सम्पादकीय

भारत-पाक व्यापार का तर्क

Rani Sahu
15 March 2022 7:07 PM GMT
भारत-पाक व्यापार का तर्क
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार अब्दुल रजाक ने भारत के साथ व्यापार फिर शुरू करने का मश्विरा दिया है

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार अब्दुल रजाक ने भारत के साथ व्यापार फिर शुरू करने का मश्विरा दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत के साथ व्यापार समय की जरूरत है। अब्दुल कपड़ा, उद्योग, उत्पादन और निवेश पर प्रधानमंत्री के सलाहकार हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि भारत के साथ व्यापार पाकिस्तान के लिए फायदेमंद है और वह इसका समर्थन करते हैं। मार्च 2021 में पाकिस्तान की एक आर्थिक समिति ने भारत से चीनी और कपास के आयात पर प्रतिबंध हटा दिया था। हालांकि, इस फैसले को तत्काल वापस ले लिया गया था। इस पर तर्क दिया गया था कि पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय ने इस मामले में सभी हितधारकों से विचार-विमर्श नहीं किया था। पाक में बढ़ती महंगाई के बीच पाकिस्तान के नेशनल बिजनेस ग्रुप के चेयरमैन ने भारत के साथ व्यापारिक संबंध फिर से शुरू करने का ऐलान किया है। नेशनल बिजनेस ग्रुप पाकिस्तान के अध्यक्ष और पूर्व प्रांतीय मंत्री मियां जाहिद हुसैन ने कहा है कि भारत से कच्चे माल और अन्य आदानों के प्रत्यक्ष आयात से उत्पादन की लागत कम होगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। दि फं्रटियर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार हुसैन ने कहा कि महंगाई कम करके पाकिस्तानी लोगों को राहत देने का प्रभावी तरीका विवादास्पद और अव्यावहारिक पैकेज नहीं है।

उन्होंने कहा कि भारत के साथ व्यापारिक संबंध बहाल होने से पाकिस्तान में महंगाई कम करने में मदद मिलेगी। पाकिस्तानी कारोबारी नेता के मुताबिक रूस से दोगुनी अर्थव्यवस्था वाले पड़ोसी देश के साथ व्यापार संबंध बहाल करना राजनीति का बंधक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ कुछ व्यापार संयुक्त अरब अमीरात के माध्यम से हो रहा है, लेकिन इससे कीमतें बढ़ जाती हैं और उत्पादन और निर्यात अधिक महंगा हो जाता है। स्थिति को समझते हुए तर्क दिया जा रहा है कि भारत के साथ व्यापार खोला जाना चाहिए ताकि देश में उत्पादन की लागत और मुद्रास्फीति को कम किया जा सके। पुलवामा हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार लगभग ठप है। इसका खामियाजा पाक की जनता को इस समय महंगाई के रूप में भुगतना पड़ रहा है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत खराब है, लिहाजा भारत-पाक रिश्तों में आई कड़वाहट की कीमत पाकिस्तानी जनता को ज्यादा चुकानी पड़ रही है। इस वक्त भारत और पाकिस्तान के बाच सीधा व्यापार न होकर दुबई के माध्यम से चीजें आती हैं और जाती हैं जिससे चीजें महंगी हो जाती हैं। इसका एहसास अब पाकिस्तान के शासकों को होने लगा है। गौरतलब है कि इससे पहले भी पाकिस्तान सरकार ने भारत से व्यापार बहाल करने की बात कही थी, लेकिन विपक्ष के विरोध की वजह से इमरान सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े थे। भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2019 से व्यापार बहुत ही कम हो रहा है।
दरअसल फरवरी 2019 में कश्मीर के पुलवामा हमले में 40 भारतीय अर्द्ध सैनिक बल के जवान एक आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। इसके बाद भारत ने इस घटना के लिए पाक को जिम्मेदार ठहराते हुए पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेने के साथ ही व्यापार पर कस्टम ड्यूटी 200 फीसदी तक बढ़ा दी थी। इसका असर यह हुआ कि भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार कुछ ही महीनों के अंदर 10 प्रतिशत से भी कम रह गया। वहीं, भारत ने अगस्त 2019 में जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाया था तो इसके विरोध में जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान ने भारत से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापार 90 फीसदी तक गिर गया है। पाकिस्तान का कपड़ा और चीनी उद्योग इस प्रतिबंध से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वहीं भारत के सीमेंट, सेंधा नमक और छुहारे, मुलतानी मिट्टी, ड्राई फ्रूट्स के बाजार पर इस प्रतिबंध का व्यापक असर पड़ा है। गौरतलब है कि पाकिस्तान पर इस व्यापार प्रतिबंध का ज्यादा असर हुआ है। दरअसल पाकिस्तान कपड़ा और दवा उद्योग के लिए कच्चे माल के लिए भारत पर निर्भर है और प्रतिबंधों का इन पर खासा असर पड़ा है। दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद के कारण सीमा के दोनों ओर हजारों व्यापारियों, ठेकेदार और बिचौलिए मजदूर, जो वाघा सीमा से व्यापार करते थे, को लाखों का नुकसान हो रहा है। भारत का व्यापारी भी चाहता है कि हम जो चीज बनाते हैं और दूसरे देशों को बेचते हैं, उन्हें पाकिस्तान को भी बेचें। और दूसरी और पाकिस्तान ने भारतीय चीजों के आयात पर काफी सालों से रुकावट डाली है। उसे यह नजरिया बदलना होगा। पाकिस्तान का कहना है कि वे सिर्फ उन्हीं उत्पादों को लेंगे जिनकी लिस्ट उन्होंने बनाई है। ये लिस्ट सिर्फ भारत के लिए उन्होंने बनाई है, दूसरे देशों के लिए नहीं। यह ठीक नहीं है। भारत को यह शिकवा रहता है कि पाकिस्तान और वस्तुओं के व्यापार की अनुमति क्यों नहीं दे रहा है।
पाकिस्तान काफी सालों से यह भी कह रहा है कि जब तक कश्मीर का मामला हल नहीं हो जाता, तब तक वो भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन यानी एमएफएन का दर्जा नहीं दे सकता है। यह ठीक नहीं है। एमएफएन असल में विश्व व्यापार संगठन का दिया हुआ एक तकनीकी शब्द है जिसका अर्थ है कि जो व्यापारिक ट्रीटमेंट आप एक देश को देंगे, वही दूसरे को भी देंगे, यानी यदि किसी वस्तु पर हमारा टैरिफ या आयात शुल्क जो है, उसे एमएफएन में शामिल सभी देशों को दिया जाएगा। पाकिस्तान में इसको लेकर काफी विवाद है कि भारत को एमएफएन का दर्जा दिया जाए या नहीं। इसके अलावा एक नेगेटिव लिस्ट की भी बात होती है। नेगेटिव लिस्ट का मतलब यह है कि ऐसी चीज़ें जो वो भारत से न ले। मोटे तौर पर हम पाकिस्तान को ज्यादातर कच्चा माल भेजते हैं। हालांकि पाकिस्तान हमसे सारे आइटम नहीं लेता है, फिर भी हमारे निर्यात आयात से ज्यादा हैं। बुनियादी सवाल यह भी है कि क्या व्यापार के जरिए दोनों देशों के बीच नफरत और तनाव कम हो सकता है? इसके लिए पाकिस्तान को भारत को एमएफएन का दर्जा देकर व्यापार के दरवाजे खोलने होंगे, नेगेटिव लिस्ट को पाजिटिविटी में तब्दील करना होगा और भारत विरोधी नाखुशगवार कामों पर लगाम कसनी होगी।
परमाणु शक्ति संपन्न दो कट्टर प्रतिद्वंद्वी पड़ोसियों पाकिस्तान और भारत के बीच संबंध बद से बदतर हो चले हैं। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर वार्ता की मेज के लिए माहौल नहीं बनाने और सीमा पर आक्रामक रणनीति अपनाने का आरोप लगाते रहे हैं। दोनों पड़ोसी देश एक-दूसरे के खिलाफ अपना आक्रामक रुख बदलने से परहेज कर रहे हैं, जिससे खराब संबंधों का द्विपक्षीय व्यापार पर एक बड़ा प्रभाव पड़ा है और इसके कारण व्यापारियों को अरबों का नुकसान झेलना पड़ा है। भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार जो 2003 में 25 करोड़ डॉलर का था, 2004 से 2007 के बीच लगभग 3 अरब डॉलर तक बढ़ गया। ऐसा इसलिए था क्योंकि उस समय दोनों देशों के बीच शांति थी। याद रहे कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। पाकिस्तानी सरकार का तर्क बेतुका है कि भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा नहीं दिए जाने तक द्विपक्षीय व्यापार फिर से शुरू नहीं हो सकता है। वहीं उनके व्यापारियों का ही मानना है कि व्यापार को फिर से शुरू करना ही एकमात्र तरीका है, जिससे दोनों देश अपने मुद्दों को हल कर सकते हैं। पाक को अपने देश की कमजोर आर्थिक हालत को ध्यान में रखते हुए अपने अडि़यल व्यापारिक स्टैंड पर विचार करना होगा। पाक की आर्थिक हालत उसे घुटनों के बल चलने को मजबूर कर रही है। पाक के वर्तमान आर्थिक हालात पर नजर डालें तो भारत के साथ पाक का व्यापार उसके लिए जरूरी भी है और मजबूरी भी है। इस मामले में यदि पाक सकारात्मक रुख अख्तियार करता है, तो भारत के लिए यह विचारणीय हो सकता है।
डा. वरिंदर भाटिया
कालेज प्रिंसीपल
ईमेल : [email protected]


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