सम्पादकीय

International Dance Day: जीवन भी एक नृत्‍य है

Rani Sahu
29 April 2022 9:43 AM GMT
International Dance Day: जीवन भी एक नृत्‍य है
x
गब्‍बर ने धमकी दी है ‘जब तक तेरे पांव चलेंगे तेरे यार की सांस चलेगी.’ सो बसंती को हर हाल में नाचना है

शकील खान

गब्‍बर ने धमकी दी है 'जब तक तेरे पांव चलेंगे तेरे यार की सांस चलेगी.' सो बसंती को हर हाल में नाचना है, कांच के टुकडों पर भी डांस करना है ताकि अपने प्रेमी वीरू की जान बचाई जा सके. 'टूट जाए पायल तो क्‍या, पांव हो जाएं घायल तो क्‍या' बसंती को तब तक नाचना है जब तक जान है. ये वो दुनिया है जहां गुलाबी रंग का खून बहाकर कैमरे की ट्रिक्‍स से नकली सीन को असली बनाया जाता है. ताकि भावना में डूबे दर्शक की जेब ढीली की जा सके.
कल्‍पना कीजिए सचमुच किसी को ऐसा करना पड़े, तो? नंगे पैर रास्‍तों पर नाचना पड़े तो? हम जूते पहनकर चलने वालों को कंकड़ चुभने के एहसास की कल्‍पना करना जरा मुश्किल है. सोचिए जहां चलना ही मुश्किल हो वहां डांस कितना दुश्‍वार होगा. नृत्‍य करते समय पैरों को पूरी ताकत से सतह पर पटकना होता है. जब सतह कंकड़ पत्‍थरों से भरी हो तो कल्‍पना कीजिए ऐसा डांस कितना दर्द देता होगा. हम जिनकी बात कर रहे हैं वो कोई बसंती नहीं है जो फिल्मी सेट पर नकली डांस कर रही है. ये मध्‍य प्रदेश के आदिवासी जिले के एक गांव की छोटी छोट, भोली और मासूम बच्चियां हैं, जो रास्‍ते पर डांस करके मुंबई पहुंची हैं और जहां उन्‍होंने अपने क्‍लासिक डांस से जजों और दर्शकों को रोमांचित तो किया ही अपनी आपबीती सुनाकर रुलाया भी.
इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें एक आदिवासी गांव की छोटी-छोटी बच्चियां 'ना ना रे, ना ना रे, ना रे…. बरसों रे मेघा बरसो' गीत पर बेहद खूबसूरती से थिरकती नज़र आ रही हैं. यह वीडियो टीवी पर चलने वाली किसी नृत्‍य प्रतियोगिता का हिस्सा है. जिसमें एक जज रणवीर की मम्‍मी नीतू सिंह हैं. मंडी में गिरे चावल बीनकर उससे अपनी भूख मिटाने वाले बहुत ही गरीब परिवार की ये बच्चियां रास्‍ते पर डांस की प्रैक्टिस करती हैं, उनके पास जूते नहीं हैं, कंकड़ पत्‍थर उनके पैरों में चुभते हैं. 'तकलीफ नहीं होती' एक जज पूछती है, बुझे मन से आठ दस साल की एक बच्‍ची कहती है 'आदत पड़ गई है मैम' इन बच्चियों को सलाम, इनकी कहानी द्रवित तो करती है यह भी बताती है कि ये डांस है, ज़ुनून है जिसके सामने कंकड़ पत्‍थरों की औकात ही क्‍या है. यह नृत्‍य की ताकत है, जो इन मासूम और भोली बच्चियों को पूरी क्षमता से पैर उस ज़मीन पर मारने की ताकत देती जहां उसका लहूलुहान होना तय है.
नृत्‍य की इसी ताकत का इस्‍तेमाल कर बॉलीवुड दर्शकों को रुपहले परदे की ओर खींचकर लाता है. नृत्‍य और संगीत भारतीय हिंदी फिल्‍मों की नसों में बहता वो रक्‍त हो जिसके बिना फिल्‍मी शरीर बेजान है. 'इंटरनेशनल डांस डे' पर उन चंद फिल्‍मों की बात करते हैं जिनकी जड़ों में नृत्‍य रूपी पानी का संचार कर उन्‍हें हरे भरे पेड़ की तरह पल्‍लवित किया गया है, ताकि दर्शकों को लुभाया जा सके.
'झनक झनक पायल बाजे' 1955 की व्‍ही. शांताराम की फिल्‍म है. नवरंग भी इन्‍हीं की 1959 की नृत्‍य फिल्‍म है. शांताराम की तीसरी डांस मूवी 'जल बिन मछली नृत्‍य बिन बिजली' 1971 में रिलीज़ हुई थी. जबकि प्रभुदेवा अभिनीत रेमो डिसूज़ा की फिल्‍म 'स्‍ट्रीट डांसर 3 डी' हाल की फिल्‍म है. 'एबीसीडी' (2013) और 'एबीसीडी 2' (2015) भी ताजा फिल्‍में हैं. ये सभी नृत्‍य आ‍धारित फिल्‍में हैं. इससे पता चलता है कि दौर चाहे पुराना हो या नया डांस के बिना फिल्‍मों की की दाल न पहले गली थी और न अब गलने वाली है.
'जल बिन मछली, नृत्‍य बिन बिजली' फिल्‍म का तो शीर्षक ही अपनी कहानी आप कह रहा है. व्‍ही. शांताराम की इस फिल्‍म के गीत अपने दौर में बहुत मशहुर हुए थे. यह नृत्‍य को समर्पित ऐसी लड़की कहानी है जो डांस के प्रति अपने ज़ुनून के लिए सब कुछ त्‍यागने को तैयार थी.
हिंदी फिल्‍म एबीसीडी या 'एनी बडी केन डांस' डांस ड्रामा फिल्‍म है. जिसे रेमो डिसूजा ने निर्देशित और कोरियोग्राफ किया है. यह नृत्‍य की अद्भुत फिल्‍म है जो एक नया और रोमांचकारी अनुभव देती है. फिल्‍म हमें एक साथ फिल्‍मी दुनिया के तीन बड़े नृत्‍य निर्देशकों को एक साथ देखने का मौका देती है. रेमो जहां परदे के पीछे हैं वहीं प्रभुदेवा और गणेश आचार्य परदे पर नज़र आते हैं.
इस फिल्‍म का दूसरा भाग डिस्‍नीज़ 'एबीसीडी 2' 2015 में रिलीज़ हुआ था. इसका निर्देशन भी रेमो ने ही किया. ये कहानी विष्‍णु (प्रभु देवा ), सुरेश (वरूण ) और विनी (श्रद्धा ) की है जो अपने नृत्‍य गुरू विष्‍णु को सम्‍मान दिलाने के लिए हिप हॉप डांस चैम्पियनशिप नामक एक प्रतियोगिता जीतना चाहते हैं.
'स्‍ट्रीट डांसर 3 डी' भी रेमो डिसूज़ा द्वारा निर्देशित एक और डांस फिल्‍म है जिसका निर्माण भूषण कुमार, कृष्‍ण कुमार और लिज़ेल डिसूज़ा ने किया था. इसमें 'एबीसीडी2' के कलाकारों को रिपीट किया गया था. जिनमें , नोरा फतेही के साथ प्रभुदेवा, वरूण धवन, श्रद्धा कपूर शामिल थे. इसे मूल रूप से 'एबीसीडी 2' की अगली कड़ी के रूप में बनाने की योजना थी. फिल्‍म निर्माण से डिज्‍़नी के बाहर निकलने के कारण फिल्‍म का शीर्षक बदल दिया गया था. फिल्‍म के एक गीत 'मुकाबला' ने लोकप्रियता के चरम को प्राप्‍त किया. वैसे यह गीत पहले से ही पापुलर था जिसे रिक्रिएट किया गया था. इस गीत में प्रभुदेवा ने अपने कमाल के स्‍टेप्‍स से दर्शकों को ऐसा सम्‍मोहित किया कि वो उससे आज तक बाहर निकलने का रास्‍ता तलाश रहे हैं.
'मुकाबला' गीत तमिल फिल्‍म कलाधान का था जिसे बाद में हिंदी में डब किया गया, जो 'मुकाबला' के नाम से मशहूर हुआ. यह मूल रूप से मूल रूप से ए आर रहमान द्वारा क्रिएट किया गया था.
एक और मशहूर फिल्‍म थी जिसे कोई डांस फिल्‍म के नाम से नहीं पुकारता वो थी 'गाइड'. देवानंद वहीदा रहमान अभिनीत और विजय आनंद द्वारा निर्देशित 'गाइड' मूलत: एक नृत्‍यांगना की कहानी है जो पति और उसकी दौलत को ठुकरा कर पैरों में घुंघरू बांध लेती है.
'पाकीज़ा' की पहचान भी एक डांस केन्द्रित फिल्‍म से ज्‍यादा सोशल ड्रामा के रूप में है. इसकी कहानी के मूल में भी एक नाचने गाने वाली हीरोइन का कैरेक्‍टर ही था. यह एक पाकीज़ा यानि पवित्र तवायफ की मार्मिक कहानी थी. लता मंगेशकर द्वारा गाए गीतों पर मीनाकुमारी के सेमी क्‍लासिक डांसेस इसकी खासियत थी. 14 साल में तैयार कमाल अमरोही निर्देशित यह फिल्‍म शुरूआती हफ्ते में नहीं चली थी बाद में मीनाकुमारी की डेथ के बाद इसने बॉक्‍स आफिस पर सफलता के झंडे गाड़े थे. फिल्‍म के गीत 'यूं ही कोई मिल गया था सरे राह चलते चलते' चलो दिलदार चलो, इन्‍हीं लोगों ने ले लीना दुपट्टा मेरा, खासतौर पर बहुत मशहूर हुए और आज भी चाव से सुने जाते हैं.
'डिस्‍को डांसर' एक मशहूर म्‍युजिक डांस फिल्‍म है. इस फिल्‍म और इसके नायक मिथुन चक्रवर्ती को देश में डिस्‍को डांस का क्रेज़ बढ़ाने का श्रेय जाता है. इसका शीर्षक गीत 'आई एम ए डिस्‍को डांसर' युवाओं में बहुत लोकप्रिय था. यह पहली फिल्‍म थी जिसने 100 करोड़ कमाए थे.
बीट्स पर थिरकते अनिल कपूर और एश्‍वर्या तो याद होंगे ही. 'रमता जोगी मैं रमता जोगी' जैसे डांस नंबर से सजी सुभाष घई की 'ताल' शुद्ध नृत्‍य फिल्‍म तो नहीं थी, हां संगीत और नृत्‍य की गहरी चाशनी में डूबी रूहानी फिल्‍म थी. रब ने बना दी जोड़ी और हेप्‍पी न्‍यु इयर भी डांस फिल्‍मों में शामिल की जाती हैं.
डांस फिल्‍मों की बात नाचे मयूरी के जि़क्र के बिना अधूरी है. सुधा चन्‍द्रन की जिंदगी पर बनी यह फिल्‍म डांस की दीवानी एक ऐसी लड़की की कहानी है जो एक दुर्घटना में अपने पैर गंवाने के बाद भी डांस के प्रति अपने ज़ुनून को नहीं छोड़ती और अंतत: एक बड़ी डांसर बनकर दिखाती है. 1984 की इस फिल्‍म को टी रामाराव ने निर्देशित किया था. जो इसे इससे पहले 1984 में मयूरी के नाम से बना चुके थे. इसमें सुधा चन्‍द्रन ने अपने ही केरेक्‍टर को जिया था.
'दिल तो पागल है' यश चौपड़ा की शाहरूख खान, माधुरी दीक्षित और करीना कपूर अभिनीत एक बेहद खूबसूरत और रोमांटिक मूवी है. ये एक कोरियोग्राफर और दो डासंर्स की प्रेम त्रिकोण वाली कहानी है. फिल्‍म में बेहद खूबसूरत डांस सीक्वेंस हैं जिसे श्‍यामक डावर ने कोरियोग्राफ किया है. पापुलर गीत, मनमोहक लोकेशंस और उनका खूबसूरत फिल्‍मांकन इस फिल्‍म की यूएसपी है.
'आज नचले' माधुरी दीक्षित के लुभावने नृत्‍यों के कारण जानी जाती है. आदित्‍य चौपड़ा की 2007 की इस फिल्‍म में माधुरी ने पांच साल के गैप के बाद री-एंट्री की थी. चलते-चलते कुछ फिल्‍मी गीतों की बात. बता दें हम सर्वश्रेष्‍ठ गीतों की सूची कतई पेश नहीं कर रहे हैं, कुछ पापुलर गीतों का जि़क्र भर कर रहे हैं.
प्रभुदेवा के नृत्‍य गीत 'उर्वशी उर्वशी' की तो याद होगी ही आपको. यह 1995 की फिल्‍म 'हमसे है मुकाबला' का डांस नंबर था जो आज भी थिरकने पर मजूबर करता है. कटरीना कैफ और सिद्धार्थ का 'काला चश्‍मा' में भी शानदार कोरियोग्राफी थी. डफली वाले, चिटियां कलाईयां, बॉबी डॉल, अभी तो पार्टी शुरू हुई है. लंदन ठुमकदा, कहना है क्या, जिया जले जान जले, मईया-मईया, नशे सी चढ़ गई तू, अफगान जलेबी, साकी रे साकी रे और धूम 3 के सांग आदि.
एक गीत का अलग से जि़क्र करने को दिल कर रहा है. 'हल्‍लो हल्‍लो तू फ्लोर पे कब है आई, ये लो, ये लो, बड़ी सॉलिड मस्‍ती छाई……धक धक धक धक धड़के ये दिल, छन छन बोले अमृतसारी चूडि़यां…..' बहुत मस्‍ती भरा गीत है. 'दिल धड़कने दो' के इस गीत में अनिल कपूर, शेफाली शाह, प्रियंका, रणवीर सिंह और फरहान अख्‍तर मस्‍ती में डूबकर डांस करते नज़र आते हैं. फिल्‍मी गीतों में बहुत छोटे छोटे शॉट्स होते हैं. यह गीत इस मामले में जुदा था और इसमें लंबे-लंबे शॉट्स थे.
डांस सिर्फ फिल्‍मों तक सीमित नहीं है, नृत्‍य हमारी जिंदगी में गहरे समाया हुआ है. बच्‍चा जब पैदा होता है, तो रोता है और पैर पटककर अपनी बात कहता है. उसके पैर पटकने की यह क्रिया एक तरह से नृत्‍य ही है. किसी ने खूब कहा है और सच कहा है- 'जीवन का सच, सच है, जीवन भी एक नृत्‍य है.'
Next Story