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भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के तहत ब्याज दरों में फिर बढ़ोतरी की है
भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति के तहत ब्याज दरों में फिर बढ़ोतरी की है. इस बार हुई 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़त के साथ अब ब्याज दर 6.50 प्रतिशत हो गयी है. सरकारी बॉन्ड के बदले बैंकों द्वारा ली जाने वाली नकदी पर ब्याज दर अब 6.75 प्रतिशत होगी. उल्लेखनीय है कि मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिए पिछले साल मई से ही दरों को बढ़ाने का सिलसिला जारी है.
ताजा बढ़ोतरी के साथ तब से अब तक कुल वृद्धि 250 बेसिस प्वाइंट (2.5 प्रतिशत) हो चुकी है. अपने बयान में रिजर्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 में मुद्रास्फीति के घटकर 5.3 प्रतिशत होने की उम्मीद है. वर्तमान वित्त वर्ष में यह औसतन 6.5 प्रतिशत रही है. हालांकि हालिया दिनों में इस दर में कुछ कमी आयी है, लेकिन रिजर्व बैंक ने कहा है कि मुख्य मुद्रास्फीति अभी भी बहुत अधिक है.
ऐसे में ब्याज दर का बढ़ाना स्वाभाविक है. इस वित्त वर्ष में दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष मुद्रास्फीति की चुनौती रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध के जारी रहने, विभिन्न भू-राजनीतिक तनावों तथा वैश्विक आपूर्ति शृंखला में बाधा बने रहने के कारण आगे भी बड़ी राहत की अपेक्षा नहीं है. ऐसे में ब्याज दर बढ़ाने के साथ बजट में प्रस्तावित पूंजी व्यय में वृद्धि करना उचित उपाय हैं.
इस वर्ष अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के सात प्रतिशत रहने का आकलन है, लेकिन विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारकों के कारण अगले वित्त वर्ष में इसमें कमी का अंदेशा है. रिजर्व बैंक का मानना है कि वित्त वर्ष 2023-24 में वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रह सकती है. बजट से पूर्व प्रकाशित आर्थिक समीक्षा में भी कहा गया है कि अगले साल आर्थिक वृद्धि दर छह से 6.8 प्रतिशत के बीच रह सकती है.
अपेक्षाकृत कम वृद्धि के बावजूद भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है. रिजर्व बैंक ने यह भी रेखांकित किया है कि भारतीय रुपया 2022 में और इस साल एशिया की उन मुद्राओं में है, जिन्हें सबसे कम उतार-चढ़ाव से गुजरना पड़ा है. इससे भी हमारी अर्थव्यवस्था की मजबूती इंगित होती है.
इस वर्ष 27 जनवरी तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 576.8 अरब डॉलर है, जो 2022-23 के 9.4 महीनों के संभावित आयात का भुगतान करने के लिए पर्याप्त है. रिजर्व बैंक ने कहा है कि रबी फसल की अधिक खेती, उधार का ठोस विस्तार और बजट में पूंजी व्यय पर जोर जैसे कारकों से अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार मिलेगा.
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सोर्स: prabhatkhabar
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Triveni
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