सम्पादकीय

Information Warfare: पोस्ट ट्रुथ का युग और इंफोर्मेशन वॉर, युद्ध के इस बदलते परिदृश्य में कहां खड़ा है भारत

Neha Dani
7 Oct 2022 2:06 AM GMT
Information Warfare: पोस्ट ट्रुथ का युग और इंफोर्मेशन वॉर, युद्ध के इस बदलते परिदृश्य में कहां खड़ा है भारत
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इसका अस्तित्व हमेशा हमारे बीच रहेगा भले ही इस पर किसी को विश्वास न हो।

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हिटलर ने कहा था - "Demoralize The Enemy From Within By Surprise, Terror, Sabotage, Assassination. This is The War of The Future". - "दुश्मनों को मानसिक रूप से हतोत्साहित कर देना ही भविष्य का युद्ध है।" आज के दौर में जब दुनिया चौथी ओद्योगिक क्रांति में प्रवेश कर चुकी है। ऐसे में दुश्मन देशों को हतोत्साहित करने से लेकर उनको कई अहम मोर्चों पर पीछे करने के लिए इंफोर्मेशन एक बड़ा हथियार बन चुका है।

ये सूचना क्रांति का दौर है। सूचना क्रांति ने पूरे विश्व की रूपरेखा बदलने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। इसके आने के बाद दुनिया अब दुनिया न होकर एक वैश्विक गांव में तब्दील हो चुकी है। वैश्वीकरण के इस दौर में डाटा ने पूरी दुनिया को एक सूत्र में बांधने का काम किया है। ऐसे में इस दौर को इंफोर्मेशन बूम की संज्ञा देना गलत नहीं होगा। क्लाइव हंबी के शब्दों में कहें, तो आज के समय डाटा न्यू ऑयल है।
वर्तमान समय में डाटा और इंफोर्मेशन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर ट्रेंड्स और पैटर्न्स को समझने से लेकर किसी घटना के क्या परिणाम हो सकते हैं उसको रेंडर करने में किया जा रहा है। यही नहीं डाटा और इंफोर्मेशन को डिस्टॉर्ट करके बड़े-बड़े युद्धों की दिशा को बदला जा रहा है।
आज के इस युग में जहां सेनाएं, सरकारें और अर्थव्यवस्थाएं एक पेंचीदा ग्लोबल इंफोर्मेशन सिस्टम पर निर्भर हैं। उसमें किसी महाशक्ति को बिना किसी हथियार और बम बारूद के केवल इंफोर्मेशन के दम पर हराया जा सकता है। आज इंफोर्मेशन एक हथियार बन चुका है। इस हथियार के सहारे किसी भी सुपरपावर के किले को पल भर में ढहाया जा सकता है।
वर्तमान समय में अमेरिका, ब्रिटेन, चीन या किसी दूसरी महाशक्ति को चलाने में हाई स्पीड डिजिटल कम्यूनिकेशन सिस्टम एक बड़ी भूमिका निभा रहा है। सोचिए जरा, अगर कोई देश साइबर अटैक के जरिए इन देशों के हाई स्पीड डिजिटल कम्यूनिकेशन सिस्टम में सेंध लगा दे तो क्या होगा?
आज जो मशीनें (Internet, GPS, Social Media, Digital Transaction, Airspace etc) हमें कनेक्ट रख रही हैं। वो एक सिक्रोनाइज्ड टाइम जोन पर निर्भर हैं। ये मशीनें इंटरनेट टाइम सर्विस के जरिए ही एक दूसरे के साथ जुड़ी हैं। इन्हीं के माध्यम से इलेक्ट्रिक पावर ग्रिड, टेलीकम्यूनिकेशन नेटवर्क, फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम को नियंत्रित किया जा रहा है।
अगर इंटरनेशनल टाइम सर्विस में ही छेड़-छाड़ कर दी जाए तो...? इससे पूरी दुनिया की स्थिरता संकट में आ सकती है। एयरस्पेश, जीपीएस, सैटेलाइट पोजिशनिंग सिस्टम, इंटरनेट से लेकर पूरे देश का इंफ्रास्ट्रक्चर तक ढह सकता है।
सत्य हमारे विचारों से स्वतंत्र है। इसका अस्तित्व हमेशा हमारे बीच रहेगा भले ही इस पर किसी को विश्वास न हो।

सोर्स: अमर उजाला

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