सम्पादकीय

महंगाई या अपमान रैली

Rani Sahu
5 Sep 2022 6:54 PM GMT
महंगाई या अपमान रैली
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By: divyahimachal
राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में आयोजित कांग्रेस की रैली महंगाई और बेरोजग़ारी पर केंद्रित थी। कांग्रेस के आलाकमानी नेता राहुल गांधी ने रसोई गैस सिलेंडर, पेट्रोल, डीजल, सरसों के तेल, आटा, दूध आदि की महंगाई का जिक़्र किया। दाम बताए गए। औसत कांग्रेसी यह जिक़्र लगभग हररोज़ ही करता है। संसदीय बहस के दौरान भी यही आंकड़े पेश किए गए। इसी साल फरवरी-मार्च में जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे, उनमें भी महंगाई, बेरोजग़ारी पर खूब चीखा-चिल्ली की गई, लेकिन हर जगह जनादेश भाजपा के ही पक्ष में रहा। कांग्रेस-शासित पंजाब में आम आदमी पार्टी ने चुनावी जीत का इतिहास रच दिया। हम भी इन समस्याओं को नकार नहीं सकते। यकीनन देश में महंगाई और बेरोजग़ारी की चिंताजनक स्थिति है। फिलहाल कोई समाधान सामने नहीं है, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार के दौरान देश ने 9-13 फीसदी तक की मुद्रास्फीति की दर झेली है। अब 6-7 फीसदी के करीब है, लेकिन महंगाई और बेरोजग़ारी आम आदमी को परेशान कर रही हैं, यह एक स्थापित सत्य है। भारत अन्य विकसित देशों से तुलना नहीं कर सकता, क्योंकि उन देशों की प्रति व्यक्ति आय हमसे कई गुना ज्यादा है। कांग्रेस और राहुल गांधी के सरोकारों पर कोई सवाल नहीं है।
अच्छा है कि ऐसी संवेदनशील समस्याओं पर कांग्रेस सडक़ पर उतर रही है, लेकिन महंगाई, बेरोजग़ारी की आड़ में राहुल गांधी ने जो अनर्गल अलाप किया है, उससे कांग्रेस का ही राजनीतिक मकसद खंडित हुआ है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने देश की न्यायपालिका को 'बिका हुआ' करार दिया है। उन्हें एहसास होना चाहिए कि अदालत ने ही उन्हें और माता सोनिया गांधी को जमानत देकर जेल के बाहर रखा है। न्यायपालिका की स्वायत्तता संदिग्ध नहीं है। उसे राहुल के बयान का संज्ञान लेना चाहिए। यह सरासर अवमानना का मामला है। कांग्रेस नेता ने देश के मीडिया को 'उद्योगपतियों का बंधक' करार दिया है। वह अपने भाषण में दो ही उद्योगपतियों का उल्लेख करते रहे। अंबानी और अडाणी के नाम लेने से डर क्यों लगता है? लगभग सभी टीवी चैनलों ने राहुल गांधी के भाषण का सीधा प्रसारण किया। टीवी बहसों के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता हररोज़ शिरकत करते हैं और पार्टी का पक्ष रखते हैं। बल्कि प्रधानमंत्री मोदी को ज्यादा कोसते हैं। प्रत्येक राष्ट्रीय अख़बार और चैनल में कांग्रेस एक नियमित बीट है और उसके लिए रिपोर्टर या विशेष संवाददाता नियुक्त किए जाते रहे हैं। यह इस शताब्दी का सबसे बड़ा झूठ और भ्रामक तथ्य है कि सभी मीडिया संस्थानों पर दो ही उद्योगपतियों का कब्जा है। न्यायपालिका, मीडिया, चुनाव आयोग सरीखी संवैधानिक संस्थाओं, प्रमुख जांच एजेंसियों आदि को कोस कर या अपमानित कर राहुल गांधी कौन-सी सफल राजनीति का मकसद हासिल कर लेंगे? वह बार-बार क्यों दोहराते हैं कि देश में लोकतंत्र खत्म हो गया? यह कैसे संभव है? लोकतंत्र है, तो वह और कांग्रेस के पचासियों नेता सांसद हैं। लोकतंत्र है, कांग्रेस ऐसी जनसभाएं कर पा रही है। 'भारत जोड़ो' अभियान भी 7 सितंबर से शुरू हो रहा है। लोकतंत्र है, तो प्रधानमंत्री को भी गरियाया जा सकता है।
Rani Sahu

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