सम्पादकीय

बेजा दखल

Gulabi
6 Dec 2020 4:41 PM GMT
बेजा दखल
x
भारत का नाराज होना स्वाभाविक है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नए कृषि कानूनों के मुद्दे पर भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जिस तरह की गैरजरूरी बयानबाजी कर भारत के अंदरूनी मामले में दखल देने की अनाधिकार चेष्टा की है, उस पर भारत का नाराज होना स्वाभाविक है। इसीलिए शुक्रवार को विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में कनाडा के उच्चायुक्त को बुला कर अपनी नाराजगी जाहिर की और आपत्ति दर्ज कराई। कनाडा के उच्चायुक्त से भारत ने साफ कहा कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो सहित वहां के कुछ मंत्रियों व सांसदों ने किसान आंदोलन पर जिस तरह की आपत्तिजनक बयानबाजी की है, वह भारत के अंदरूनी मामलों में स्पष्ट रूप से दखल है, जो भारत को कतई स्वीकार्य नहीं होगा और इससे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है।



अपने घरेलू राजनीतिक हितों की वजह से कनाडा के प्रधानमंत्री ने ऐसा बयान देने में कूटनीतिक सीमाओं का भी खयाल नहीं रखा। ट्रूडो ने किसान आंदोलन को लेकर जिस तरह से चिंता जाहिर की, उससे ऐसा संदेश गया जैसे भारत में सरकार किसानों पर भारी अत्याचार कर रही है और सब कुछ अनर्थ होने जा रहा है। जबकि नौ दिन से चल रहा किसान आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहा है और सरकार के साथ किसान संगठनों के वार्ताओं के दौर जारी हैं। सवाल है कि फिर ट्रूडो क्यों परेशान हैं?

किसान आंदोलन में बड़ी संख्या पंजाब के किसानों की है जो सिख समुदाय के हैं। कनाडा में सिखों की बड़ी आबादी रहती है। वहां की संसद में सिखों का खासा प्रतिनिधित्व है और सरकार में चार मंत्री भी सिख समुदाय के हैं। सरकारी और निजी नौकरियों से लेकर व्यापार तक में सिख समुदाय का दबदबा है। ऐसे में सिख समुदाय कनाडा की राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए ट्रूडो को लगा कि अगर पंजाब के आंदोलनरत किसानों के मुद्दे पर चुप रहेंगे तो कनाडा के सिखों में गलत संदेश जाएगा।

फिर, कनाडा में कुछ सिख संगठन भी भारत के किसान आंदोलन को लेकर सक्रिय हैं। लेकिन ट्रूडो को यह सोचना चाहिए था कि किसान आंदोलन भारत का अंदरूनी मसला है। उस पर उनका चिंता व्यक्त करना या आपत्ति दर्ज कराना कितना उचित होगा! अगर भारत के घरेलू मामलों में दखल की ऐसी परिपाटी बनने लगी तो किसी छोटे मुद्दे पर भी कोई देश अपने हितों को देखते हुए हस्तक्षेप करने लगेगा।

ट्रूडो के बयान से पहले कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीतसिंह सज्जन ने अपने बयान में यहां तक कह डाला कि किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन को कुचलना बहुत ही चिंताजनक है। इस तरह की तथ्यहीन बात करना किसी देश के मंत्री को क्या शोभा देता है? इससे तो यह जाहिर होता है कि कनाडा दुनिया में भारत की छवि खराब करने का अभियान चला रहा है। सच्चाई यह है कि भारत में अभी तक न तो किसान हिंसा पर उतरे, न ही सुरक्षा बलों और पुलिस की ओर से बल प्रयोग की नौबत आई।

आज जस्टिन ट्रूडो भारत के किसानों के प्रति हमदर्दी दिखा रहे हैं, लेकिन वे यह क्यों भूल रहे हैं कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने की भारत की नीति का विश्व व्यापार संगठन की वार्ताओं में कनाडा विरोध करता रहा है। सिख दंगों का मामला भी कनाडा में उठता ही रहता है। यह कोई छिपी बात नहीं है कि कनाडा में ही बड़ी संख्या में खालिस्तान समर्थक और उसके नेता मौजूद हैं। अगर ट्रूडो वाकई भारत के मित्र और हमदर्द हैं तो उन्हें पहले अपने यहां ऐसी ताकतों पर लगाम लगानी चाहिए, न कि भारत के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप कर रिश्तों को खराब करना चाहिए।


Next Story