सम्पादकीय

'पिता हमेशा गुस्सा करते रहते हैं' यह कहने के बजाय उनकी बजटिंग में थोड़ी मदद करें

Gulabi
2 March 2022 8:23 AM GMT
पिता हमेशा गुस्सा करते रहते हैं यह कहने के बजाय उनकी बजटिंग में थोड़ी मदद करें
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ओपिनियन
एन. रघुरामन का कॉलम:
पूरे दो साल बाद फरवरी के आखिरी दिन मैं ग्रोसरी शॉपिंग पर गया। चूंकि कोविड में तो ज्यादातर ऑनलाइन खरीदारी ही थी। तबसे फरवरी पहला महीना था, जब मैंने डिपार्टमेंटल स्टोर जाने की योजना बनाई। खरीदारी के दौरान जैसा लोग करते हैं, मैंने भी शेल्फ देखीं, उत्पादों का आमने-सामने निरीक्षण किया, बाकी स्पर्धी उत्पादों के बीच दामों में अंतर देखा, उत्पाद की अंतिम तारीख देखी। चूंकि शॉपिंग मेरे लिए थैरेपी है, इसलिए मैंने बराबरी से शॉपिंग की।
स्टोर जाकर वहां भीड़ से घुल-मिल जाने और दूसरों को खरीदारी करता देखकर मैं रोमांचित था क्योंकि मुझे वहां से लिखने के लिए कुछ मिल सकता था। मैंने देखा कि लोग शॉपिंग के दौरान बहुत ज्यादा गुणा-भाग करने के साथ दुविधा में थे। पति-पत्नी इस पर बहुत वक्त बिता रहे थे कि किस ब्रांड का क्या लें। मुझे जो चाहिए था, वो मिल गया था। एक गलियारे से दूसरे गलियारे बढ़ते हुए मैंने महसूस किया कि कुछ अतिरिक्त चीजें भी ले ली हैं, अमूमन मैं ऐसा नहीं करता।
जब कैश काउंटर पर गया, तो पाया कि फरवरी 2020 में मैंने जो बिल चुकाया था, उससे यह 150% ज्यादा था। तब मुझे अहसास हुआ कि मई 2020 से जनवरी 2022 के बीच दुनियाभर में खाने की कीमतें 49% प्रतिशत बढ़ गई हैं और फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ यूनाइटेड नेशंस के अनुसार भी ये 2011 से अपने उच्चतम स्तर पर हैं।
जब घर लौट रहा था तो दिमाग में गणित चल रही थी कि कैसे यूक्रेन पर रूस के हमले ने पश्चिमी देशों में गेहूं की आपूर्ति को प्रभावित किया होगा, इन दोनों देशों का संयुक्त रूप से वैश्विक गेहूं निर्यात 29% है। पिछले साल सूखे के कारण अर्जेंटीना, ब्राजील, अमेरिका में पहले से ही कॉफी, कॉर्न, शुगर, गेहूं का उत्पादन प्रभावित हुआ है।
ये युद्ध निश्चित रूप से ईंधन की कीमतें प्रभावित करेगा और ईंधन, खाद्य कीमतें। जब घर पहुंचा तो मैंने गुणा-भाग किया और अहसास हुआ कि एक तिहाई विकासशील देश दो अंकों में पहुंच चुकी महंगाई दर से निपट रहे हैं, हाल ही में विश्व बैंक ने भी इसकी पुष्टि की है। पिछले महीने विश्व बैंक ने 2022 में मुद्रास्फीति की दर का अनुमान बढ़ाकर 3.3% कर दिया है, इससे पहले मई में 2.3% अनुमान लगाया गया था।
मैं उन लोगों के लिए चिंतित था जो एकदम टाइट बजट में किसी तरह घर चला रहे हैं। उन परिवारों का सोच रहा था जहां खाना, घर खर्च का सबसे अहस हिस्सा है। मैं जूते उतारता, उससे पहले ही पत्नी ने कहा कि डॉग्स को वॉक पर ले जाऊं। अचानक मुझे गुस्सा आ गया और ऊंची आवाज में ऊटपटांग बोल गया, जो कि मुझे नहीं कहना चाहिए था। जब दिमाग पर जोर डाला कि आखिर ये गुस्सा कहां से आया, तब समझ आया कि कारण मूल्य वृद्धि है।
मैंने झट से स्कूल-कॉलेज के वाट्सएप ग्रुप में खुद में आए इस व्यावहारिक बदलाव का जिक्र किया। उनमें से कई लोगों ने, जिनके लिए रसोई खर्च अभी भी चिंता का मसला है, यही बात दोहराई और मेरी भावनाओं से सहमति जताई कि शॉपिंग से लौटकर वे भी शॉक रह जाते हैं।
एक स्कूल मित्र, जिसका पूरी जिंदगी मासिक वेतन छह अंकों से ज्यादा नहीं रहा, उसने स्वीकारा कि 'मूल्यवृद्धि ने तय रूप से हमारे घरों की शांति भंग कर दी है।' याद रखें कि समाज का बड़ा हिस्सा, जैसे कुछ नौकरियों में वेतन पांच अंकों से भी कम होता है, कल्पना करें यह मू्ल्यवृद्धि उन्हें कितना परेशान करेगी?
फंडा यह है कि अगर ग्रॉसरी खरीदने के बाद आपके पिता चिंतित हों, तो उन्हें कुछ देर परेशान न करें, वह शायद फैमिली का बजट बैठाने के बारे में सोच रहे हों। 'पिता हमेशा गुस्सा करते रहते हैं' यह कहने के बजाय उनकी बजटिंग में थोड़ी मदद करें।
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