सम्पादकीय

आपदा में अमानवीयता

Subhi
12 May 2021 3:08 AM GMT
आपदा में अमानवीयता
x
मानवीय तकाजा है कि आपदा के वक्त लोग एक-दूसरे का सहयोग करें, उन्हें जरूरी सुविधाएं और जीवन रक्षक सामग्री उपलब्ध कराएं,

मानवीय तकाजा है कि आपदा के वक्त लोग एक-दूसरे का सहयोग करें, उन्हें जरूरी सुविधाएं और जीवन रक्षक सामग्री उपलब्ध कराएं, मगर कोरोना की इस दूसरी लहर में बड़े पैमाने पर ऐसी अमानवीय घटनाएं सामने आ रही हैं, जिन्हें देख-सुन कर दिल दहल जाता है। इस वक्त जब देश भर के अस्पताल आॅक्सीजन और इस संक्रमण के इलाज में काम आने वाली जरूरी दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं, तब कई जगहों से कुछ दवा विक्रेताओं, वितरकों और सक्षम लोगों द्वारा इनकी जमाखोरी और कालाबाजारी की खबरें भी मिल रही हैं। रोगियों और शवों को ढोने वाले वाहन चालक मनमानी पैसा वसूलते देखे जा रहे हैं, तो अस्पतालों में बिस्तर दिलाने, आॅक्सीजन सिलेंडर और इस संक्रमण के लिए जरूरी मानी जा रही दवा रेमडेसिविर आदि उपलब्ध कराने के नाम पर हजारों रुपए ऐंठने वाले गिरोह भी बड़ी संख्या में सक्रिय हो गए हैं। इस समस्या को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका भी दायर की गई। अब केंद्र सरकार ने अदालत को आश्वस्त किया है कि सभी राज्य सरकारों से आॅसीजन सिलेंडर, दवाओं और दूसरी आवश्यक सामग्री की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्ती बरतने का अनुरोध किया गया है। अब तक इस मामले में एक सौ सत्तावन लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई है।

विचित्र है कि जिन मामलों में लोगों को खुद नागरिक बोध और मानवीय संवेदना से संचालित होकर सहयोग के लिए आगे आना चाहिए, उनमें भी अदालतों और सरकारों को कड़ाई से पेश आना पड़ रहा है। हालांकि ऐसे वक्त में बहुत सारे लोग अपनी क्षमता के मुताबिक रोगियों की मदद के लिए तरह-तरह से सहयोग करते हुए मिसाल पेश कर रहे हैं। चाहे वह मुफ्त आक्सीजन पहुंचाना हो, लोगों को अस्पताल पहुंचाना हो, उन्हें भोजन, दवा आदि उपलब्ध कराना हो, हर तरह की मदद पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। कई लोग अपनी जमा पूंजी इसके लिए खर्च कर रहे हैं, तो कुछ अपने जेवर तक बेच कर लोगों की मदद को तैयार दिख रहे हैं। ऐसे लोगों से भी कालाबाजारी करने वाले कोई प्रेरणा नहीं ले पा रहे, तो इसे क्या कहेंगे।
दरअसल, यह प्रवृत्ति भारत में नई नहीं है। आपदा के ऐसे अनेक दिनों में अमानवीय ढंग से सिर्फ अपने लाभ की चिंता करने वालों को सक्रिय देखा जाता रहा है। उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं होती कि उनकी इस प्रवृत्ति से लोगों की जान पर बन आती है।
कितना विचित्र है कि इस वक्त में कई ऐसे बड़े दुकानदार पकड़े गए हैं, जिन्हें न तो पैसे की कोई कमी है और न उनके कारोबार में मंदी है। फिर भी जरूरी दवाओं और आॅक्सीजन सांद्रक जैसे उपकरणों की जमाखोरी और उन्हें ऊंची कीमत पर बेच कर वे कमाई करने की अपनी भूख शांत करने में जुटे हैं। अब हालांकि दूसरे देशों से भारी मात्रा में चिकित्सीय सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है, केंद्र और राज्य सरकारें भी अपनी पहल पर जरूरी सामग्री की किल्लत को दूर करने में कामयाब होती देखी जा रही हैं, जल्दी ही इस समस्या पर काबू पाने की उम्मीद जगी है।
मगर इस आपदा में जो लोग दूसरों की जान की कीमत पर अपनी तिजोरी भरने में जुटे हैं, उन्हें मानवीय मूल्यों का पाठ पढ़ाने के बजाय कानून से ही सबक सिखाया जा सकता है। राज्य सरकारों को ऐसे लोगों के खिलाफ किसी भी प्रकार की रियायत नहीं बरतनी चाहिए। तभी दूर-दराज के इलाकों में फैल रही इस महामारी को रोकने में भी मदद मिल सकती है।

Next Story