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अर्थव्यवस्था का लोहा दुनिया मानती है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से एक महत्वपूर्ण घोषणा की. उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित देश बन जायेगा. उन्होंने कहा कि 2014 में भारत दुनिया में 10वें नंबर की अर्थव्यवस्था था. आज वह पांचवें नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुका है. प्रधानमंत्री ने वैश्विक परिदृश्य में भारत के बारे में जो टिप्पणी की है, वह एक वास्तविकता है. भारत को आज समूची दुनिया में आदर के साथ देखा जाता है. उसकी अर्थव्यवस्था का लोहा दुनिया मानती है.
भारत विदेशी निवेशकों की आंखों का तारा है. लेकिन ऐसा एक दिन में नहीं हुआ है. भारत को 1947 में जब आजादी मिली थी, तो आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी. सबसे बड़ा संकट खाद्य सुरक्षा का था. नौबत यहां तक आ गयी थी कि अमेरिका से गेहूं आयात करना पड़ता था. लेकिन, औद्योगीकरण और हरित क्रांति जैसे अनेक कारणों से भारत के पैर संभले. आज भारत दुनिया का पेट भरता है. उसके गैर-बासमती चावल का निर्यात रोकने से दुनिया गुहार लगाने लगती है.
भारत दुनिया को दवाओं की सप्लाई करता है. वह दुनिया का सबसे बड़ा जेनरिक दवा निर्माता है. आइटी क्षेत्र में सिलिकन वैली की कामयाबी की हर कहानी में भारतीयों का योगदान शामिल रहता है. याद करें, 2008 में अमेरिका से शुरू हुआ कर्ज संकट, जिसने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था. तब भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों का नाम हुआ था, जिन्होंने न केवल आर्थिक संकट की आंधी से खुद को बचाया, बल्कि दुनिया को भी राह दिखाई. आज कोरोना महामारी के बाद चीन आर्थिक दुश्चक्र में फंसा नजर आ रहा है.
लेकिन, भारत आर्थिक वृद्धि की राह पर अग्रसर है और कहा जा रहा है कि बहुत शीघ्र वह अमेरिका और चीन के बाद दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक महाशक्ति बन जायेगा. प्रधानमंत्री ने भी स्वतंत्रता दिवस पर कहा है कि दुनिया का हर विशेषज्ञ कह रहा है कि भारत को रोका नहीं जा सकता. अगले साल आम चुनाव होने हैं. इस वजह से प्रधानमंत्री के भाषण को राजनीति के चश्मे से भी देखा जायेगा. लेकिन, 1947 से लेकर अभी तक की भारत की यात्रा का विश्लेषण करें, तो पायेंगे कि भारत काफी आगे बढ़ चुका है.
ऐसे में, विकसित देश बनने का लक्ष्य भी संभव हो सकता है. लेकिन, याद रखना चाहिए कि एक विकासशील देश केवल आंकड़ों और चमक-दमक से विकसित देश नहीं बन जाता. विकसित देशों में निवासियों को रोटी, कपड़ा, मकान ही नहीं, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए नहीं सोचना पड़ता. वर्ष 2047 के भावी भारत का कोई भी नागरिक बुनियादी सुविधाओं से वंचित न रहे, ऐसा प्रयास होना चाहिए.
CREDIT NEWS : prabhatkhabar
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Triveni
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