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आज बात करेंगे भारत (India) और चीन (China) के विदेश मंत्रियों के बीच हुई एक महत्वपूर्ण बातचीत की
विष्णु शंकर। आज बात करेंगे भारत (India) और चीन (China) के विदेश मंत्रियों के बीच हुई एक महत्वपूर्ण बातचीत की, जो कल यानि बुधवार को ताजिकिस्तान (Tajikistan) की राजधानी दुशांबे में हुई. मौका था शंघाई कोऑपरेशन आर्गेनाईजेशन (Shanghai Cooperation Organisation) की बैठक का. वहीं पर एस जयशंकर (S. Jaishankar) और वांग यी (Wang Yi) मिले और भारत ने बड़ी साफगोई से चीन के विदेश मंत्री को खरी-खरी सुनाई. भारत सरकार ने एक घंटे चली इस वार्ता के बाद बयान जारी किया और कहा कि दोनों देशों को सीमा विवाद सुलझाने को प्राथमिकता देनी चाहिए. भारत ने कहा कि यह बहुत ज़रूरी है क्योंकि अब सीमा का विवाद साफ़ तौर पर भारत चीन संबंधों को नकारात्मक ढंग से प्रभावित करने लगा है.
इस मुलाक़ात के बाद भारतीय विदेश मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि सीमा पर यथास्थिति में एकतरफा बदलाव भारत को मंज़ूर नहीं है. सीमा पर यथास्थिति को अप्रैल 2020 की स्थिति के अनुसार रखना और वहां शांति बनाए रखना भारत चीन संबंधों में सही तरह से विकास के लिये ज़रूरी है. दोनों तरफ के सीनियर सैनिक कमांडर्स के बीच जल्द ही बैठक आयोजित कराने पर दोनों देशों में सहमति बनी है.
पैंगोंग लेक के दोनों किनारों से चीन और भारत के सैनिकों को पीछे हटना होगा
जयशंकर ने वांग यी को बताया कि पैंगोंग लेक के दोनों किनारों पर से भारत और चीन के सैनिकों के पीछे हटने से बाकी बचे मुद्दों पर सहमति की तरफ बढ़ने का माहौल बना. उम्मीद यह थी कि चीन भारत के साथ सहयोग करके हालात बेहतर करने की तरफ कदम बढ़ाएगा, लेकिन बाकी इलाकों में अभी भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है. भारतीय विदेश मंत्री ने सितम्बर 2020 में रूस की राजधानी मॉस्को में वांग यी से हुई पिछली मुलाकात को याद करते हुए कहा कि बहुत ज़रूरी है कि फरवरी 2021 में बनी सहमति को उसके मुकाम तक ले जाया जाए और दोनों सेनाओं के बीच डिसएंगेजमेंट को पूरा किया जाए. ताकि LAC यानि लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल पर अभी अनसुलझे पड़े सवालों का हल मिल सके. जयशंकर का कहना था कि यह काम जल्दी से जल्दी होना चाहिए.
आपको याद दिलाते चलें कि मास्को में हुई बातचीत में 5 बिंदुओं पर भारत और चीन में सहमति हुई थी
इनमें प्रमुख थे तेज़ी से सैनिकों का डिसएंगेजमेंट, ऐसी हरकतों से बचना जो तनाव बढ़ा सकते हैं, बॉर्डर मैनेजमेंट सभी समझौतों का पूरी तरह पालन और LAC पर शांति स्थापना के लिए ज़रूरी कदम उठाना.
आमतौर पर डिप्लोमेट्स सार्वजनिक तौर पर इतनी बेबाक़ी से आपसी बातचीत का ब्यौरा नहीं देते हैं, लेकिन साफ़ है, भारत चीन से कह रहा है कि अब सीमा विवाद को सुलझाने में और देर करना ठीक नहीं होगा.
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ रिटायर्ड अफ़सर का कहना है कि प्रतिरक्षा मामलों में आप जो कहते हैं उसे आपको करना चाहिए और अगर सीमा पर दोनों तरफ हथियारबंद सैनिक तैयार खड़े हों तो ऐसे मामलों को कभी भी ज़मीन पर तैनात फ़ौज पर नहीं छोड़ना चाहिए. ऐसा इसलिए है क्योंकि सीमा पर फौजी भी एक लाइन की चौकसी के लिए तैनात होती है और अगर उसका अतिक्रमण होता है तो वह जवाबी कार्रवाई करेगा. इसलिए, दोनों विदेश मंत्रियों को, जितनी जल्दी हो सके, फ़ोर्स डिसएंगेजमेंट पर ध्यान देना चाहिए. भारत के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि सीमा पर अप्रैल 2020 वाली यथास्थिति बहाल की जाए.
दोनों देशों को सीमा विवाद का हल ढूढना होगा
पूरे भारत चीन रिश्ते का आकलन करते हुए भारतीय विदेशमंत्री ने अपने चीनी समकक्ष से कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों के विकास में सीमा पर शांति सुनिश्चित करना साल 1988 से सबसे ज़रूरी कदम रहा है. जयशंकर ने कहा कि अप्रैल 2020 में यथास्थिति को बदलने की चीन की कोशिश 1993 और 1996 में दोनों देशों के बीच हुए समझौतों की भी अनदेखी करती है और इससे रिश्ते ख़राब हुए हैं. इसलिए बहुत ज़रूरी है कि दोनों देश अपनी-अपनी भलाई के लिए सीमा विवाद के बचे हुए सवालों का हल जल्दी खोजें और द्विपक्षीय समझौतों का सम्मान करें. उधर चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि वांग यी ने भारतीय विदेश मंत्री से कहा कि चीन और भारत के सम्बन्ध एक दूसरे को धमकी देने से नहीं बल्कि साथ-साथ विकास के लिए अवसर मुहैया कराने से परिभाषित होते हैं. दोनों देश सहयोगी हैं, विरोधी नहीं और दुश्मन तो बिल्कुल नहीं.
सीमा पर स्थिति ऐसी है कि एक छोटी सी झड़प बड़ा शक्ति प्रदर्शन बन सकती है
ये तो हुई कूटनीतिक भाषा, अब एक फौजी की बात भी सुनिए. भारतीय सेना के एक वरिष्ठ रिटायर्ड अफसर के अनुसार अब LAC पर ऐसी स्थिति बन गयी है जिसमें दोनों तरफ सैनिक चौकस और हथियारबंद हैं. विगत में दोनों तरफ सैनिक हथियारों से लैस नहीं होते थे, इसलिए बीच-बीच में बैनर ड्रिल, बहस मुबाहिसे से सीमा पर अपना-अपना कंट्रोल साबित करने की कोशिश होती थी. अब बात धक्का मुक्की, पत्थरबाज़ी, लाठी, रॉड और धारदार हथियारों के इस्तेमाल तक पहुंच गयी है, जैसा जून 2020 में गलवान घाटी में हुआ. मतलब यह है कि एक छोटी सी झड़प बड़े शक्ति प्रदर्शन में तब्दील हो सकती है. इसलिए बहुत ज़रूरी है की भारत और चीन दोनों स्थिति की गंभीरता को समझते हुए जल्दी से जल्दी LAC पर सीमा विवाद का हल खोजें.
Gulabi
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