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- भारत का साथी अमरीका या...
तालिबान और पाकिस्तान के गठबंधन की कश्मीर पर निगाह है। ये दोनों पूरी तरह आपस में गुंथे हुए हैं। हमें तय करना है कि इस गठबंधन का सामना करने के लिए हम अमरीका का साथ लेंगे अथवा चीन का? एक संभावना यह है कि भारत और अमरीका तालिबान-पाकिस्तान और चीन के गठबंधन का सामना करें। दूसरी संभावना है कि भारत और चीन मिलकर तालिबान-पाकिस्तान के गठबंधन का सामना करें। आज विश्व का सामरिक विभाजन अमरीका और चीन के बीच है। हम अमरीका का साथ देंगे तो अमरीका के दुश्मन चीन की स्वाभाविक प्रवृत्ति होगी कि वह तालिबान एवं पाकिस्तान के साथ जुड़े। यों भी चीन के पाकिस्तान के साथ मधुर संबंध हैं। इसलिए चीन का झुकाव मूल रूप से तालिबान-पाकिस्तान की तरफ होगा। लेकिन यह गठबंधन हमारे लिए कष्टप्रद होगा क्योंकि तब हमारे पश्चिमी छोर से पूर्वी छोर तक तालिबान-पाकिस्तान-चीन के गठबंधन द्वारा हम घेर लिए जाएंगे। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान-चीन के गठबंधन को चीन की आर्थिक सहायता मिल जाएगी तो वह ताकतवर हो जाएगा। इसलिए हमें दूसरी संभावना पर विचार करना चाहिए कि भारत और चीन मिलकर तालिबान-पाकिस्तान के गठबंधन का सामना करें। यह संभावना वर्तमान में कठिन दिखती है, लेकिन मेरे आकलन में यह असंभव नहीं है। कारण यह कि चीन को पाकिस्तान से जो लगाव है, वह मुख्यतः वाणिज्यिक है। यदि चीन को भारत से वाणिज्यिक और व्यापारिक लाभ मिलता है तो चीन को पाकिस्तान का त्याग करने में कठिनाई नहीं होगी।