सम्पादकीय

सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर भारतीय शेयर बाजार

Rani Sahu
18 April 2022 3:22 PM GMT
सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर भारतीय शेयर बाजार
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भारत में शेयर बाजार का भविष्य सुनहरा कहा जा सकता है

शशांक भारद्वाज।

भारत में शेयर बाजार का भविष्य सुनहरा कहा जा सकता है। हालांकि इसकी राह में कुछ झटके आ सकते हैं, परंतु ये अल्पकालीन ही होंगे और यह शीघ्र ही इन झटकों को आत्मसात कर फिर से ऊंचाइयों की ओर अग्रसर होगा। इसके कई कारण हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था और आधारभूत आर्थिक कारकों में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं जो शेयर बाजार की ताकत के लिए अत्यंत सकारात्मक हैं।

इस प्रकार के तमाम संकेत यह दर्शा रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक नए युग में प्रवेश कर रही है। प्रत्यक्ष और परोक्ष दोनों प्रकार के कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जीएसटी यानी वस्तु एवं सेवा करों का संग्रह लगातार कई महीनों से एक लाख रुपये से अधिक हो रहा है। अप्रैल 2022 में तो यह 1.4 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक था। भारत सरकार के आर्थिक संसाधन मजबूत हुए हैं और व्यय करने की क्षमता बढ़ी है। इतना ही नहीं, कोरोना संक्रमण जैसे संकट से उबरते हुए दौर में यह हमारी अर्थव्यवस्था को गति देने में बहुत सहायक सिद्ध हो रहा है। प्रत्यक्ष कर संग्रह में भी वर्ष 2021-22 में 34 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस दौरान जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद और टैक्स रेशियो यानी कर का अनुपात 11.7 प्रतिशत हो गया जो पिछले 23 वर्षों के दौरान सर्वाधिक है।
उम्मीद की जा रही है कि हमारी अर्थव्यवस्था के कोरोना के दुष्प्रभाव से पूरी तरह मुक्त होने पर कर संग्रह में और बढ़ोतरी हो सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को नए तरीके से विस्तार मिल सकता है। स्पष्ट है कि अर्थव्यवस्था अच्छी होगी तो शेयर बाजार भी उछलेगा। शेयर बाजार को सहारा देने के लिए और उसमें बढ़त के लिए लगातार निवेश होते रहने की आवश्यकता होती है। पिछले कुछ महीनों में भारत के घरेलू आम निवेशकों का रुझान शेयर बाजार की ओर बढ़ा है। करोड़ों की संख्या में नए डिमैट खाते खोले गए हैं। इन नए निवेशकों ने उस समय भारतीय शेयर बाजार को बहुत सहारा दिया, जब विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों में आक्रामक बिकवाली कर रहे थे। यही कारण था कि इस आक्रामक बिकवाली के बाद भी भारतीय शेयर बाजार में बहुत बड़ी गिरावट नहीं देखी गई। जो गिरावट आई, वह भी संभल गई तथा बाजार फिर से अपनी ऐतिहासिक ऊंचाइयों की तरफ बढ़ा। यह एक सुखद संकेत है। इससे भारतीय शेयर बाजार का आधार शक्तिशाली हुआ है। हालांकि शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव उसकी प्रकृति होती है।
अभी एलआइसी का आइपीओ भी प्रस्तावित है। इस कारण अभी बड़ी संख्या में नए डिमैट खाते खुलने की उम्मीद है। इससे अन्य शेयरों की भी मांग बढ़ेगी और शेयर मूल्यों को सहारा मिलेगा। घरेलू निवेशकों के द्वारा बड़ी संख्या में डिमैट खातों को खोलना भारत के शेयर बाजार में उनके बढ़े विश्वास को दर्शाता है। भारत के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सरकारी उपक्रमों के विनिवेश पर भी सरकार आक्रामक हो रही है। एयर इंडिया टाटा को बेच जा चुका है। कुछ अन्य उपक्रमों के लिए भी प्रक्रिया प्रारंभ है। इसे भी शेयर बाजार के विस्तार की संभावनाओं के अनुकूल ही कहा जा सकता है।
जहां तक देश में 'इज आफ डूइंग बिजनेसÓ का मामला है तो इस दिशा में नरेन्द्र मोदी सरकार पहले से ही गंभीर दिख रही है। इस दिशा में कई कारगर कदम उठाए गए हैं। विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए मोदी सरकार ने कई पहल की है। टैक्स संबंधी प्रोत्साहन देने से विनिर्माण क्षेत्र में भी कायाकल्प की उम्मीद जगी है। चीन की तुलना में भारत भी अब इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी हो रहा है। केंद्र सरकार स्टार्टअप को भी बढ़ावा दे रही है। इससे कई स्टार्टअप यूनिकार्न बन चुके हैं, कई इस पंक्ति में हैं। इससे शेयर बाजार का पूंजीकरण तो बढ़ा ही है, शेयर होल्डर के लिए भी धन संपदा का सृजन हुआ है। निवेश के विकल्प भी बढ़े हैं।
सुदृढ़ ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत में समृद्धि का विस्तार कर रही है। साथ ही मांग में भी वृद्धि कर रही है। इससे कंपनियों का व्यापार बढ़ रहा है। इक्विटी आधारित म्यूचुअल फंड में एसआइपी यानी सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान के माध्यम से वर्ष 2021-22 में 1.64 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इस राशि का निवेश शेयर बाजार को और ऊंचे स्तर पर ले जा सकता है। वर्ष 2021-22 में नौ प्रतिशत वृद्धि दर के साथ भारत विश्व की सबसे तीव्र गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। यह भी भारतीय शेयरों में निवेश को आकर्षित करेगी। हाल के महीनों में विदेशी निवेशकों ने भारत मे शेयर बेचे हैं। पर यह स्थिति नियमित रूप से नहीं बनी रहेगी। अधिक समय तक वह भारतीय शेयर बाजार की उपेक्षा नहीं कर सकते हैं। उनकी खरीदारी भी लौटेगी।
हालांकि शेयर बाजार से संबंधित कुछ आशंकाएं भी लोगों के मन में हंै। जैसे वैश्विक रूप से कच्चे तेल की बढ़ती कीमत, वैश्विक तथा भारत में ब्याज दरों में वृद्धि की आशंका, रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार, रुपये में बड़ी गिरावट, मुद्रास्फीति में उछाल आदि कुछ आशंकाएं भी हैं जो भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट का कारण भी बन सकती है। परंतु इससे संबंधित सभी सकारात्मक कारकों एवं नकारात्मक आशंकाओं का विश्लेषण करें तो भारतीय शेयर बाजार में तेजी का ही पलड़ा भारी दिखता है।
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