सम्पादकीय

फैलता संक्रमण, 'लहर' नहीं

Gulabi Jagat
14 Jun 2022 11:34 AM GMT
फैलता संक्रमण, लहर नहीं
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कोरोना वायरस के संक्रमित केस
By: divyahimachal
कोरोना वायरस के संक्रमित केस एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं। बीते 6-12 जून वाले सप्ताह के दौरान 49,000 से अधिक केस दर्ज किए गए। ये आंकड़े अधिक भी हो सकते हैं, क्योंकि कुछ राज्यों और संघशासित क्षेत्रों ने अधूरे आंकड़े दिए हैं। कोरोना संक्रमण में यह करीब 90 फीसदी बढ़ोतरी है। इससे पहले के सप्ताह के दौरान कुल संक्रमित केस 25,596 थे। फरवरी 21-27 वाले सप्ताह के बाद यह सर्वाधिक बढ़ोतरी है। तब 86,000 से ज्यादा संक्रमित केस थे और कोरोना वायरस की तीसरी लहर जारी थी। राजधानी दिल्ली, उसके आसपास, उत्तर से लेकर दक्षिण भारतीय राज्यों और पश्चिम में लगभग सभी राज्यों और संघशासित क्षेत्रों में कोरोना का संक्रमण एक बार फिर फैल रहा है, लेकिन चौथी लहर की भयावहता के कोई आसार नहीं हैं। ऐसा विशेषज्ञों और चिकित्सकों का आकलन है। चिकित्सा से इतर जो गणितीय पद्धति से महामारी का आकलन करते रहे हैं और सही साबित हुए हैं, उनका भी मानना है कि वायरस के संक्रमण की मौजूदा बढ़ोतरी 'लहर' का रूप धारण नहीं करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह संक्रमण भी 'ओमिक्रॉन' या उसकी किसी नस्ल के कारण फैल रहा है। भारत में कोई अन्य प्रभावी, तेज अथवा घातक वायरस नहीं देखा गया है। यह भी विशेषज्ञों के अध्ययन का निष्कर्ष है।
एक कारण यह भी हो सकता है कि कोरोना टीकाकरण की करीब 195 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं। उम्र के 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों में भी 'प्रीकॉशन डोज' दी जा रही है। यह तीसरी खुराक बूस्टर डोज तो नहीं है, लेकिन मोटे अर्थों में वही मानी जा रही है। अब तो मिश्रित डोज को भी अनुमति दे दी गई है। बहरहाल जो नतीजा सामने है, वह संक्रमण आंशिक ही है। यानी लोग संक्रमित होते हैं और फिर 5-7 दिन के बाद स्वस्थ हो जाते हैं। अस्पतालों में भीड़ और मरीजों की उपस्थिति नगण्य है। करीब 50,000 संक्रमित केस के बावजूद मौतें 24 ही दर्ज की गई हैं। बीते सप्ताह भी यही आंकड़ा था। यानी संक्रमण का जानलेवा प्रभाव भी बेहद कम है। बीते चार सप्ताह से राजधानी दिल्ली में संक्रमित मामले लगातार बढ़ रहे हैं। उनका असर हरियाणा और उप्र सरीखे पड़ोसी राज्यों पर भी पड़ना तय है। वैसे महाराष्ट्र में बीते सप्ताह 17,380, केरल में 14,600 और दिल्ली में 4068 संक्रमित मामले दर्ज किए गए। पिछले सप्ताह की तुलना में ये आंकड़े दोगुने हैं अथवा उससे भी ज्यादा हैं। जनवरी की लहर के दौरान 17-23 वाले सप्ताह के बाद यह सबसे बड़ी उछाल है। हरियाणा में करीब 65 फीसदी और उप्र में करीब 32 फीसदी केस बढ़े हैं। यदि दक्षिणी राज्यों का भी आकलन किया जाए, तो वहां संक्रमण उत्तर की तुलना में बहुत ज्यादा है। तेलंगाना में करीब 97 फीसदी, आंध्रप्रदेश में करीब 86 फीसदी, कर्नाटक में करीब 84 फीसदी और तमिलनाडु में करीब 63 फीसदी संक्रमित केस बढ़े हैं।
बहरहाल यह बढ़ोतरी किसी 'लहर' का भयानक संकेत न हो, लेकिन चिंताजनक जरूर है, क्योंकि आम आदमी लापरवाह हो गया है। जिन राज्यों में मास्क पहनना अनिवार्य है और आर्थिक दंड की व्यवस्था है, उन राज्यों में भी मास्क 100 फीसदी नहीं पहना जाता। बाज़ार में दुकानदारों ने तो लगभग मास्क छोड़ दिया है, क्योंकि पूरा दिन मास्क पहन कर दुकानदारी करना संभव नहीं है। पार्कों में सुबह जो टहलने आते हैं या व्यायाम आदि करते हैं, उन्होंने मास्क बिल्कुल छोड़ दिया है। वे जुर्माना भरने को तैयार हैं। उनकी दलील है कि मास्क से उनका सांस अवरुद्ध होने लगता है। मेट्रो और सामान्य रेलवे स्टेशन पर सेनेटाइजेशन और चेकिंग की जो व्यवस्थाएं की गई थीं, अब वे प्रतीकात्मक हैं, क्योंकि स्टाफ ही गायब रहता है। बस अड्डों पर भी यही लापरवाही है। ये भी कारण हो सकते हैं कि संक्रमण बढ़ रहा है और घातक भी साबित नहीं हो रहा है। देश में कोरोना-रोधी कई टीके हो गए हैं। हाल ही में बॉयलोजिकल ई. कंपनी के टीके 'कोर्बेवैक्स' को भारतीय औषध महानियंत्रक ने अनुमति दी है। हालांकि टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी समूह को भी मान्यता देनी है। उसके बाद ही टीका बाज़ार में आ सकेगा और देश के लोगों को दिया जा सकेगा। उस दृष्टि से भारत सुरक्षित और सम्पन्न है, लेकिन फैलता संक्रमण कभी भी बड़ा आकार ग्रहण कर सकता है।
Gulabi Jagat

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