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अफगानिस्तान में मुसलमान को मुसलमान ही मार रहा है। पाकिस्तान के रूप में एक और मुसलमान हालात को सुलगा रहा है
अफगानिस्तान में मुसलमान को मुसलमान ही मार रहा है। पाकिस्तान के रूप में एक और मुसलमान हालात को सुलगा रहा है। यहां तक कि बमों और मिसाइलों से हवाई हमले भी कर रहा है। एक और इस्लामी देश ईरान ने सख्त आपत्ति दर्ज कराई है और साफ कहा है कि वह लोकतांत्रिक तौर पर चुनी और बनी सरकार को ही मान्यता देगा। पाकिस्तान पूरी तरह से दहशतगर्द की भूमिका में है। उसकी फौज, खुफिया एजेंसी आईएसआई और कुछ आतंकी संगठन अफगानिस्तान में लड़ाई लड़ रहे हैं अथवा जंग में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं! आईएसआई चीफ लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद तो काबुल में हैं, कुछ कमांडर भी जंग को संचालित कर रहे हैं। शायद सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा भी काबुल में पहुंच जाएं! तालिबानी अफगानिस्तान में जो घटनाक्रम जारी है, उससे एशिया का यह क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होगा।
भारत के सैन्य सूत्रों का दावा है कि कश्मीर या आसपास के इलाके में लश्कर, जैश और अलबदर के 200 से ज्यादा आतंकी लामबंद हो चुके हैं। जाहिर है कि आतंकी हमला ही उनका मकसद और मंसूबा होगा! इस दौरान इस्लाम और कुरान की अलग-अलग व्याख्याएं की जा रही हैं। भविष्य की रणनीति भी स्पष्ट हो रही है। आखिर किसे इस्लाम माना जाए? यह सवाल बेहद महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि आत्मघाती दहशतगर्दी उसी से प्रेरित है। जो मुसलमान मर रहा है, जो मुसलमान को मार रहा है और जो तीसरा मुसलमान हालात को भड़काने-हिंसक बनाने में जुटा है, इस्लाम के मुताबिक किसे सच्चा मुसलमान माना जाए? कौन-सा पक्ष इस्लामी तौर पर मज़हबी है? इस संदर्भ में पाकिस्तान की प्रख्यात 'लाल मस्जिद के मौलवी के बयान बेहद विवादास्पद हैं, क्योंकि उन्होंने इस्लाम की स्थापित मान्यताओं के उलट बोला है। मौलाना अब्दुल अज़ीज़ का प्रलाप है कि अफगानिस्तान को फतेह करने के बाद अब ताजिकिस्तान, उज़बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और सऊदी अरब को फतेह करना है।
हमारे जेहादी दुनिया भर में इस्लामी हुकूमत कायम करेंगे। तालिबान के साथ 1000 फिदायीन लड़ रहे हैं। हम अमरीका, ब्रिटेन, स्पेन आदि देशों तक भी इस्लामी हुकूमत तय करेंगे। कुरान में ही लिखा है कि एक मकसद के लिए दहशतगर्द बनें। कश्मीर में भी अफगानिस्तान जैसा जेहाद जरूरी है। मौलाना ने यह दिमागी प्रलाप किया है, तो क्या यह सब कुछ प्रायोजित था? 'लाल मस्जिद पर तालिबान का झंडा क्यों लहरा रहा था? क्या प्रधानमंत्री इमरान खान की जानकारी में था? यह वीडियो दुनिया भर में वायरल हुआ है। बाद में पाकिस्तान की पुलिस ने झंडे को हटा दिया। क्या मौलाना और हुकूमत के दरमियान कोई सांठगांठ थी? क्या इमरान खान के पाकिस्तान का इस्लाम भिन्न है? क्या आत्मघाती बम बनना भी इस्लामी है? भारत के मौलाना और इस्लामी स्कॉलर फिदायीन बनकर बम-विस्फोट करना 'हलाकत मानते हैं।
वे पाकिस्तान के मौलाना के बयानों को 'ज़हरीला भी करार दे रहे हैं। उनका मानना है कि मानव-बम बनने वाले जहन्नुम में जाएंगे। इस्लाम अमन, प्यार-मुहब्बत, इंसानियत और बराबरी का संदेश देनेे वाला मज़हब है। कुरान की व्याख्या करने वाले ज्यादातर लोगों ने दरअसल यह पवित्र ग्रंथ ही नहीं पढ़ा। 'लाल मस्जिद के मौलवी धमकी के अंदाज़ में भी कहते हैं-'इस्लाम कबूल करो या तुम्हारी विदाई तय है। दरअसल हम इस्लाम और कुरान के विद्वान जानकार नहीं हैं, लेकिन मौलवी ने जो खतरनाक जुबां बोली है, वह मज़हबी तौर पर विध्वंसक है। दुनिया में इस्लाम क्या अफगानिस्तान और तालिबान की तरह हुकूमत तय कर सकता है? हम मानते हैं कि ज्यादातर इस्लामी देश भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान के मौलवी से सहमत नहीं होंगे। दुनिया पर किसी भी तरह के जेहाद और आतंकवाद से कब्जा नहीं किया जा सकता। इतनी ताकत आतंकियों और पाकिस्तान में नहीं है। दरअसल मौलवी नहीं, पाकिस्तान को विश्व स्तर पर तलब किया जाना चाहिए और पूछना चाहिए कि वह इस मौलवी पर क्या कार्रवाई करेगा।
divyahimachal

Rani Sahu
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