- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- सम्पादकीय
- /
- बेअसर 'संजीवनी'!
भारत में कोरोना वायरस कार्यबल के अध्यक्ष डॉ. वीके पॉल का आकलन है कि नया 'ओमिक्रॉन' स्वरूप के मद्देनजर हमारे कोरोना टीके 'अप्रभावी' साबित हो सकते हैं। कोरोना टीकों में जरूरी सुधार का ऐसा प्लेटफॉर्म होना चाहिए, जो वायरस के बदलते स्वरूप के साथ नया टीका तैयार कर सके। टीके में सुधार और संवर्द्धन हर तीन माह में नहीं किया जा सकता, लेकिन साल भर में टीकों को संशोधित किया जाना चाहिए, ताकि वे कोरोना के किसी भी प्रकार के खिलाफ कारगर साबित हो सकें। देश के ही विख्यात चिकित्सकों का मानना है कि 'ओमिक्रॉन' पर भी हमारे टीके एक सीमा तक 'प्रभावी' रहेंगे। उन्हें बिल्कुल खारिज नहीं किया जा सकता। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन भी वायरस के किसी भी वेरिएंट पर मौजूदा टीकों को 'असरदार' मानती रही हैं। भारत में कोविशील्ड, कोवैक्सीन, स्पूतनिक-वी टीके ही अभी लगाए जा रहे हैं। जायड्स कैडिला के टीके को आपात मंजूरी दिए काफी वक़्त हो गया है, लेकिन वह आम आदमी के लिए कब उपलब्ध होगा, ऐसी किसी तारीख की घोषणा नहीं की गई है। तीन खुराक वाले टीके के परीक्षण भी लगभग संपन्न हो चुके हैं।
divyahimachal