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- चुनावी हिंसा की जांच
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच मामले का लंबा चलना न केवल चिंताजनक, बल्कि दुखद भी है। जहां एक ओर, चुनाव के बाद हुई हिंसा सरासर अपराध थी, तो वहीं इस अपराध को छिपाने या इसका लाभ उठाने की सियासी कोशिश उससे भी बड़ा अपराध है। कोई आश्चर्य नहीं, कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं, लेकिन इससे ममता सरकार खुश नजर नहीं आ रही है। संकेत यही है कि पश्चिम बंगाल सरकार हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। मतलब इस दुखद प्रकरण को अभी और आगे खिंचना है। हिंसा क्यों हुई? किसने हिंसा को बढ़ावा दिया? किसने हिंसा को छिपाने की कोशिश की? ऐसे अनगिनत सवाल हैं, जिनका उत्तर लोग जानना चाहते हैं और कलकत्ता हाईकोर्ट ने यही माना होगा, तभी सीधे सीबीआई जांच का आदेश जारी हुआ है। कायदा यही बोलता है कि राज्य सरकार को सीबीआई जांच के लिए तैयार हो जाना चाहिए था, लेकिन जिस तरह का इतिहास रहा है, पश्चिम बंगाल सरकार का सीबीआई पर भरोसा कम है। यह अपने आप में गंभीर बात है। सीबीआई की निष्पक्षता संदेह से परे होती, तो शायद यह नौबत नहीं आती।
क्रेडिट बाय हिंदुस्तान