सम्पादकीय

International Day of Peace: अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस आज, आखिर क्यों विश्व शांति की स्थापना बनती जा रही है कठिन चुनौती?

Rani Sahu
21 Sep 2022 5:50 PM GMT
International Day of Peace: अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस आज, आखिर क्यों विश्व शांति की स्थापना बनती जा रही है कठिन चुनौती?
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राजू पांडेय
आज 21 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस है. संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा ने 1981 में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस मनाने का निर्णय लिया था. सन्‌ 2001 में संयुक्त राष्ट्र की सामान्य सभा ने एक मत से यह तय किया कि इस दिन 24 घंटे के लिए युद्ध विराम हो और हिंसक कार्रवाइयां रोक दी जाएं. ऐसा करके विश्व समुदाय शांति के आदर्श के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति करता है. इस वर्ष की अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस की थीम है- 'नस्लवाद का खात्मा करें, शांति की स्थापना करें'.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने नस्लवाद के मौजूदा खतरे के प्रति सचेत करते हुए कहा है कि नस्लवाद प्रत्येक समाज में संस्थाओं, सामाजिक संरचनाओं और दैनिक जीवन को विषाक्त कर रहा है. यह असमानता की मौजूदगी का मुख्य कारक है. इसके कारण लोगों के मूलभूत मानव अधिकारों का हनन हो रहा है. यह सामाजिक व्यवस्थाओं को अस्थिर कर रहा है, लोकतांत्रिक व्यवस्था को गौण बना रहा है और सरकारों के प्रति जनता के विश्वास को कमजोर कर रहा है.
नस्लवाद और लैंगिक असमानता के आपसी रिश्ते जगजाहिर हैं. विश्व में कई जगहों पर हिंसक संघर्षों और युद्धों के कारण लोग पलायन हेतु मजबूर हुए हैं किंतु उन्हें विभिन्न देशों की सीमाओं पर नस्लभेद आधारित रोकटोक का सामना करना पड़ा है.
30 अगस्त 2022 को नस्ली भेदभाव की समाप्ति के लिए गठित संयुक्त राष्ट्र की समिति ने अजरबैजान, बेनिन, निकारागुआ, स्लोवाकिया, सूरीनाम, अमेरिका और जिम्बाब्वे के विषय में अपनी रपट जारी की. अजरबैजान की सेना ने आर्मीनियाई लोगों और अन्य मूल निवासियों पर अत्याचारों का सिलसिला जारी रखा है और उनकी संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश जारी है.
बेनिन में एल्बिनिजम से ग्रस्त लोगों पर शारीरिक हमले और इनके बहिष्कार की घटनाएं देखने में आई हैं. यहां का समाज अंधविश्वास से ग्रस्त है और इसे जादू टोने से जोड़कर देख रहा है. निकारागुआ में मूल निवासियों पर अमानवीय अत्याचार हो रहे हैं और वहां की सरकार का रवैया इस बात से ही समझा जा सकता है कि उसने संयुक्त राष्ट्र के जांच दल से कोई सहयोग ही नहीं किया. स्लोवाकिया में नस्लवाद रोधी कानून लागू होने के बावजूद रोमा लोगों और अफ्रीकी मूल के निवासियों के साथ भेदभाव और उन पर अत्याचार जारी है.
विश्व में अनेक स्थानों पर युद्ध, तनाव और हिंसा की परिस्थितियां मौजूद हैं, अनेक स्थान ऐसे हैं जहां पर संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में शांति प्रक्रिया चल रही है. अफगानिस्तान, इथियोपिया, लीबिया, यमन, साइप्रस और यूक्रेन जैसे देशों में संयुक्त राष्ट्र की अधिक सजग और सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता है.
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