सम्पादकीय

संसद की नई इमारत खड़ी करना देशभक्तों का अपमान

Rani Sahu
24 May 2023 5:48 PM GMT
संसद की नई इमारत खड़ी करना देशभक्तों का अपमान
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By: divyahimachal
संसद भवन मात्र ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं है, बल्कि हजारों देशभक्त भारतीयों के बलिदान का स्मारक भी है जिन्होंने आने वाली पीढिय़ों की आजादी के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनकी कुर्बानियों का स्मारक भी है जिन्होंने अपना धन-दौलत भारत की खुशहाली के लिए इसको समर्पण कर दिया। जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा तो यहां न स्कूल थे, न उच्च शिक्षण संस्थान। न सडक़ें थीं, न मोटर गाडिय़ां। आमजन के लिए केवल बैलगाडिय़ां आने-जाने का साधन थी, यह आजादी के बाद ईमानदारी से बने आज के यातायात के साधनों का भी गवाह है। ऐसे ऐतिहासिक स्मारक को मिटा कर एक नई इमारत को इसकी जगह खड़ी करना देशभक्तों का अपमान है, सुभाषचंद्र बोस, भगतसिंह, राजगुरु, गांधी-नेहरु जैसे देशभक्तों की कुर्बानियों की यादगार को मिटाने का प्रयास है। -प्रवीण पडियाल, दाड़ी, धर्मशाला
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