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कोलकाता के हावड़ा जिले के उस छोटे से गांव में, आधी रात में ही, उल्लास और जश्न मानो साकार हो उठे थे! अंधेरों में ही कई उजाले जगमगाने लगे थे मानो रात में ही सूर्योदय हो गया था
By: divyahimachal
कोलकाता के हावड़ा जिले के उस छोटे से गांव में, आधी रात में ही, उल्लास और जश्न मानो साकार हो उठे थे! अंधेरों में ही कई उजाले जगमगाने लगे थे मानो रात में ही सूर्योदय हो गया था! गांववाले उछल-कूद रहे थे, मिठाइयां साझा कर रहे थे और अचिन्त को बधाइयों की बौछारें देते हुए 'भारत माता की जय' का उद्घोष भी कर रहे थे। समां ही ऐसा था। महंगाई, बेरोजग़ारी, भ्रष्टाचार और जि़ंदगी की तकलीफें बहुत पीछे छूट गई थीं। शायद ऐसा ही समारोही माहौल मिज़ोरम के एक गांव में भी होगा। हम उसे टीवी पर देख नहीं सके या मीडिया में पढ़ नहीं सके, लेकिन ख़बर कमाल की थी। मिज़ोरम के 19 वर्षीय जेरेमी लालरिननुंगा ने 'गेम रिकॉर्ड' के साथ भारोत्तोलन के 67 किग्रा. वजन-वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। हावड़ा के गांव में जश्न मनाया जा रहा था, क्योंकि वहां के 20 वर्षीय अचिन्त शेउली ने इसी खेल के 73 किग्रा. वजन-वर्ग में कीर्तिमान रचते हुए स्वर्ण पदक जीता था। जेरेमी और अचिन्त भारत माता के ऐसे सपूत हैं, जिन्होंने आज़ादी के 'अमृत महोत्सव' को भी गौरवान्वित किया है। यदि मीराबाई चानू भारत की 'स्वर्णिम बेटी' हैं, तो इन दोनों 'स्वर्णिम बेटों' के उल्लेखों और अभिनंदन को भी बौना नहीं किया जा सकता। ये दोनों नए भारत के नौजवान हैं, जो अभावों में पले-बढ़े हैं, तकलीफें झेली हैं, मुश्किलों से मुकाबला करते हुए उस मुकाम तक पहुंचे हैं, जहां वे अपने खेल, हुनर और उपलब्धियों के साथ राष्ट्रमंडल के 'चैम्पियन खिलाड़ी' हैं।
अचिन्त के पिताजी का देहावसान हो चुका है। मां और बड़ा भाई संघर्षों में घिरे रह कर परिवार की रोज़ी-रोटी का बंदोबस्त कर रहे हैं। एक सपना बाबा ने देखा था और परिवार की भी इच्छा थी, जिस सपने को अचिन्त ने साकार कर दिखाया है। लगातार प्रशिक्षण ने अचिन्त को इतना निखारा है कि उसने 313 किग्रा. वजन उठाकर 'स्वर्णिम इतिहास' लिखा है। दूसरी ओर, मिज़ोरम के जेरेमी ने चोटिल होने के बावजूद 300 किग्रा. वजन उठाकर 'स्वर्णिम मील पत्थर' गढ़ा है। इन दोनों युवा खिलाडिय़ों ने, चानू का अनुसरण करते हुए, भारोत्तोलन को भी 'राष्ट्रीय खेल' बना दिया है। तीनों स्वर्ण पदक फिलहाल इसी खेल ने भारत को दिए हैं। देश अपेक्षाएं और उम्मीदें कर सकता है कि ऐसे खिलाड़ी ओलिंपिक में भी भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे, तिरंगा बार-बार फहराया जाएगा और 'जन गण मन…' की गूंज एक बार फिर देशभक्ति के भाव में डुबो देगी।
Rani Sahu
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