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- भारत का जी-20

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नई दिल्ली : राजधानी नई दिल्ली ‘अभेद्य दुर्ग’ बनी है और दुल्हन की तरह सजी-धजी भी है। भारत के लिए ये ऐतिहासिक क्षण हैं। जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन का शंखनाद आज होना है। लगभग सभी राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री भारत के आंगन में पहुंच चुके हैं। अमरीकी राष्ट्रपति के तौर पर जोसेफ बाइडेन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक पहली बार भारत आए हैं। करीब 10,000 विदेशी मेहमान भारतीय आतिथ्य का आनंद लेंगे। मोटे अनाज के पकवान और मिष्ठान्नों का लुत्फ उठाएंगे। जी-20 महज एक भू-राजनीतिक और आर्थिक विकास का मंच नहीं है। यह ऐसा जी-20 सम्मेलन है, जिससे भारत ‘विश्व-मित्रों’ की जमात में आ गया है। अब वैश्विक नेताओं के सामने भारत की क्षमता, ताकत और सांस्कृतिक विरासत के अध्याय खुले हैं। वे आकलन और विश्लेषण कर सकते हैं। भारत ने अपने विदेशी अतिथियों का स्वागत सांस्कृतिक विनम्रता के साथ किया है। हमारे देवी-देवताओं के कल्पना-चित्र, प्राणी-संसार, कलाकृतियां, सांस्कृतिक धरोहरों, नृत्य, झरने और सभास्थल ‘भारत मंडपम’ के प्रवेश-द्वार पर भगवान नटराज की अद्भुत प्रतिमा की उपस्थिति बेहद कलात्मक लगती है। भारत के रोम-रोम में कला, संस्कृति और संस्कार बसे हैं। नई दिल्ली किसी विशाल बाग में बसा शहर लग रही है। जमीन से आसमान तक ऐसे सुरक्षा-घेरे तैनात किए गए हैं, जो ‘चक्रव्यूह’ का एहसास कराते हैं।
हमारे प्रिय अतिथियों को पल भर की बेचैनी, असुरक्षा, असुविधा न हो, लिहाजा राफेल, मिराज सरीखे लड़ाकू विमान, कम दूरी की मिसाइलें, एंटी ड्रोन सिस्टम, एयर डिफेंस सिस्टम और जासूस हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं। जमीन पर करीब 1.30 लाख पुलिसकर्मी, अद्र्धसैनिक बलों के जवान, सैनिक और कमांडोज को देखकर लगता है मानो भारत किसी ‘युद्धक्षेत्र’ में मौजूद है। बहरहाल जी-20 शिखर सम्मेलन से यह भ्रम टूटता दिखाई देगा कि यह सिर्फ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है, क्योंकि अपनी अध्यक्षता में भारत का आग्रह है कि आर्थिक विकास में पिछड़े ‘अफ्रीकी संघ’ को भी जी-20 में शामिल किया जाए। विकसित, विकासशील और तीसरी दुनिया के एक साथ, एक मंच पर आने से विकास को समग्रता मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी का विचार और संकल्प है कि अर्थव्यवस्था जीडीपी के बजाय मानव-केंद्रित होनी चाहिए, तभी वैश्विक विकास और भाईचारा संभव है। अमरीकी राष्ट्रपति बाइडेन ने भारत के संकल्प को ही ‘जी-20 का विजन’ स्वीकार किया है। वैश्विक राष्ट्राध्यक्ष, प्रधानमंत्री और विशेषज्ञ जिस एजेंडे पर विमर्श करेंगे, उसमें खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा-संकट और स्वच्छ ऊर्जा, विश्व-व्यवस्था, विकास, जलवायु परिवर्तन, महामारी, रोजगार, सप्लाई चेन, आतंकवाद, हरित पर्यटन, ग्लोबल साउथ, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण आदि मुद्दे महत्त्वपूर्ण हैं। दरअसल यह एजेंडा भारत ने ही तैयार किया है, जिस पर जी-20 के मंच पर विमर्श किया जाएगा। यह भारत का ही जी-20 है, क्योंकि यह सम्मेलन भारत की चौतरफा समृद्धि का सत्यापन भी है। यह आकलन भी सामने आया है कि विमर्श के दौरान सभी देश 200 अरब डॉलर के आपसी कारोबार और औद्योगिक समन्वय का लक्ष्य तय करेंगे। अब भी दुनिया का करीब 75 फीसदी व्यापार जी-20 के देश ही करते हैैं।
भारत का विश्व-मंच पर उभार भी बढ़ेगा। ताकतवर देशों के साथ हमारी साझेदारी बढ़ेगी, तो बहुराष्ट्रीय कंपनियां भारत को गढ़ बना कर अपने प्लांट शुरू करेंगी। उत्पादन यहीं होगा, तो रोजगार भी यहीं बढ़ेगा। अमरीका भारत में 6 परमाणु रिएक्टर स्थापित करने की ओर बढ़ रहा है। प्रीडेटर ड्रोन के खरीदने और भारत में ही उसका उत्पादन-केंद्र बनाने की बात अंतिम दौर में है। इसरो और नासा मिलकर रणनीतिक फ्रेमवर्क और मिशन तय करेंगे। फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी समेत कई और देशों के भारत के साथ काम करने के अपने-अपने लक्ष्य हैं। गौरतलब यह है कि भारत जनवरी, 2024 के ‘गणतंत्र दिवस’ के मौके पर अमरीका, जापान, ऑस्टे्रलिया सरीखे ‘क्वाड’ के साथी देशों को आमंत्रित करना चाहता है, ताकि चीन को कड़ा संदेश दिया जा सके।
By: divyahimachal

Deepa Sahu
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