सम्पादकीय

अच्छे रिश्तों का संकेत, अमेरिकी संसद में भारत का समर्थन

Gulabi
19 Dec 2020 4:45 AM GMT
अच्छे रिश्तों का संकेत, अमेरिकी संसद में भारत का समर्थन
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चीन द्वारा भारतीय सीमा पर दिखाई गई आक्रामकता को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अब जब अमेरिका में इलेक्टोरल कॉलेज ने राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों पर औपचारिक मुहर लगा दी है और वहां सत्ता परिवर्तन को लेकर संदेह की रही-सही गुंजाइश भी खत्म हो चुकी है, तो अमेरिकी संसद के दोनों सदनों से पास किए गए उस प्रस्ताव की सार्थकता काफी बढ़ जाती है जिसमें चीन द्वारा भारतीय सीमा पर दिखाई गई आक्रामकता को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। यह प्रस्ताव नैशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) 2021 का हिस्सा है।



हालांकि इसमें न तो किसी तरह की मांग की गई है और न ही व्यवहार में सुधार न दिखने पर कार्रवाई की कोई बात कही गई है, फिर भी अपनी भाषा की सख्ती की वजह से यह प्रस्ताव स्पष्ट संदेश देता है। इसमें कहा गया है कि चीन सरकार को भारत से कूटनीतिक बातचीत के जरिए एलएसी पर तनाव कम करने का उपाय करना चाहिए और विवादों को ताकत से हल करने की कोशिश से परहेज करना चाहिए।

प्रस्ताव में भारतीय सीमा से अलग साउथ चाइना सी, ईस्ट चाइना सी और भूटान सीमा से लगते क्षेत्रों में भी चीन के 'निराधार दावों' का जिक्र करते हुए उन्हें अस्थिरता पैदा करने वाला और अंतरराष्ट्रीय कानूनों के विपरीत बताया गया है। महत्वपूर्ण यह भी है कि इस प्रस्ताव को डेमोक्रैटिक बहुमत वाली कांग्रेस और रिपब्लिकन बहुमत वाली सीनेट दोनों ने दो तिहाई बहुमत से पारित किया है। यह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अमेरिका में चीन और भारत से जुड़े सवालों पर नीति को लेकर पॉलिसीमेकर्स में किसी तरह की कोई दुविधा नहीं है।

हालांकि विदेश नीति हमेशा से चुनावी राजनीति से ऊपर की चीज मानी जाती रही है। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप का कार्यकाल कई मायनों में ऐतिहासिक रहा है। इस दौरान विदेश नीति से जुड़े गंभीर मसलों पर भी उनके अपने व्यक्तित्व की कुछ ज्यादा ही गहरी छाप देखी गई। चुनावों के दौरान उनके करीबी लोगों ने भी कहा कि अगर उनकी जगह डेमोक्रैटिक प्रत्याशी जीतते हैं तो चीन के खिलाफ उतना सख्त रवैया शायद न दिखाएं।

कुछ हलकों में यह भी कहा जा रहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री मोदी के बीच जिस तरह की पर्सनल केमिस्ट्री बन गई थी, वैसी नए राष्ट्रपति के साथ बन पाती है या नहीं यह देखना होगा। लेकिन अनुभवी राजनेताओं को अन्य देशों के निर्वाचित नेतृत्व के साथ काम करने लायक सहज रिश्ता विकसित करने में खास दिक्कत नहीं होती।



अमेरिकी संसद में पारित ताजा प्रस्ताव के मूल भावों को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन के इन शब्दों के साथ जोड़ कर देखें तो स्थिति बिल्कुल साफ हो जाती है जो उन्होंने पिछले महीने एक इंटरव्यू के दौरान कहे थे, 'मेरे विचार से चीन पर सबसे अच्छी रणनीति वह है जो हमारे सभी मित्र देशों को एक साथ लाती है।' जाहिर है, भारत जैसे मित्र देश को साथ लाने वाला यह प्रस्ताव आने वाले दौर में भारत अमेरिकी रिश्ते की बेहतरी का संकेत दे रहा है।


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