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जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना महामारी से लड़ते भारत की एक बड़ी चुनौती पूर्वाग्रहों से लडऩे की भी है। वे पूर्वाग्रह जो भारतीय ज्ञान-विज्ञान को सदैव से ही तुच्छ मानते आए हैं। इन्हीं पूर्वाग्रहों ने निर्माण किया है उस भ्रम, संशय और हिचक का, जिसके परिणाम किसी के भी हित में नहीं होंगे। ध्यान रहे भ्रम उत्पन्न नहीं होते, अपितु उन्हें सप्रयास निॢमत किया जाता है। यकीनन उसके पीछे कोई न कोई मंतव्य अवश्य होता है। विश्व का ऐसा कोई भी राष्ट्र नहीं है, जहां परस्पर विरोधी विचारधाराएं स्वार्थहित के लिए अफवाहें न फैलाती हों, परंतु बात जब मानव जीवन के संरक्षण की हो तो स्वार्थ, प्रतिष्ठा और लालसा का लबादा उतार फेंकना ही राष्ट्र और मानव हित में है। वर्तमान परिस्थितियों में सबसे अधिक महत्वपूर्ण यह है कि मानव जीवन सुरक्षित रहे, परंतु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे समय में भी गैर जिम्मेदाराना बयान एवं भ्रमपूर्ण वक्तव्य निरंतर प्रवाहित हो रहे हैं। चूंकि कोरोना की दूसरी लहर से सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत भी है, इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि यहां के प्रबुद्धजन संवेदनशीलता से मानव जीवन की सुरक्षा के लिए सकारात्मकता का वातावरण निॢमत करें, परंतु क्या ऐसा हो रहा है?