सम्पादकीय

महंगाई बेकाबू ना हो जाए!

Gulabi
28 Feb 2022 7:34 AM GMT
महंगाई बेकाबू ना हो जाए!
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तेल कंपनियों ने फिलहाल तेल की कीमतों में बदलाव नहीं किया है
By NI Editorial.
तेल कंपनियों ने फिलहाल तेल की कीमतों में बदलाव नहीं किया है। संभवतः ऐसा पांच राज्यों में जारी चुनाव के कारण हुआ है। मगर मतदान खत्म होने के बाद अभी कुछ समय मिली राहत जारी नहीं रह पाएगी। 2014 के बाद पहली बार हुआ, जब कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के पार चली गई।
भारत के लोग पहले से ही कमरतोड़ महंगाई के बीच जी रहे हैँ। इसी बीच रूस-यूक्रेन संकट ने नई स्थिति पैदा कर दी है। इस वजह से कच्चे तेल की कीमतों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारी इजाफा हुआ है। नतीजतन, उच्च मुद्रास्फीति के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने की संभावना पैदा हो गई है। इस समय भारत कच्चे तेल की अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आयात करता है, जो सालाना करीब 150 अरब डॉलर है। कच्चे तेल की कीमतों में किसी भी तरह की बढ़ोतरी का पेट्रोल और डीजल की घरेलू कीमतों पर सीधा असर होगा। हालांकि भारतीय तेल कंपनियों ने फिलहाल तेल की कीमतों में बदलाव नहीं किया है। समझा जाता है कि ऐसा पांच राज्यों में जारी चुनाव के कारण हुआ है। मगर मतदान खत्म होने के बाद अभी कुछ समय मिली राहत जारी नहीं रह पाएगी। गौरतलब है कि सितंबर 2014 के बाद पहली बार कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के पार गई। रूस और यूक्रेन में तनाव अक्टूबर 2021 में बढ़ना शुरू हुआ, उस वक्त तेल 85 डॉलर प्रति बैरल पर था। तब से लेकर अब तक इसकी कीमत में करीब 24 प्रतिशत की उछाल दर्ज की गई है।
ऐसे में इस आशंका का ठोस आधार है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों का एलान के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम तेजी से बढ़ेंगे। विश्लेषकों ने अनुमान लगाया है कि खुदरा ईंधन की कीमतों में करीब 8-10 रुपये प्रति लीटर की एक साथ बढ़ोतरी होगी। गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन के बीच तनाव का असर भारतीय रुपये पर भी देखने को मिला है। डॉलर के मुकाबले रुपये और कमजोर होने की संभावना बनी हुई है। इसका अर्थ है कि यूक्रेन संकट का सीधा असर भारत की आम जनता पर भी पड़ेगा। पेट्रोल-डीजल, गैस, खाद्य तेल और गेहूं जैसी कमोडिटीज महंगी होंगी। प्राकृतिक गैस महंगी होने से फर्टिलाइजर, बिजली और ऐसे सभी रसायनों के दाम बढ़ेंगे जिनके उत्पादन में गैस का इस्तेमाल होता है। पूरी दुनिया में रूस अकेले 12 प्रतिशत के करीब कच्चे तेल का उत्पादन करता है। बाकी देशों के अलावा भारत रूस से कच्चा तेल, गैस, सैन्य उपकरण आदि खरीदता है। भारत यूक्रेन से दवा, मशीन, रसायन, पॉलिमर और खाने का तेल खरीदता है। ऐसे में रूस और यूक्रेन के बीच जो संकट खड़ा हुआ है, उसका भारत पर असर पड़ना ही है।
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