सम्पादकीय

भारत का अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र में आना उसके बढ़ते कद का परिचायक

Gulabi Jagat
23 April 2022 10:58 AM GMT
भारत का अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र में आना उसके बढ़ते कद का परिचायक
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भारत का अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जानसन दूसरे ऐसे प्रमुख शासनाध्यक्ष हैं, जो भारत की यात्रा पर आए। इसके पहले जापान के प्रधानमंत्री भारत आए थे। इसके अलावा भारतीय प्रधानमंत्री की आस्ट्रेलियाई पीएम के साथ वचरुअल शिखर वार्ता हो चुकी है और वाशिंगटन में भारत-अमेरिका के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों के बीच विशेष बातचीत भी। इस सबके अलावा चीनी विदेश मंत्री समेत उन विदेशी मेहमानों की तो गिनती करना भी कठिन है, जो हाल में भारत आए। भारत का इस तरह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के केंद्र में आना उसके बढ़ते कद का परिचायक है।
खास बात यह है कि अमेरिका हो या जापान, आस्ट्रेलिया अथवा ब्रिटेन-ये सब भारत के इस दृष्टिकोण से सहमत होने को विवश हैं कि वह उनकी तरह रूस से दूरी नहीं बना सकता। शायद इसी कारण ब्रिटिश पीएम ने भारत के स्वतंत्र रुख पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी न करना ही बेहतर समझा। यह बात अन्य देश भी समङों तो अच्छा, क्योंकि न तो भारत अपने हितों की अनदेखी कर किसी पाले में खड़ा होने वाला है और न ही अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के मामले में किसी दबाव में आने वाला है।
अमेरिका और सहयोगी देशों को यह भी समझना होगा कि भारत यदि रूस से दूरी नहीं बना रहा तो यूक्रेन पर उसके हमले का समर्थन भी नहीं कर रहा। उसने इस हमले को न केवल यूक्रेन की संप्रभुता का उल्लंघन बताया है, बल्कि बातचीत से समस्या के समाधान पर जोर दिया है।ब्रिटिश पीएम की भारत यात्र की एक लंबे समय से प्रतीक्षा हो रही थी, लेकिन वह किसी न किसी कारण टल रही थी। इस यात्र का जितना इंतजार भारत को था, उतना ही ब्रिटेन को भी, क्योंकि यूरोपीय समुदाय से अलग होने के बाद उसे भारत जैसी बड़ी आर्थिक शक्ति से संबंध सुदृढ़ करने की आवश्यकता महसूस हो रही थी।
यह अच्छा हुआ कि बोरिस जानसन ने न केवल यह भरोसा दिलाया कि वह विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे लोगों को भारत को सौंपने के लिए तैयार हैं, बल्कि अपने यहां सक्रिय खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे। उनकी मानें तो ऐसे तत्वों पर निगरानी रखने के लिए एक विशेष कार्यबल का गठन किया गया है। भारत को इस पर ध्यान देना होगा कि यह कार्यबल उसकी अपेक्षाओं के हिसाब से काम करे।
दैनिक जागरण के सौजन्य से सम्पादकीय
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