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इन विभिन्न उपायों पर ध्यान देने से महंगाई को अवश्य नियंत्रित किया जा सकेगा।
हाल ही में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि देश में महंगाई की ऊंची दर बनी हुई है। ऐसे में बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण हेतु रिजर्व बैंक ने एक बार फिर से रेपो रेट में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की है, जिससे रेपो दर 4.90 फीसदी से बढ़कर 5.40 फीसदी हो गई है। रिजर्व बैंक ने पिछले मई और जून में भी रेपो दर में क्रमशः 40 और 50 आधार अंकों की वृद्धि की थी। रेपो दर वस्तुतः वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक अपने अधीन बैंकों को कर्ज देता है। इससे बाजार में नकदी के प्रसार पर नियंत्रण रखा जाता है। रिजर्व बैंक ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि के साथ तेज विकास दर को बढ़ावा देने के बजाय महंगाई पर नियंत्रण की रणनीति को उपयुक्त माना है।
हाल ही में प्रकाशित महंगाई के आंकड़ों के मुताबिक, जून में थोक महंगाई दर 15.88 फीसदी और खुदरा महंगाई दर 7.01 फीसदी के चिंताजनक स्तर पर पाई गई। पर अब रेपो दर में की गई वृद्धि से होम लोन, ऑटो लोन व दूसरे कर्ज और महंगे हो जाएंगे। हालांकि भारत ही नहीं, दुनिया के विभिन्न देशों में महंगाई की दर 10 से लेकर 50 प्रतिशत के चिंताजनक स्तर पर है। दूसरी तरफ भारत में महंगाई को तेजी से बढ़ने से रोकने में कुछ अनुकूलताएं भी दिख रही हैं। इनमें अच्छी कृषि पैदावार, पर्याप्त खाद्यान्न भंडार और आम आदमी तक खाद्यान्न की नि:शुल्क आपूर्ति महंगाई नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
यह भी सच है कि अमेरिका सहित कई देशों में मंदी का जैसा परिदृश्य है, वैसी स्थिति भारत में नहीं है। अमेरिका में लगातार दो तिमाही में नकारात्मक विकास दर है। चीन में करीब 4,000 बैंक दिवालिया होने के कगार पर हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से महंगाई की चुनौती का सामना करने के लिए दुनिया के कई देशों द्वारा राहत मांगी जा रही है। भारत ने आईएमएफ से ऐसी कोई मांग नहीं की है। इस परिदृश्य में आईएमएफ ने 26 जुलाई को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास दर जहां 3.2 फीसदी बताई है, वहीं भारत की विकास दर का अनुमान 7.4 प्रतिशत बताया है। जाहिर है, भारत में महंगाई जरूर है, पर मंदी नहीं है।
यहां व्यावसायिक बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में सुधार हुआ है। मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर तेजी से बढ़े हैं, तो माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह भी बढ़ रहा है। सरकार और रिजर्व बैंक द्वारा महंगाई घटाने के लिए आयात शुल्क घटाने और ब्याज दरों में वृद्धि जैसे प्रयासों से महंगाई नियंत्रित हुई है। पर रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद अब चीन-ताइवान युद्ध की आशंका के बीच इस समय देश में खुदरा महंगाई दर कम करने के लिए कई और प्रयासों की जरूरत है। प्री-पैकेज्ड गैर ब्रांडेड अनाज व दूध-दही पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला भले ही विपक्षी पार्टी की सरकार वाले राज्यों के वित्तमंत्रियों वाली जीएसटी परिषद में विचार-विमर्श के बाद उनकी सहमति से लिया गया है, फिर भी जीएसटी परिषद द्वारा इस फैसले को वापस लिए जाने पर विचार किया जाना उपयुक्त होगा।
महंगाई रोकने के लिए अनावश्यक आयात को भी नियंत्रित करना होगा। खाद्यान्न और उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाना होगा। अब महंगाई की चुनौतियों के बीच छोटी बचत योजनाओं से मिलने वाले ब्याज से अपने जीवन की जरूरतें पूरी करने वाले करोड़ों लोगों को राहत देने के लिए यह उपयुक्त होगा कि ब्याज दर में कुछ वृद्धि कर करोड़ों लोगों को कुछ राहत अवश्य दी जाए। केंद्र एवं राज्य सरकारों को ऐसे कदम उठाने होंगे, जिसमें उपभोक्ताओं को पेट्रोल-डीजल की अधिक महंगाई से बचाया जा सके। केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल व डीजल पर सीमा व उत्पाद शुल्क में और राज्यों द्वारा वैट में कुछ और कमी करना उपयुक्त होगा। कच्चे तेल के अधिक उत्पादन व कच्चे तेल के विकल्पों पर ध्यान देना होगा। इलेक्ट्राॉनिक वाहनों का उपयोग बढ़ाना होगा। तेल विपणन कंपनियों की एथनॉल मिश्रण कार्यक्रम में दिलचस्पी और बढ़ानी होगी। इन विभिन्न उपायों पर ध्यान देने से महंगाई को अवश्य नियंत्रित किया जा सकेगा।
सोर्स: अमर उजाला
Neha Dani
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