सम्पादकीय

बौद्धिक संपदा: वैश्विक नवाचार में भारत, सुधारों की दरकार

Neha Dani
27 Sep 2021 1:50 AM GMT
बौद्धिक संपदा: वैश्विक नवाचार में भारत, सुधारों की दरकार
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औद्योगिक इंजीनियरिंग अध्ययन और अनुसंधान के क्षेत्र में भारत अभी शुरुआती अवस्था में है, जबकि मजबूत आपूर्ति शृंखला बनाने के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) द्वारा जारी वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स-जीआईआई), 2021 में भारत दो पायदान ऊपर उठकर 46वें स्थान पर पहुंच गया है। पिछले साल भारत 48वें तथा 2019 में 52वें स्थान पर था। जबकि पांच साल पहले भारत 81वें स्थान पर था। इस सूचकांक के तहत निम्न मध्यम आय वर्ग में भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर तथा आईएसटी सेवा निर्यात सूचकांक में पहले स्थान पर है।

पिछले एक दशक में भारत वैश्विक नवाचार में तेजी से आगे बढ़ा है। नए वैश्विक ग्लोबल इंडेक्स के तहत भारत में व्यापक ज्ञान पूंजी, डिजिटल सुविधाएं, स्टार्टअप के लिए अनुकूलताएं, कारोबारी विशेषज्ञता, राजनीतिक और संचालन से जुड़ी स्थिरता, सरकार की प्रभावशीलता, घरेलू कारोबार में सरलता तथा कोविड के बीच स्वास्थ्य सामग्रियों एवं दवाओं के उत्पादन में हेल्थ रिसर्च की प्रभावी भूमिका रही है।
देश को वैश्विक नवाचार में बढ़त दिलाने में विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग और अंतरिक्ष विभाग आदि ने अहम भूमिका निभाई है। नीति आयोग द्वारा पिछले साल जारी इंडिया इनोवेशन इंडेक्स को देश के सभी राज्यों में नवाचार के विकेंद्रीकरण की दिशा में एक प्रमुख कदम के रूप में स्वीकार किए जाने का भी लाभ मिला है। नवाचार बढ़ने में डिजिटल ढांचे और सुविधाओं की भी भूमिका है।
दुनिया के बड़े सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफॉम में गिने जाने वाले आधार, यूपीआई तथा कोविन भारत की ही देन हैं। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) द्वारा प्रकाशित डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा वैश्विक सर्वेक्षण रिपोर्ट, 2021 में डिजिटल सुविधाओं के मद्देनजर दुनिया की 143 अर्थव्यवस्थाओं के तहत व्यापार पारदर्शिता, औपचारिकताएं, संस्थागत प्रावधान व सहयोग, कागज रहित व्यापार जैसे क्षेत्र में भारत ने 90.32 फीसदी अंक हासिल किए हैं। जबकि 2019 में भारत को 78.49 फीसदी अंक मिले थे।
कोरोना वायरस के खिलाफ भारत में निर्मित टीकों के लिए वैज्ञानिकों एवं तकनीशियनों द्वारा किए गए अनुसंधान, नवाचार तथा नई तकनीक की अहम भूमिका है। किसी बीमारी का टीका बनाने में कई वर्ष लगते हैं, पर भारत में कुछ ही महीने में कोरोना का टीका बनाने का कठिन लक्ष्य पूरा किया गया। कोविड-19 ने सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति के लिए शोध एवं तकनीकी विकास के महत्व को तेजी से आगे बढ़ाया है।
जैसे, लॉकडाउन के कारण विभिन्न तकनीकी रुझान में अप्रत्याशित तेजी आई। इस दौरान देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, ब्लॉकचेन इंटरनेट ऑफ थिंग्स के क्षेत्र में नई खोज और अनुसंधान के मामले में तेजी से आगे बढ़ा। इस कारण अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी कंपनियां भारत में अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से बढ़ाते हुए दिखाई दे रही हैं।
यदि हम इस सिलसिले को जारी रखना चाहते हैं, तो कुछ बातों पर ध्यान देना पड़ेगा। अपने यहां आर ऐंड डी (रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट) पर खर्च अब भी जीडीपी के एक फीसदी से भी कम है। इस्राइल, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, चीन और जापान इस मामले में भारत से बहुत आगे हैं। भारत में आर ऐंड डी पर जितनी राशि खर्च होती है, उसमें निजी उद्योग-कारोबार क्षेत्र का योगदान काफी कम है, जबकि अमेरिका, इस्राइल, चीन सहित विभिन्न देशों में निजी क्षेत्रों का योगदान काफी अधिक है।
अपने यहां आर ऐंड डी पर खर्च जीडीपी का दो प्रतिशत तो होना ही चाहिए। जाहिर है, जीआईआई रैंकिंग में 46वें पायदान पर पहुंच जाने की ताजा उपलब्धि संतुष्ट होने का अवसर नहीं है। अभी शोध, नवाचार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और तकनीकी विकास में व्यापक सुधार की जरूरत है। औद्योगिक इंजीनियरिंग अध्ययन और अनुसंधान के क्षेत्र में भारत अभी शुरुआती अवस्था में है, जबकि मजबूत आपूर्ति शृंखला बनाने के लिए यह काफी महत्वपूर्ण है।

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