिम बंगाल सरकार पर हमलावर हुए हैं, उससे चिंता बढ़ जाती है। ममता बनर्जी के करीबी और टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने साफ कहा है कि मैं इस फैसले से नाखुश हूं। अगर हर कानून और व्यवस्था के मामले में, जो पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, सीबीआई का दखल होता रहा, तो यह राज्य के अधिकार का उल्लंघन है। दूसरी ओर, कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने स्वागत किया है। बेशक, लोकतंत्र में सभी को अपनी विचारधारा के प्रचार-प्रसार का हक है, लेकिन हिंसा की इजाजत किसी को नहीं है। फिर भी, राजनीतिक पार्टियों को संयम तो बरतना चाहिए। जांच के मुकाम पर पहुंचने से पहले ही हमलावर हो जाना कोई अच्छी बात नहीं है। कोलकाता हाईकोर्ट ने अभी केवल जांच के आदेश दिए हैं, सबको परिणाम का इंतजार करना चाहिए।
हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के प्रति पर्याप्त सजगता दिखाई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय पीठ ने सीबीआई जांच के अलावा अन्य आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का भी आदेश दिया है। दोनों जांच अदालत की निगरानी में की जाएंगी। सीबीआई को आगामी छह सप्ताह में जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है। दो तरह की जांच का यह प्रयोग भी नया है, हो सकता है, दो तरह के नतीजे सामने आएं। सीबीआई की जांच राज्य सरकार के खिलाफ जाए और एसआईटी की जांच उसके पक्ष में हो। खैर, केंद्र और राज्य सरकार को पूरी सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। कहीं न कहीं कमियां रही हैं, तभी तो हिंसा के दौरान हुए हत्या, बलात्कार की शिकायतें भी सामने आई हैं। हर हाल में उन लोगों के साथ न्याय होना चाहिए, जो चुनावी हिंसा के चलते मारे गए हैं।

क्रेडिट बाय हिंदुस्तान

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