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- भारत की अपनी बात
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की दृढ़ता सबका ध्यान खींचने लगी है। भारत इन दिनों जिस भाषा या भाव में बात कर रहा है, उसे वास्तव में ऐसा ही करना चाहिए। एक स्थिर लोकतंत्र, विशाल आबादी और खुले बाजार वाले भारत को जो लाभ मिलने चाहिए, वे अभी तक नहीं मिले हैं। विदेश मंत्री की दृढ़ता न केवल लाभ दिला सकती है, बल्कि भारत की रक्षा पंक्ति को भी मजबूत कर सकती है। दरअसल, भारत की विदेश नीति वही है, जो पहले थी, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं और पश्चिम के देश कमजोर जमीन पर खड़े हैं। कुछ देशों का पक्षपात भारत ही नहीं, पूरी दुनिया झेलती आ रही थी, लेकिन अब ऐसे पक्षपाती देशों की नीतियां औंधे मुंह ढहने लगी हैं। ऐसे पक्षपाती देशों की नसीहत पहले हम सुन लेते थे, लेकिन अब कोई जरूरत नहीं है कि उनके कुतर्कों को सुना जाए या ऐसी नसीहतों को सुना जाए, जिस पर स्वयं पश्चिम के देश नहीं चल रहे हैं। विदेश मंत्री ने उचित ही कहा है कि भारत अपनी शर्तों पर दुनिया से रिश्ते निभाएगा और इसमें उसे किसी की सलाह की जरूरत नहीं है।
क्रेडिट बाय हिन्दुस्तान